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कलेक्टर ऐसा भाई जैसा: जनता के विश्वास को यूं मजबूत कर रहे नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी
कलेक्टर ने पिछले करीब 14 महीनों में रतलाम जिले की सीमा में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की भूमि को भू-माफिया से चंगुल से आजाद करवाया है.
नीरज नैयर 9 months ago
कलेक्टर कौन होता है? आप कहेंगे जिले का मुखिया. वो मुखिया जिसकी आवाज पर पूरा सिस्टम कांप उठता है, वो मुखिया जिसके एक इशारे पर हवा का रुख मुड़ सकता है और वो मुखिया जिसकी ठसक किसी राजा से कम नहीं होती....लेकिन नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी जैसे आईएएस अधिकारी कलेक्टर शब्द की इस अघोषित परिभाषा को पूरी शिद्दत के साथ बदलने में लगे हैं. वह न केवल कलेक्टर और आम जनता के बीच के फासले को कम कर रहे हैं. बल्कि जनता को यह विश्वास दिला रहे हैं कि कलेक्टर उनकी सेवा के लिए कुर्सी पर बैठाया गया एक अधिकारी है, न कि कोई राजा.
यही अंदाज बनाता है अलग
नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी उन अधिकारियों में शुमार हैं, जिन्होंने हमेशा खुद को जिले का मुखिया समझने के बजाए जनता का सेवक समझा और जनता के हाथों को मजबूत बनाने के लिए काम किया. सूर्यवंशी के हाथों में इन दिनों मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की कमान है और उनके कामकाज की चर्चा पूरे प्रदेश में होती है. कभी उन्हें बेजुबानों के लिए पानी की व्यवस्था करते हुए देखा जा सकता है, तो कभी ग्रामीणों के साथ जमीन पर बैठकर बातचीत करते हुए. सूर्यवंशी का यही अंदाज उन्हें दूसरों से अलग बनाता है और यही वजह है कि सिस्टम से नाराज लोग भी उनकी बातों को अनसुना नहीं कर पाते.
सादगी के लिए लोकप्रिय
करीब एक महीने पहले रतलाम में जमीन के पट्टे को लेकर प्रदर्शन हुआ. लोगों की भारी भीड़ जुटी. बतौर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी भी बातचीत के लिए पहुंचे और यहां उनका जो रूप देखने को मिला, उसने जनता और प्रशासन के बीच विश्वास की डोर को और मजबूत करने का काम किया. सूर्यवंशी प्रदर्शनकारियों के बीच जाकर बैठे, खुद को उनका भाई बताया और यहां तक कह आए कि कलेक्टर पर नहीं तो अपने भाई पर भरोसा रखो. जनता से जुड़ाव का उनका ये अंदाज जिसने भी देखा, तारीफ करे बिना नहीं रह सका. रतलाम से पहले नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी महाकाल की नगरी उज्जैन में ADM और प्रशासक महाकाल मंदिर थे, और वहां भी वह अपनी सादगी के लिए लोकप्रिय थे.
500 करोड़ की भूमि छुड़ाई
सूर्यवंशी मानते हैं कि रुतबे का रुबाब आम जनता नहीं बल्कि अपराधियों पर दिखाया जाता है. और वह बाकायदा ऐसा करते भी रहे हैं. पिछले करीब 14 महीनों में उन्होंने रतलाम जिले की सीमा में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा की भूमि को भू-माफिया से चंगुल से आजाद करवाया है. इस कार्रवाई से उन दर्जनों लोगों को भी बड़ी राहत मिली है, जो अपने हक की जमीन के लिए सालों से संघर्ष कर रहे थे. भू-माफिया के कब्जे से मुक्त कराई गई भूमि में निजी और सरकारी दोनों जमीन शामिल हैं. रतलाम ग्रामीण में 2.25 करोड़, रतलाम शहर में 4.70, जावरा में 2.70 और सैलाना में 0.20 करोड़, इस तरह कुल 9.85 करोड़ मूल्य की निजी भूमि मुक्त कराई गई है.
सुनने वाला कोई तो है
वहीं, सरकारी भूमि की बात करें, तो रतलाम ग्रामीण में 0.2 करोड़, रतलाम शहर में 404.86, जावरा में 22.20, आलोट में 18.87, सैलाना में 2 करोड़, इस तरह कुल 448.13 करोड़ रुपए की अनुमानित बाजार कीमत वाली सरकारी भूमि अपराधियों के चंगुल से आजाद करवाई गई है. इसी तरह, 3 करोड़ कीमत के निजी मकान और 57.51 करोड़ के निजी प्लाट पर कब्जा जमाए बैठे असामाजिक तत्वों को भी कलेक्टर सूर्यवंशी ने 9,2,11 होने के लिए मजबूर कर दिया है. इस कार्रवाई ने जहां अपराधियों के जहन में सूर्यवंशी की छवि सख्त, कठोर और निडर कलेक्टर की बनाई. वहीं, आम जनता को यह विश्वास हो गया कि जिला कलेक्ट्रेट में उनकी सुनने वाला भी कोई बैठा है.
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