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कंज्यूमर फोरम ने इस बड़े बैंक को दिया आदेश, वापस करो ऑनलाइन फ्रॉड के पैसे
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि तुरंत सूचना दिए जाने के बावजूद बैंक ने कोई कार्रवाई नहीं की. इसके कारण 22 दिसंबर 2021 पीड़ित को नुकसान का सामना करना पड़ा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 6 months ago
गुजरात के सूरत की नवसारी कंज्यूमर कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए ऑनलाइन फ्रॉड के जरिए गायब हुए पैसों की भरपाई बैंक को करने को कहा है. नवसारी कंज्यूमर कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को उपभोक्ता के 39578 रुपये वापस करने को कहा है. कोर्ट ने इस मामले में बैंक को तुरंत कार्रवाई न करने के लिए दोषी पाते हुए जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने ये भी कहा है कि इस तरह के मामलों में बैंक को उपभोक्ता को अलर्ट करना चाहिए.
आखिर क्या है ये पूरा मामला?
विधि सुहागिया नाम की एक पीडि़त महिला के साथ 22 दिसंबर 2021 को साइबर धोखाधड़ी के कारण 59078 रुपये का नुकसान हो गया. विधि सुहागिया का अकाउंट एसबीआई की फुव्वारा शाखा में था. उन्होंने तुरंत इसकी जानकारी बैंक के शिकायत प्रकोष्ठ में दी और साइबर क्राइम सेल में इसकी शिकायत भी कर दी. तुरंत शिकायत का ये फायदा हुआ कि पुलिस जिस अकाउंट में ये पैसा ट्रांसफर हुआ था उससे 19000 रुपये रिकवर करने में कामयाब रही.
पुलिस बाकी पैसे की रिकवरी नहीं कर पाई जिसके कारण पीडि़त ने 14 दिसंबर 2022 इस मामले की शिकायत उपभोक्ता फोरम में कर दी. इस मामले में सुहागिया के वकील ने तर्क दिया कि समय पर सूचना दिए जाने के बावजूद बैंक ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं एसबीआई के वकील ने कहा कि ग्राहक ने बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार काम नहीं किया.
बैंक ने यूपीआई से भी किया संपर्क
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि उसने इस संबंध में यूपीआई प्राधिकरण से भी संपर्क किया, जिसने बताया कि पैसा आईसीआईसीआई में जमा किया गया है और शेष राशि को फ्रीज करने के आदेश जारी किए गए थे. लेकिन सीडीआरसी ने बैंक के तर्क को खारिज कर दिया कि तुरंत जानकारी देने के बावजूद उसने कोई कार्रवाई नहीं की. न ही बैंक इस बाबत कोई सबूत दे पाया.
कोर्ट ने क्या आदेश दिया?
इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि एसबीआई के पास इतनी क्षमता है कि वो जिस बैंक में पैसे ट्रांसफर हुए वहां से पेमेंट रुकवा सकता है. लेकिन बैंक ने जानकारी मिलने के बावजूद ऐसा कोई कदम नहीं उठाया. इस कारण पीड़ित को नुकसान का सामना करना पड़ा. ऐसे में बैंक को ही उपभोक्ता को 39578 रुपये वापस करने होंगे.
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