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Court की ये टिप्पणी हर Flat Owner को जरूर पढ़नी चाहिए
NCDRC ने उस एक मामले में राहत दी है जहां शिकायतकर्ताओं को समय पर उनके फ्लैट का कब्जा नहीं दिया गया और बिल्डर ने जो वायदा किया था वो सुविधाएं भी नहीं दी. इसके लिए पीठ ने बिल्डर को दोषी पाया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
NCDRC (नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेशल) की एक बेंच ने एक बिल्डर पर अपने ग्राहक को समय पर फ्लैट की डिलीवरी न करने और बॉयर के साथ सुविधाओं को लेकर किए गए वायदों को पूरा न करने के लिए मुआवजा लगाया है. इस पूरे मामले में बेंच ने क्लेरियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड को जल्द से जल्द मुआवजा अदा करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
आखिर क्या था ये पूरा मामला
NCDRC की एक बेंच जिसमें बतौर अध्यक्ष के रूप में राम सूरत राम मौर्य और सदस्य के रूप में डॉ. इंद्रजीत सिंह इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई करते हुए बेंच के सामने याचिकाकर्ता अनिल रावत ने इस मामले को पेश किया था. शिकायतकर्ताओं के अनुसार उन्होंने जब क्लेरियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड से Flat खरीदा था उस वक्त उन्हें IFMS सुरक्षा, क्लब सदस्यता और कंटीजेंसी चार्जेस सहित यूनिट के लिए कुल अमाउंट 55,41,184 / - रुपये बताया गया था. लेकिन बाद में शिकायतकर्ताओं को उनका मकान रद्द करने की धमकी दी जाने लगी और उन्हें उसी मकान के लिए 72, 25, 417 रुपये दिए जाने का दबाव बनाया जाने लगा.
बिल्डर ने इसे बिजली कनेक्शन शुल्क, एक्सेस एरिया चार्जेस, BOCW सेस, IFMS रखरखाव, सुरक्षा सहित स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण चार्ज सहित कई बेवजह चार्ज लगाकर इतना पैसा देने के लिए दबाव बनाने लगा. इसके कारण उन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक अपार्टमेंट को सौंपने में देरी हुई. उन्होंने ये भी कहा कि बिल्डर ने अपने ब्रोसर और सैंपल फ्लैट में जिन सुविधाओं का वायदा किया था उसे भी प्रदान नहीं किया और उनसे अधिक शुल्क लिया गया.
इस मामले में अदालत ने क्या कहा
अनिल रावत की शिकायत पर अदालत ने कठोर टिप्पणी की और कहा वो कब्जे की तय तारीख तक फ्लैट न मिलने और देरी के मुआवजे के हकदार होंगे, जैसा कि मूल आवंटियों पर लागू होता है. अदालत ने ये भी कहा कि क्लब सदस्यता शुल्क का जिक्र एग्रीमेंट में नहीं किया गया है. ऐसे में शिकायतकर्ता क्लब सदस्यता शुल्क की वापसी के हकदार नहीं हैं.
1) अदालत ने कंटीजेंसी शुल्क की वापसी को लेकर कहा कि समझौते में विशेष रूप से इस राशि के भुगतान के लिए रु. 5/- प्रति वर्ग फुट की दर से प्रावधान किया गया है. शिकायतकर्ता इस मद की वापसी के हकदार नहीं हैं. लेकिन बेंच ने कहा कि बिल्डर ने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया है कि इस राशि का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाएगा. ऐसे में बिल्डर को शिकायतकर्ताओं सहित सभी एलॉटियों की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए ये बताना चाहिए कि वो इस पैसे का कहां इस्तेमाल करने वाले हैं.
2) अत्यधिक बिजली शुल्क की वापसी के लिए पीठ ने कहा कि आवंटी को प्रति वर्ग फुट के अनुपात में शुल्क का भुगतान करना होगा और ये चार्ज इन फ्लैटों के सुपर एरिया क्षेत्र के अनुपात में वसूल किया जाएगा.
3) IFMS के रिफंड के लिए बेंच ने पाया कि यह देखते हुए कि LCA अब कॉमन एरिया और सुविधाओं का रखरखाव कर रहा है, ऐसे में OP-1 को इस फंड को LCA को ट्रांसफर करने की जरूरत है. इसके लिए LCA के पास एक विधिवत तौर पर चुनी गया निर्वाचित निकाय या प्रबंधन है.
4) प्रशासन शुल्क की वापसी के लिए, पीठ ने पाया कि समझौते में पंजीकरण/स्टांप शुल्क लागू हो सकता है. इनके अलावा, समझौते में किसी भी प्रशासन शुल्क के पेमेंट की बात नहीं है. इसी तरह पीठ ने एक्सेस एरिया चार्जेज को लेकर कहा कि एक्सेस एरिया चार्जेज पर अवैध रूप से वसूल की गई राशि की वापसी के लिए शिकायतकर्ताओं को फाइनल सुपर एरिया और फाइनल कवर एरिया के ब्रेक-अप के बारे में जानने का अधिकार है. ताकि उनके पास वास्तविक माप के माध्यम से खुद को संतुष्ट करने का अवसर हो और किसी भी बड़े बदलाव के मामले में, ओपी के साथ इसका विरोध कर सकें.
5) पीठ ने BOCW वेलफेयर सेस को कहा कि इसे लेकर समझौते में किसी प्रकार का विवरण नहीं मिलता है. समझौते में सिर्फ सर्विस टैक्स और दूसरे टैक्स के बारे में बात कही गई है.
पीठ ने आगे कहा कि समझौते में वादा किए गए सुविधाओं को फ्लैट डिलीवर करते समय न देना सर्विस में कमी माना जाएगा. इसके लिए उसे शिकायतकर्ताओं को इस तरह की कमी के अनुसार मुआवजा देना होगा. इसके अलावा, यदि कोई डेवलपर अपनी परियोजना में लोगों/संभावित आवंटियों को बुक यूनिटों को लुभाने के लिए ब्रोशर में कोई वादा करता है, लेकिन प्रारंभिक राशि स्वीकार करने के बाद ऐसी वादा की गई सुविधाओं को शामिल नहीं करता है तो इसे अनुचित व्यवहार माना जाएगा, जिसके लिए डेवलपर उत्तरदायी होगा.
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