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BW Legalworld 30 Under 30: भविष्य के लिए कैसे तैयार होगा लीगल डिपार्टमेंट?

आज BW लीगल वर्ल्ड द्वारा अवार्ड समारोह ‘30 अंडर 30’ के दूसरे एडिशन का आयोजन किया गया. इस दौरान देश की जानी मानी हस्तियों और दिग्गज वकीलों ने इस समारोह में भाग लिया.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

 

आज BW (बिजनेसवर्ल्ड) लीगल वर्ल्ड द्वारा अवार्ड समारोह ‘30 अंडर 30’ के दूसरे  एडिशन का दिल्ली में आयोजन किया गया. अवार्ड समारोह में ‘How to build legal department inhouse for the future’ पैनल का आयोजन किया गया. यह पैनल मुख्य रूप से एक फ्यूचरिस्टिक लीगल डिपार्टमेंट को बनाने और उसकी प्रमुख विशेषताओं के विषय पर आधारित था. इस पैनल में फोर्ड इंडिया के लीगल सर्विसेज के डायरेक्टर अनुभव कपूर,  L&T के ग्रुप जनरल काउंसल हेमंत कुमार, यम डिजिटल एंड टेक्नोलॉजी की हेड लीगल प्रियंका वलेशा और भारतपे के जनरल काउंसल, कॉर्पोरेट अफेयर और कॉर्पोरेट रणनीति के प्रमुख सुमित सिंह जैसे दिग्गज शामिल थे. इस पैनल के सेहन प्रमुख बिजनेसवर्ल्ड के चीफ एडिटर डॉक्टर अनुराग बत्रा थे.

फ्यूचरिस्टिक बनने के लिए जारी रखनी होगी तेज रफ्तार

पैनल डिस्कशन की शुरुआत करते हुए डॉक्टर अनुराग बत्रा ने कहा कि यह एक बहुत ही 'हाई-पावर्ड' पैनल है और हमारे पास इस विषय पर चर्चा करने के लिए इससे बेहतर पैनल नहीं हो सकता था. डॉक्टर अनुराग बत्रा का पहला सवाल L&T के ग्रुप जनरल काउंसल हेमंत कुमार से था. डॉक्टर बत्रा ने सवाल करते हुए कहा - लीगल की दुनिया को ज्यादा फ्यूचरिस्टिक बनने के लिए अपनी रफ्तार को बनाये रखना होगा. ऐसे में L&T जैसी कंपनी लीगल डिपार्टमेंट को फ्यूचरिस्टिक बनाने के लिए कौनसे कदम उठा रही है और हायरिंग के प्रोसेस में क्या बदलाव आये हैं? जवाब में हेमंत कुमार ने कहा - मेरे पास जनरल काउंसल के तौर पर काम करने का 39 सालों का अनुभव है और अपने अनुभव के आधार पर मैं बताना चाहता हूं कि इस मामले पर राज्य की कोई जवाबदेही नहीं होती. स्पेशलाइजेशन महत्त्वपूर्ण होता है. कॉर्पोरेट लीगल डिपार्टमेंट आमतौर पर दो हिस्सों में बंटा होता है. पहला लिटिगेशन और दूसरा नॉन-लिटिगेशन. नॉन-लिटिगेशन जहां कंपनी के कॉन्ट्रैक्ट्स और बाकी मुद्दों की देखरेख करता है वहीं, लिटिगेशन डिपार्टमेंट घरेलु और अंतरराष्ट्रीय मुकदमों की देख-रेख करता है. 

होनी चाहिए बिजनेस की अच्छी समझ

हायरिंग के प्रोसेस में हुए बदलावों के बारे में बताते हुए हेमंत कुमार ने कहा - मुझे जब किसी को हायर करना होता है तो मैं सबसे पहले देखता हूं कि डिपार्टमेंट में वैकेंसी है या नहीं और फिर मैं अपनी अपेक्षाओं को देखता हूं कि, कैंडिडेट मेरी उम्मीदों पर कितना खरा उतर पायेगा. L&T में हम कैंडिडेट को बिजनेस और कंपनी का कल्चर समझने के लिए 1 साल का भरपूर समय देते हैं जबकि दूसरी कंपनियों में आप पर पहले दिन से ही अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होता है. आपको बिजनेस को समझना होगा केवल तभी आप एक अच्छे वकील बन सकते हैं. आने वाले समय में L&T और ITC जैसी सभी बड़ी कंपनियां आपसे उम्मीद करेंगी कि आपको बिजनेस की अच्छी जानकारी हो और यह लीगल की दुनिया को फ्यूचरिस्टिक बनाने के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है. 

'सीखने की इच्छा' होना भी है बहुत जरूरी

डॉक्टर बत्रा का अगला सवाल यम डिजिटल एंड टेक्नोलॉजी की हेड लीगल प्रियंका वलेशा से था. डॉक्टर बत्रा ने सवाल पूछते हुए कहा - किसी भी नए शख्स की हायरिंग करते हुए आप उसकी किन विशेषताओं पर प्रमुख रूप से ध्यान देती हैं और पिछले 6 या 7 सालों के दौरान इसमें क्या बदलाव देखने को मिला है? प्रियंका वलेशा ने डॉक्टर बत्रा के जवाब की शुरुआत हेमंत कुमार जी से सहमती जताकर की. उन्होंने कहा - हेमंत जी ने जो भी कहा मैं उससे पूरी तरह से सहमत हूं और मुझे भी लगता है कि, बिजनेस की जानकारी होने बहुत जरूरी होता है. 6 सालों पहले जब किसी की हायरिंग की जाती थी तो विशेष रूप से इस बात पर ध्यान दिया जाता था कि, उसे कानून की कितनी समझ है लेकिन अब ऐसा नहीं है. अब इस बात को ज्यादा जरूरी समझा जाता है कि व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि कानूनी रूप से समर्थन की जरूरत कहां है? आपको अपने उद्देश्य को पहचानने के साथ-साथ यह भी देखना होता है कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं. आपके कानूनी समर्थन का बिजनेस पर क्या प्रभाव पद रहा है यह देखना भी बहुत जरूरी होता है. आप जिस लेवल के लिए हायरिंग कर रहे हैं उसकी वजह से भी बहुत से अंतर देखने को मिल सकते हैं. उदाहरण के लिए अगर मैं एक फ्रेशर को हायर कर रही हूं तो मैं इस बात पर ज्यादा गौर करूंगी उस व्यक्ति में सीखने की इच्छा हो और आप सीधा नतीजों पर जाने कि बजाय यह समझने कि कोशिश करें. साथ ही, आज के समय में जरूरी है कि आपको यह समझ हो कि आप अपने टैलेंट और सीखने की इच्छा से बिजनेस को किस प्रकार का समर्थन दे पा रहे हैं.  

सीखने के लिए उत्सुक है यंग इंडिया 

भारतपे के जनरल काउंसल, कॉर्पोरेट अफेयर और कॉर्पोरेट रणनीति के प्रमुख सुमित सिंह से डॉक्टर बत्रा ने सवाल करते हुए कहा - आपकी कंपनी अभी एक बढ़ता बिजनेस है और कंपनी का हेडक्वार्टर कहां बनाया जाए जैसे बहुत से सवालों के साथ बहुत सी पॉलिसी को लेकर अभी क्लेरिटी नहीं है और बहुत से क्षेत्रों में कंपनी उभर भी रही है. ऐसे में आप भविष्य के लिए कैसी टीम बना रहे हैं? सुमित सिंह ने जवाब देते हुए कहा - जैसा कि आपने बताया, हमारी कंपनी यहां मौजूद अन्य कंपनियों की तुलना में बहुत नई है और यंग इंडिया के बहुत से यंग वकील पिछले कुछ समय में प्रमुख रूप से उभरे हैं और वह सीखने के लिए बहुत उत्सुक हैं. मुझे जिस टीम को बिलकुल शुरुआत से बनाना है उसमें हर एक व्यक्ति भले ही एक सुपरस्टार जैसा परफॉर्म न करे लेकिन एक टीम के तौर पर आपको सबके लिए फोट होना होगा और यह समझना होगा कि आप से किस चीज की उम्मीद की जा रही है. हमारे जैसी कंपनियों के पास एक अतिरिक्त फायदा यह होता है कि हमें किसी तरह के कॉम्पनसेशन को देने में कोई परेशानी नहीं होती और अब यह टॉप-टियर फर्म्स के लिए कोई चिंता का बड़ा कारण भी नहीं रह गया है. ज्यादा से ज्यादा यंग टैलेंट को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए हम SOP का इस्तेमाल करते हैं जो कि बहुत ही आकर्षक होती हैं. लेकिन हमें एक बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि, बेशक एक व्यक्ति बहुत अच्छा परफॉर्म कर सकता है और सबसे आगे निकल सकता है लेकिन किसी भी कोर्पोरेशन के इन-हाउस में आपको एक अच्छी और कुशल टीम की ज्यादा जरूरत होती है और यह मैं अपने अनुभव के आधार पर बता रहा हूं.

यह भी पढ़ें: US के बैंकों जितनी कमजोर नहीं है भारतीय बैंकिंग व्यवस्था

 


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