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आखिर Indigo की चिंगारी Vistara होते हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस तक कैसे पहुंच गई?

टाटा समूह की एयर इंडिया एक्सप्रेस ने सिक लीव पर जाने वाले अपने 25 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 week ago

टाटा समूह (TATA Group) के एयरलाइन कारोबार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. पिछले महीने बड़ी संख्या में विस्तारा के पायलट बीमारी का हवाला देकर सिक लीव पर चले गए थे. इसके चलते कंपनी को 100 से अधिक उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं. अब इसी स्थिति से टाटा समूह की दूसरी एयरलाइन 'एयर इंडिया एक्सप्रेस' (Air India Express) भी गुजर रही है. मंगलवार से बुधवार के बीच कंपनी के 300 कर्मचारियों ने बीमार होने की बात कहकर छुट्टी ले थी. नतीजतन एयर इंडिया एक्सप्रेस को कई फ्लाइट्स कैंसिल करने को मजबूर होना पड़ा. अब कंपनी ने ऐसा करने वाले 25 केबिन क्रू मेंबर्स को बर्खास्त कर दिया है.  

तब 900 उड़ानें हुईं थीं प्रभावित
यदि सिक लीव पर गए बाकी कर्मचारी जल्द काम पर नहीं लौटे, तो एयर इंडिया एक्सप्रेस कुछ और की छुट्टी कर सकती है. लेकिन उसके लिए सभी को नौकरी से बाहर करना मुश्किल है, क्योंकि ऐसी स्थिति में संकट और गहरा जाएगा. करीब 2 साल पहले देश की नंबर 1 एयरलाइन इंडिगो को भी इसी स्थिति से गुजरना पड़ा था. बड़ी संख्या में उसके कर्मचारी बीमारी की बात कहकर छुट्टी पर चले गए थे. इसके चलते कंपनी की 900 फ्लाइट्स देरी से उड़ान भर सकी थीं. तब यह भी सामने आया था कि इंडिगो के बीमर क्रू मेंबर्स ने एयर इंडिया के वॉक-इन इंटरव्‍यू में हिसा लिया था. तो अब सवाल यह है कि आखिर टाटा की एयरलाइन इंडिगो वाली मुसीबत में कैसे फंस गई हैं?

आखिर चल क्या रहा है? 
पहले समझते हैं कि आखिर विस्तारा और एयर इंडिया एक्सप्रेस में चल क्या रहा है. टाटा समूह की इन दोनों ही कंपनियों के कर्मचारियों की समस्या विलय यानी मर्जर से जुड़ी हुई है. विस्तारा के पायलट कंपनी के एयर इंडिया में विलय को लेकर परेशान हैं. दरअसल, एयर इंडिया का सैलरी स्ट्रक्चर 40 घंटे उड़ान की न्यूनतम एश्योर्ड-पे पर आधारित है. जबकि विस्तारा का न्यूनतम एश्योर्ड-पे 70 घंटे का है. टाटा समूह विलय की गई एयरलाइन के लिए एयर इंडिया के पे-स्ट्रक्चर को अपनाया है. इस वजह से विस्तारा के पायलटों के वेतन में कटौती हुई, जिससे वे काफी नाराज हुए और नौकरी के नए कॉन्ट्रैक्ट का विरोध शुरू कर दिया. सामूहिक सिक लीव इसी विरोध का हिस्सा थीं. 

असमानता का लगाया आरोप 
एयर इंडिया एक्सप्रेस, एयर इंडिया की सहायक इकाई है और इसके भी मर्जर की प्रक्रिया चल रही है. एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एयरलाइन के कर्मचारी नई रोजगार शर्तों का विरोध कर रहे हैं. खासकर चालक दल के सदस्यों ने अपने साथ असमानता का आरोप लगाया है. खबर तो यहां तक है कि कुछ स्टाफ सदस्यों को सीनियर पोजीशन के लिए इंटरव्यू पास करने के बावजूद छोटे पदों की पेशकश की गई है. एयर इंडिया एक्सप्रेस इम्प्लॉयीज यूनियन ने टाटा समूह के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को 26 अप्रैल को इस संबंध में एक पत्र भी लिखा था. पत्र में यूनियन ने कहा था कि कर्मचारियों के साथ समान व्यवहार नहीं किया जा रहा है. वेतन, अनुभव और योग्यता की उपेक्षा की जा रही है. 

हालात की गंभीरता नहीं समझी
अब जानते हैं कि इंडिगो में विरोध की जो चिंगारी दिखाई दी थी, वो टाटा की इन कंपनियों तक पहुंची कैसे? इसका एकदम सीधा जवाब है - हालात की गंभीरता को समझने में नाकामी. एयर इंडिया एक्सप्रेस में कई हफ्तों से कर्मचारियों के बीच असंतोष की सुगबुगाहट थी. प्रबंधन पूरी स्थिति से अच्छे से वाकिफ था, लेकिन उसने इस मुद्दे पर गंभीरता नहीं दिखाई. अब जब हालात बदतर हो गए हैं, तब कंपनी की तरफ से कहा गया है कि प्रबंधन सामूहिक छुट्टी के पीछे के कारणों को समझने के लिए क्रू मेंबर्स के साथ बातचीत कर रहा है. इंडिगो के मामले में भी यही हुआ था. कर्मचारियों में इंडिगो प्रबंधन को लेकर असंतोष इतना बढ़ गया था कि वे सामूहिक रूप से छुट्टी पर चले गए. कर्मचारी कोरोना महामारी के दौरान हुई सैलरी में कटौती सहित कुछ मुद्दों को लेकर परेशान थे, लेकिन प्रबंधन ने बीच का रास्ता निकालने का प्रयास नहीं किया. जब पानी सिर से ऊपर हो गया, तब कहीं जाकर वो हरकत में आया. 

कंपनियों पर होनी चाहिए कार्रवाई
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐसे मामलों में विमानन कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए, क्योंकि प्रबंधन और कर्मचारियों की लड़ाई में यात्रियों को परेशान होना पड़ता है. इंडिगो को उस समय कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं और 900 फ्लाइट्स देरी से उड़ान भर पाई थीं. उसकी लगभग 55% फ्लाइटों पर सामूहिक छुट्टी का असर पड़ा था. विस्तारा और एयर इंडिया एक्सप्रेस को भी कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सरकार को इन कंपनियों को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो, यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है और इसमें विफल रहने पर उन्हें कार्रवाई का सामना भी करना होगा. 


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