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क्या वास्तव में Ambani की Jio का खेल बिगाड़ पाएगी Musk की Starlink?
टेस्ला के सीईओ Elon Musk स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की भारत में एंट्री के लिए बेताब हैं. उन्होंने कुछ साल पहले भी ये कोशिश की थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago
ऐसे समय में जब दुनिया की दिग्गज कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं, Elon Musk भी भारत में पैर जमाने के लिए बेताब हैं. Musk टेस्ला (Tesla) और स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड (Starlink Satellite Broadband) के जरिए भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के मूड में हैं. टेस्ला से जहां वो Tata और Mahindra जैसी घरेलू कंपनियों के लिए चुनौती पेश करेंगे. वहीं, स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड से उनकी कोशिश रिलायंस इंडस्ट्रीज का मार्केट प्रभावित करने की होगी. लेकिन सवाल ये है कि क्या वास्तव में Elon Musk ऐसा कर पाएंगे?
इसलिए खास है स्टारलिंक
Elon Musk ने मंगलवार को PM मोदी से अमेरिका में मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने स्टारलिंक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड को भारत में लॉन्च करने की इच्छा जताई. इस मीटिंग में टेस्ला की भारत में एंट्री को लेकर भी बातचीत हुई. स्टारलिंक अमेरिका में सफल रही है. इस सर्विस की सबसे खास बात ये है कि इसमें जमीन पर टावर लगाने की जरूरत नहीं होती है. सीधे सैटेलाइट से इंटनेट सर्विस मिलती है. इसके चलते दूरदराज के इलाकों में भी अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट प्रदान किया जा सकता है. भारत में इंटरनेट का जाल तेजी से फैला है, लेकिन कनेक्टिविटी की समस्या अभी भी कायम है. ऐसे में Musk की कंपनी बड़ा उलटफेर कर सकती है.
कीमत बन सकती है समस्या
Musk इस बात को अच्छे से समझते हैं कि भारत में कनेक्टिविटी और स्पीड दूरदराज के इलाकों में अब भी बड़े मुद्दे हैं, इसलिए वो इस बात पर जोर दे रहे हैं कि स्टारलिंक उन दूरदराज के गांवों में अविश्वसनीय रूप से सहायक हो सकती है जहां इंटरनेट नहीं है या हाई स्पीड सर्विस की कमी है. एक्सपर्ट मानते हैं कि स्टारलिंक से न केवल इंटरनेट की स्पीड बढ़ेगी, बल्कि कनेक्टिविटी की समस्या भी दूर होगी. फिर भी Musk की इस कंपनी के लिए मुकेश अंबानी की रिलायंस Jio को टक्कर देना आसान नहीं होगा. इसकी कई वजह हैं, लेकिन सबसे अहम है इंटरनेट सर्विस की कीमत. अमेरिका में स्टारलिंक इंटरनेट सर्विस के लिए करीब 7 हजार रुपए प्रति महीना चार्ज करती है. भारत में इतना पैसा देने को लोग शायद ही तैयार हों.
Jio के पास रहेगी ये एडवांटेज
मुकेश अंबानी प्राइज वॉर के माहिर खिलाड़ी मानते जाते हैं. इसी के दम पर उन्होंने टेलीकॉम सेक्टर पर अपनी पकड़ बनाई है. यदि Musk भारतीय यूजर्स को ध्यान में रखते हुए अपनी इंटरनेट फीस में कमी करते भी हैं, तो भी अंबानी का मुकाबला नहीं आकर पाएंगे. घरेलू कंपनी होने के नाते Jio के पास कीमतों को ज्यादा कम करने की गुंजाइश हमेशा बनी रहेगी. इसके अलावा, रिलायंस जियो के पास पहले ही 43.9 करोड़ टेलीकॉम यूजर्स हैं, जो उसे मार्केट लीडर का दर्जा देते हैं. Jio के 80 लाख वायर्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन, जो मार्केट शेयर का 25 फीसदी है. इस आंकड़े तक पहुंचने के लिए स्टारलिंक को एक बड़ा रास्ता तय करना होगा और तब तक अंबानी कोई नया धमाका करके सबको चौंका सकते हैं.
Ambani और Musk में मतभेद
Elon Musk और Mukesh Ambani के बीच अभी से ही स्पेक्ट्रम के आवंटन को लेकर मतभेद हैं. Starlink Satellite Broadband का कहना है कि भारत स्पेक्ट्रम की नीलामी करने के बजाए ग्लोबल ट्रेंड के अनुसार लाइसेंस आवंटित करे. कंपनी का तर्क है कि यह नेचुरल रिसॉर्स है, जिसे कंपनियों के साथ शेयर किया जाना चाहिए. वहीं, रिलायंस का कहना है कि विदेशी सैटेलाइट सर्विस प्रोवाइडर्स वॉयस और डेटा सर्विसेज ऑफर कर सकते हैं और घरेलू टेलीकॉम कंपनियों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं. इसलिए सबको समान अवसर मिलने के लिए नीलामी जरूरी है. बता दें कि Musk ने साल 2021 में भी भारत में स्टारलिंक को लॉन्च करने की कोशिश की थी.
कैसे काम करती है कंपनी?
स्टारलिंक एक सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस है, जिसे SpaceX द्वारा बनाया गया है. स्टारलिंक, सैकड़ों सैटेलाइट की मदद से हाई स्पीड इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड करती है. कंपनी का दावा है कि वो 300Mbps की स्पीड प्रदान करती है. स्टारलिंक को 2019 में शुरू किया गया था और अब यह दुनियाभर के 56 से ज्यादा देशों में सैटेलाइट इंटरनेट एक्सेस कवरेज दे रही है.
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