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27 बार एंट्रेंस एग्जाम में बैठा ये करोड़पति कारोबारी, लेकिन हर बार हुआ Fail
चीन के करोड़पति कारोबारी लियांग शी का कहना है कि लगातार मिली असफलता के चलते अब वह टूट गए हैं, लेकिन एक अंतिम प्रयास जरूर करेंगे.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
लिखने-पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती. चीन के करोड़पति कारोबारी (Chinese Businessman) लियांग शी (Liang Shi) पर ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है. हालांकि, ये बात अलग है कि 56 साल के लियांग विश्वविद्यालय के एडमिशन टेस्ट में अब तक पास नहीं हो पाए हैं. हाल ही में उन्हें 27वीं बार असफलता का सामना करना पड़ा है. लियांग अपने खराब रिजल्ट से नाराज जरूर हैं, लेकिन अगले साल फिर वो इस एग्जाम में बैठेंगे.
750 में से 424 नंबर
बीते शुक्रवार को जारी हुए परीक्षा परिणाम में लियांग शी को 750 में से 424 नंबर मिले. जबकि चीन के किसी भी विश्वविद्यालय में एडमिशन के लिए कम से कम 458 नंबर चाहिए होते हैं. इस साल यूनिवर्सिटी एग्जाम में करीब 1.3 करोड़ छात्र बैठे थे, लेकिन लियांग एकमात्र ऐसे थे जो 56 साल की उम्र में भी एडमिशन का प्रयास कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन में यूनिवर्सिटी में दाखिले की परीक्षा को 'गाओकाओ' कहा जाता है. ये बेहद मुश्किल परीक्षा मानी जाती है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में केवल 41.6% उम्मीदवारों को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश मिल पाया था.
16 की उम्र में की थी शुरुआत
लियांग का कहना है कि उन्होंने एक प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने का सपना देखा था, लेकिन अब लगता है कि मेरा सपना कभी पूरा नहीं होगा. हालांकि, इसके बावजूद मैं अगले साल होने वाली परीक्षा में फिर से अपनी किस्मत आजमाऊंगा. लियांग ने पहली बार 1983 में 16 साल की उम्र में ये परीक्षा दी थी. 1992 तक उन्होंने अलग-अलग नौकरी करते हुए हर साल इसके लिए आवेदन किया. छात्र से कारोबारी बनने की शुरुआत लियांग शी के लिए 1990 के दौर में हुई, जब उन्होंने लकड़ी का होलसेल बिजनेस शुरू किया. एक साल के भीतर ही उन्होंने 10 लाख युआन कमा लिए और इसके बाद निर्माण सामग्री का बिजनेस में कदम रखा.
कॉलेज जाना लियांग का सपना
'गाओकाओ' के लिए पहले उम्र सीमा निर्धारित थी. 1992 में अपने आखिरी प्रयास के साथ ही लियांग उस सीमा को पार कर चुके थे, लेकिन चीनी सरकार ने 2001 में इस परीक्षा के लिए उम्र सीमा हटा दी, इसके बाद उन्होंने फिर से परीक्षाएं देनी शुरू कर दीं. लियांग शी की इच्छा शुरू से ही किसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ने की थी. 2014 उन्होंने एक स्थानीय अखबार से कहा था कि यदि आप कॉलेज नहीं जाते, तो यह बहुत ही शर्मिंदगी वाली बात है. बिना उच्च शिक्षा के जीवन पूर्ण नहीं हो सकता. लियांग अगले साल एक बार फिर इस एग्जाम में शामिल होंगे, लेकिन ये शायद उनका अंतिम प्रयास होगा. उनका कहना है कि लगातार फेल होने के चलते अब वह खुद को हारा हुआ महसूस करने लगे हैं.
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