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विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट, क्यों ज़रूरी है इस खजाने का भरा रहना? जानें सबकुछ

विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

एक तरफ जहां डॉलर के मुकाबले रुपए की कमजोरी चिंता का सबब बनी हुई है. वहीं, विदेशी मुद्रा भंडार में भी लगातार गिरावट जारी है. देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार सातवें हफ्ते गिरावट दर्ज की गई है, जो निश्चित तौर पर अच्छे संकेत नहीं हैं. RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 5.219 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर रह गया. यह पिछले 2 सालों का इसका सबसे निचला स्तर है. अगस्त में भी देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी.

ये है कमी की वजह
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 16 सितंबर को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की सबसे बड़ी वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में 4.7 अरब डॉलर की गिरावट है, जो अब घटकर 484.90 अरब डॉलर पर आ गया है. बता दें कि FCA कुल विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा और प्रमुख हिस्सा होता है. इसमें डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं का भंडार होता है. इन सभी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की वैल्यू डॉलर के संदर्भ में रखी जाती है और उनमें डॉलर के मुकाबले बढ़ोतरी या गिरावट आने पर फॉरेन करेंसी एसेट्स की वैल्यू में भी बदलाव होता है.

कमजोर हो रहा रुपया
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रुपया भी कमजोर होता जा रहा है. 23 सितंबर को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की वैल्यू गिरकर 81.26 रुपए पर पहुंच गई थी. वहीं, देश का गोल्ड रिजर्व भी घट रहा है. इस हफ्ते देश के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.186 अरब डॉलर पर आ गई. इसके अलावा स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) भी 3.2 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.686 अरब डॉलर रहा.  

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार? 
विदेशी मुद्रा भंडार का पर्याप्त संख्या में होना हर देश के लिए महत्वपूर्ण है. इसे देश की हेल्थ का मीटर कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इसमें विदेशी करेंसीज, गोल्ड रिजर्व, ट्रेजरी बिल्स आदि आते हैं और इन्हें केंद्रीय बैंक या अन्य मौद्रिक संस्थाएं संभालती हैं. इन संस्थाओं का काम पेमेंट बैलेंस की निगरानी करना, मुद्रा की विदेशी विनिमय दर पर नज़र रखना और वित्तीय बाजार स्थिरता बनाए रखना है.

क्या है इसका उद्देश्य? 
विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे पहला उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि रुपया तेजी से नीचे गिरता है या पूरी तरह से दिवालिया हो जाता है तो RBI के पास बैकअप फंड मौजूद हो. इसके साथ ही गिरते रुपए को संभालने के लिए आरबीआई भारतीय मुद्रा बाजार में डॉलर को बेच सकता है. जैसा कि जुलाई में RBI ने 39 अरब डॉलर की बिक्री की थी. हालांकि, इससे विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी आई थी. यदि किसी देश का विदेशी मुद्रा भंडार अच्छी स्थिति में है, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि भी निखरती है, क्योंकि उस स्थिति में व्यापारिक देश अपने भुगतान के बारे में सुनिश्चित हो सकते हैं.
 


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