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कोरोना वैक्सीन का डर कहीं खाली न करवा दे आपकी जेब, ऐसे जाल में फंसा रहे क्रिमिनल!
कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स की बात हाल ही में सामने आई है. ब्रिटिश फार्मा कंपनी ने दुष्प्रभाव की बात स्वीकार की है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
जब से कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) के साइड इफेक्ट्स की बात सामने आई है, तब से लोगों में डर का माहौल है. ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने हाल ही में अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन से हार्ट अटैक, खून का थक्का जमने और थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम जैसे दुष्परिणाम हो सकते हैं. भारत में भी इसी फ़ॉर्मूले पर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने कोवीशील्ड (Covishield) तैयार की थी. अधिकांश लोगों को यही वैक्सीन लगी है. इसलिए वे आशंकित हैं कि कहीं उन्हें कुछ न हो जाए. लोगों की यही आशंका और डर अपराधियों के लिए हथियार बन गया है.
निजी जानकारी हासिल करने का प्रयास
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लोगों को वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स का डर दिखाकर उनकी निजी जानकारी चुराई जा रही है. पुलिस ने लोगों को हिदायत देते हुए कहा है कि अनजान नंबरों से सतर्क रहें और किसी भी प्रकार की जानकारी साझा न करें. दरअसल, अपराधी कोरोना वैक्सीन के बारे में कॉल करके आधार नंबर, बैंक डिटेल जैसी निजी जानकारियां हासिल करने की कोशिश में हैं. पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बाकायदा ऐसा हो चुका है.
खुद को बता रहे स्वास्थ्य विभाग से
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोलकाता के कई लोगों को अनजान नंबरों से फोन आए. कॉल करने वाले ने खुद को स्वास्थ्य विभाग का कर्मचारी बताते हुए वैक्सीन से जुड़े कई सवाल भी पूछे. मसलन, आपने वैक्सीन लगवाई है या नहीं ली? अगर हां, तो कौनसी वैक्सीन लगवाई है? कई लोगों को रिकार्डेड वॉयस वाले IVRS यानी इंटरेक्टिव वॉइस रिस्पॉन्स सिस्टम कॉल भी आ रहे हैं, जिसमें टीकाकरण से जुड़ी जानकारी मांगी जा रही है. कोलकाता पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी कॉल का जवाब न दें.
बटन दबाते ही Phone फ्रीज
कोलकाता पुलिस के एक साइबर सेल अधिकारी के अनुसार, रिकॉर्डेड वॉयस कॉल में पहले पूछा जाता है कि आपने कोरोना वैक्सीन लगवाई है या नहीं. अगर व्यक्ति हां में उत्तर देता है, तो उसे एक बटन दबाने के लिए कहा जाता है. आमतौर पर 1 कोविशील्ड और 2 कोवैक्सीन के लिए होता है. ऐसा करते ही संबंधित व्यक्ति का फोन फ्रीज हो जाता है और कुछ घंटों के लिए नेटवर्क चले जाते हैं. साइबर एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसा व्यक्ति के फोन पर नियंत्रण हासिल कर निजी जानकारी चुराने के लिए किया जा रहा है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि अभी तक इस तरह से किसी के साथ कोई आर्थिक धोखाधड़ी नहीं हुई है.
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