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एयरपोर्ट्स पर Pre Engineered Structures को क्यों दी जा रही है तवज्जो?

हवाईअड्डों के विस्तार के दौरान टर्मिनलों के निर्माण से लेकर हैंगरों तक के लिए पीईबी के उपयोग को पारंपरिक निर्माण विधियों की जगह प्राथमिकता दी जा रही है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

‘उड़ान’ केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत सरकार आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए टियर 2 और टियर 3 शहरों को हवाई सेवा के माध्यम से बड़े शहरों से जोड़ने का काम कर रही है. देश में नए हवाई अड्डों के निर्माण के साथ-साथ मौजूदा हवाई अड्डों के विस्तार और नवीनीकरण पर तेजी से काम किया जा रहा है. इस बीच सरकार COP27 और G20 की प्रतिबद्धताओं के मद्देनज़र, यह सुनिश्चित करने पर भी ध्यान दे रही है कि विकास कार्य सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों के अनुरूप हो और इसीलिए सस्टेनेबल विकल्पों को अपनाने पर जोर दे रही है. ऐसे में प्री-इंजीनियर्ड बिल्डिंग्स (पीईबी) या प्रीफैब्रिकेटेड स्टील स्ट्रक्चर को तवज्जो दिया जा रहा है, क्योंकि यह इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए पारंपरिक निर्माण विधियों का एक बेहतर विकल्प है.  

तेजी लाने का बेहतर तरीका
छोटे शहरों में हवाई अड्डों का विकास विभिन्न क्षेत्रों की क्षमता को बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन यह विकास पर्यावरण की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए. ऐसे में पीईबी को अपनाना आवश्यक हो जाता है. एक सस्टेनेबल विकल्प होने के साथ ही, पीईबी निर्माण कार्य और परिचालन में तेजी लाने का एक बेहतर तरीका है. यही कारण है कि आज उड़ान योजना के तहत मौजूदा हवाईअड्डों के विस्तार के दौरान टर्मिनलों के निर्माण से लेकर हैंगरों तक के लिए पीईबी के उपयोग को पारंपरिक निर्माण विधियों की जगह प्राथमिकता दी जा रही है. सीमेंट और ईंटों के उपयोग जैसे पारंपरिक निर्माण तरीकों की तुलना में, पीईबी संरचनाओं में 40 प्रतिशत तक कम कार्बन उत्सर्जन और 50 प्रतिशत तेज टर्नअराउंड समय होता है, जबकि स्थायित्व के मामले में ये संरचनाएं पारंपरिक रूप से तैयार संरचनाओं के सामान ही होती हैं. साथ ही वे किफायती और एनर्जी-एफिशियंट भी होती हैं.

कनेक्टिविटी में आएगा सुधार
उड़ान योजना के तहत हवाई अड्डों के निर्माण के लिए पीईबी संरचनाएं प्रदान करने वाली कंपनी ईपैक प्रीफैब वर्तमान में मुइरपुर, सरसावा (सहारनपुर) और दरभंगा हवाई अड्डे के चरण-2 से जुड़े विकास कार्यों पर काम कर रही है. इन परियोजनाओं के पूरा होने से इन क्षेत्रों का देश के प्रमुख शहरों के साथ कनेक्टिविटी में सुधार आएगा, जिससे इन क्षेत्रों में पर्यटन, व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी. दीर्घकालिक प्रभावों में औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, विनिर्माण और निर्यात में तेजी शामिल है.

इन सुविधाओं से हैं लैस
ईपैक प्रीफैब के निदेशक निखिल बोथरा के अनुसार, पीईबी संरचनाएं तेज गति से परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करती हैं. वो आगे बताते हैं, इन हवाईअड्डों पर तेजी से निर्माण के लिए, पीईबी संरचनाओं का उपयोग टर्मिनल भवनों के निर्माण के लिए किया जा रहा है जो आग दमन प्रणाली, अच्छे थर्मल इन्सुलेशन और वेंटिलेशन सिस्टम से सुसज्जित हैं. इन टर्मिनलों पर एयरलाइन संचालन के लिए आवश्यक सभी उन्नत सेवाएं मौजूद होंगी, जैसे कि टिकट काउंटर, बैक ऑफिस, लगेज रूम, मेडिकल रूम, आदि. जैसे-जैसे हवाई यात्रा किफायती होती जाती है, फ्लाइट टर्मिनल के बुनियादी ढांचे के लिए तीव्र, टिकाऊ और एनर्जी-एफिशियंट संरचना प्रणालियों की आवश्यकता होती है, जो पर्यटकों को एक सहज और सुखद यात्रा का अनुभव प्रदान कर सके. इन जरूरतों को देखते हुए और गति, लचीलापन, स्थिरता और दीर्घकालिक आर्थिक लाभों के कारण, हवाई अड्डे के निर्माण के लिए पूर्वनिर्मित संरचनाएं पसंदीदा विकल्प बन रही हैं.

इसके हैं कई फायदे
बोथरा ने आगे कहा कि ग्रीन स्ट्रक्चर सस्टेनेबिलिटी को बढ़ा सकता है, निर्माण समय को कम कर सकता है और निर्माण उद्योग से उत्पन्न कचरे को निपटा सकता है. कारखाने में बनी बिल्डिंग्स जिनमें संरचनात्मक फ्रेम, छत और दीवार सपोर्ट होता है, पर्यावरण के अनुकूल हैं. वे निर्माण कार्य में तेजी लाने में अधिकारियों की सहायता कर सकती हैं. इस तरह के विकास का हॉस्पिटैलिटी, पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. बता दें कि ईपैक ने पूर्व में चित्रकूट और हिंडन हवाईअड्डों का विकास किया है, दोनों ही पीईबी आधारित निर्माण हैं. हिंडन हवाई अड्डा सबसे तेजी से निर्मित हवाईअड्डों में से एक है जिसका निर्माण केवल चार महीने के रिकॉर्ड समय में किया गया है.


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