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कोई धंधा छोटा नहीं होता, पावभाजी बेच बनाई IceCream की 300 करोड़ की कंपनी
नैचुरल आइसक्रीम के आज देश के विभिन्न शहरों में 135 आउटलेट्स हैं. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2020 में 300 करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार किया था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
आइसक्रीम की दुनिया में नैचुरल (Naturals Ice Cream) एक ऐसा ब्रैंड है, जिसके चाहने वालों की कमी नहीं है. इसकी शुरुआत 1984 में एक स्टोर से हुई थी और पूरा देश इसके स्वाद का दीवाना है. 'नैचुरल' के नैचुरल बनने की कहानी बेहद दिलचस्प है. एक किसान के बेटे रघुनंदन श्रीनिवास कामथ ने अपने जुनून की बदौलत 300 करोड़ की कंपनी खड़ी कर डाली और उन सभी आलोचकों को हमेशा के लिए मुंह बंद रखने के लिए मजबूर कर दिया, जिन्हें उनके आईडिया और काबलियत पर शक था.
बाद में काम आई सीख
मूल रूप से कर्नाटक के मैंगलोर निवासी रघुनंदन श्रीनिवास कामथ सात भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. उनके पिता आठ लोगों के परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए अपनी एक एकड़ की जमीन पर कुछ फलों की खेती करते थे, लेकिन कमाई कुछ खास नहीं होती थी. इसी के चलते उनका परिवार मुंबई शिफ्ट हो गया, उस समय कामथ की उम्र महज 14 साल थी. कामथ पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे. लेकिन उन्होंने अपने पिता से फलों के बारे में मिले ज्ञान को बहुत अच्छे से समझा और यही बाद में उनके काम आया.
भोजनालय में किया काम
कामथ के बड़े भाई दक्षिण भारतीय भोजनालय 'गोकुल रिफ्रेशमेंट' चलाते थे. उन्होंने वहां यह जानने के लिए कि कितने भारतीय खाने के बाद कुछ मीठा खाना पसंद करते हैं, काफी समय तक काम किया. क्योंकि उनके दिमाग में एक आईडिया जन्म ले रहा था. जिस मकसद से उन्होंने 'गोकुल रिफ्रेशमेंट' में काम किया वो पूरा होने के बाद उन्होंने अपने भाई से कहा कि वह असली फलों के गूदे से आइस्क्रीम बनाना चाहते हैं, जो चॉकलेट और वेनिला फ्लेवर से कहीं अलग होगी. लेकिन भाई ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
हिट रहा गर्म+ठंडे का आईडिया
इसके बाद रघुनंदन श्रीनिवास कामथ ने जुहू के कोलीवाड़ा इलाके में एक दुकान खोली. यहां उन्होंने पाव भाजी के साथ आइसक्रीम बेचना भी शुरू किया. गर्म और मसालेदार व्यंजन के बाद कुछ ठंडा खिलाने का उनका ये आईडिया लोगों को खूब पसंद आया. अपनी 200 वर्ग फुट की छोटी सी दुकान से कामथ ने पहले साल में 5,00,000 रुपए का राजस्व अर्जित किया. बाद में वह पूरी तरह से आइसक्रीम के बिजनेस में उतर गए और भाजी बेचना बंद कर दिया. उन्होंने अपनी आइसक्रीम में कई प्रयोग किए. धीरे-धीरे उनकी आइसक्रीम का स्वाद लोगों की जुबां पर चढ़ गया. आज उनकी कंपनी सीताफल (कस्टर्ड सेब), काजू-द्राक्ष (काजू-किशमिश), आम, चॉकलेट और स्ट्रॉबेरी फ्लेवर में आइसक्रीम या कहें कि जमी हुई मिठाई पेश कर रही है.
विज्ञापन पर खर्च मामूली
नैचुरल आइसक्रीम के आज देश के विभिन्न शहरों में 135 आउटलेट्स हैं. कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2020 में 300 करोड़ रुपए का खुदरा कारोबार किया था और एक सर्वेक्षण में इसे ग्राहक अनुभव के लिए भारत के टॉप 10 ब्रैंड में शामिल किया जा चुका है. आपको जानकर ताज्जुब होगा कि नैचुरल आइसक्रीम का विज्ञापनों पर खर्च बेहद कम है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी बिक्री से होने वाली इनकम का एक फीसदी भी विज्ञापनों पर खर्च नहीं करती. कामथ परिवार का मानना है कि स्वाद और गुणवत्ता ही कंपनी की पहचान है और ग्राहक की मुस्कान ही उसका विज्ञापन हैं. आज रघुनंदन श्रीनिवास कामथ की पत्नी, अन्नपूर्णा और बेटे, सिद्धांत और श्रीनिवास भी मैनेजमेंट बोर्ड का हिस्सा हैं. कंपनी रोजाना करीब 20 टन आइसक्रीम का उत्पादन करती है.
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