होम / सोशल मीडिया से / Success Mantra: कछुआ और खरगोश की वो कहानी जो आपने नहीं सुनी!
Success Mantra: कछुआ और खरगोश की वो कहानी जो आपने नहीं सुनी!
रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है. वो अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वो over-confident/अति आत्म-विश्वास के कारण ये रेस हार गया.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
(सोशल मीडिया पर एक वायरल पोस्ट) एक बार खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड हो गया और वो जो मिलता उसे रेस लगाने के लिए challenge कहता रहता. एक दिन कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली. रेस शुरू हुई. खरगोश तेजी से भागा और काफी आगे जाने पर पीछे मुड़ कर देखा. कछुआ कहीं नज़र नहीं आया. उसने मन ही मन सोचा कछुए को तो यहां तक आने में बहुत समय लगेगा. चलो थोड़ी देर आराम कर लेते हैं और वह एक पेड़ के नीचे लेट गया. लेटे-लेटे कब उसकी आंख लग गई, पता ही नहीं चला.
उधर कछुआ धीरे-धीरे मगर लगातार चलता रहा. बहुत देर बाद जब खरगोश की आंख खुली तो कछुआ फिनिशिंग लाइन तक पहुंचने वाला था. खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कछुआ रेस जीत गया.
कहानी की शिक्षा: धीमा और लगातार चलने वाला रेस जीतता है.
ये कहानी तो हम सब जानते हैं, अब आगे की कहानी जानते हैं:
रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है. वो अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वो over-confident/अति आत्म-विश्वास के कारण ये रेस हार गया. उसे अपनी मंजिल तक पहुंच कर ही रुकना चाहिए था.
अगले दिन वो फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती देता है. कछुआ पहली रेस जीत कर आत्म-विश्वास से भरा होता है और तुरंत मान जाता है. रेस होती है. इस बार खरगोश बिना रुके अंत तक दौड़ता जाता है और कछुए को एक बहुत बड़े अंतर से हराता है.
कहानी की शिक्षा: तेज और लगातार चलने वाला धीमे और लगातार चलने वाले से हमेशा जीत जाता है.
यानि slow and steady होना अच्छा है. लेकिन fast and consistent होना और भी अच्छा है.
कहानी अभी बाकी है मेरे दोस्त…
इस बार कछुआ कुछ सोच-विचार करता है और उसे ये बात समझ आती है कि जिस तरह से अभी रेस हो रही है वो कभी-भी इसे जीत नहीं सकता. वो एक बार फिर खरगोश को एक नयी रेस के लिए चैलेंज करता है, पर इस बार वो रेस का रूट अपने मुताबिक रखने को कहता है. खरगोश तैयार हो जाता है.
रेस शुरू होती है. खरगोश तेजी से तय स्थान की ओर भागता है, पर उस रास्ते में एक तेज धार नदी बह रही होती है. बेचारे खरगोश को वहीं रुकना पड़ता है. कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ वहां पहुंचता है, आराम से नदी पार करता है और लक्ष्य तक पहुंचच कर रेस जीत जाता है.
कहानी की सीख: पहले अपनी strengths को जानो और उसके मुताबिक काम करो, जीत ज़रुर मिलेगी.
कहानी अभी भी बाकी है मेरे दोस्त…
इतनी रेस करने के बाद अब कछुआ और खरगोश अच्छे दोस्त बन गए थे. एक दूसरे की ताकत और कमजोरी समझने लगे थे. दोनों ने मिलकर विचार किया कि अगर हम एक दूसरे का साथ दें तो कोई भी रेस आसानी से जीत सकते हैं.
इसलिए दोनों ने आखिरी रेस एक बार फिर से मिलकर दौड़ने का फैसला किया, पर इस बार प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि एक टीम की तरह काम करने का निश्चय लिया.
दोनों स्टार्टिंग लाइन पे खड़े हो गए….get set go…. और तुरंत ही खरगोश ने कछुए को ऊपर उठा लिया और तेजी से दौड़ने लगा. दोनों जल्द ही नदी के किनारे पहुंच गए. अब कछुए की बारी थी. कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों आराम से नदी पार कर गए. अब एक बार फिर खरगोश कछुए को उठा फिनिशिंग लाइन की ओर दौड़ पड़ा और दोनों ने साथ मिलकर रिकॉर्ड टाइम में रेस पूरी कर ली. दोनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे. आज से पहले कोई रेस जीत कर उन्हें इतनी ख़ुशी नहीं मिली थी.
कहानी की शिक्षा: टीम वर्क हमेशा व्यक्तिगत प्रदर्शन से बेहतर होता है.
Individually चाहे आप जितने बड़े performer हों लेकिन अकेले दम पर हर मैच नहीं जीता सकते.
अगर लगातार जीतना है तो आपको टीम में काम करना सीखना होगा. आपको अपनी काबिलियत के अलावा दूसरों की ताकत को भी समझना होगा और जब जैसी situation हो, उसके हिसाब से टीम की strengths को use करना होगा.
यहां एक बात और ध्यान देने वाली है. खरगोश और कछुआ दोनों ही अपनी हार के बाद निराश होकर बैठ नहीं गए, बल्कि उन्होंने स्थिति को समझने की कोशिश की और अपने आप को नयी चुनौती के लिए तैयार किया. जहां खरगोश ने अपनी हार के बाद और अधिक मेहनत की वहीं कछुए ने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए अपनी strategy में बदलाव किया.
जब कभी आप फेल हों तो या तो अधिक मेहनत करें या अपनी रणनीति में बदलाव लाएं या दोनों ही करें, पर कभी भी हार को आखिरी मान कर निराश न हों. बड़ी से बड़ी हार के बाद भी जीत हासिल की जा सकती है.
टैग्स