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बॉक्सिंग के भविष्य पर खुलकर बोले मौसम सहरावत, बताईं एसोसिएशन की मजबूरियां
'मैं मानता हूं कि क्रिकेटर जैसी सुविधाएं बॉक्सरों को मिलना मुश्किल है, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से कुछ सुविधाएं तो मुहैया कराई ही जा सकती हैं.'
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
क्रिकेट के देश भारत में कुछ गिने-चुने लोग हैं जो बॉक्सिंग यानी मुक्केबाजी को आगे बढ़ाने के लिए पसीना बहा रहे हैं. उन्हीं में से एक हैं दिल्ली एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट मौसम सहरावत. ऑस्ट्रेलिया से पढ़-लिखकर भारत लौटे सहरावत चाहते तो किसी मल्टी-नेशनल कंपनी में आराम की नौकरी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने बॉक्सिंग को निखारने का कठिन काम चुना. वह 2010 में दिल्ली बॉक्सिंग फेडरेशन से जुड़े थे, तब से लगातार बॉक्सिंग के लिए काम करते आ रहे हैं.
प्रेसिडेंट का लड़ेंगे चुनाव
मौसम सहरावत को 2013 में बॉक्सिंग एसोसिएशन का वाइस प्रेसिडेंट चुना गया था, इस बार वह प्रेसिडेंट की पोजीशन के लिए लड़ रहे हैं. 2014 से 2017 तक दिल्ली राज्य बॉक्सिंग चैंपियनशिप के आयोजन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. सहरावत भारत की पहली महिला कार रेसर सारिका के भाई हैं. दोनों भाई-बहन में बचपन से ही स्पोर्ट्स के प्रति खासा लगाव रहा है और उनके पैरेंट्स ने भी हमेशा दोनों का साथ दिया.
नहीं मिलती सुविधाएं
BW हिंदी से बातचीत में भारत में बॉक्सिंग के भविष्य के सवाल पर मौसम सहरावत ने कहा, 'देश प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. एक से एक बॉक्सर तैयार हो सकते हैं, बस जरूरत है सरकार के साथ की. मैं बॉक्सिंग की बेहतरी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल सहित तमाम नेताओं से मुलाकात कर चुका हूं. मैं मानता हूं कि क्रिकेटर जैसी सुविधाएं बॉक्सरों को मिलना मुश्किल है, लेकिन केंद्र या राज्य सरकार की तरफ से कुछ सुविधाएं तो मुहैया कराई ही जा सकती हैं'.
बीच में छोड़ना पड़ता है खेल
उन्होंने बताया कि पहले Indian Amature Boxing Federation हुआ करती थी, जिसे भंग कर दिया गया. उसकी जगह बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया अस्तित्व में है. जब तक अभय सिंह चौटाला Indian Amature Boxing Federation के चेयरमैन थे, तब तक सबकुछ काफी अच्छा रहा. उन्होंने ऑल इंडिया पर बॉक्सिंग को प्रमोट करने के लिए काम किया. नेशनल खेलने वाले खिलाड़ियों का पूरा खर्चा उस समय फेडरेशन उठाया करती थी, अब ऐसी व्यवस्था नहीं है. हम हर साल दिल्ली से 10 हजार बच्चों को बॉक्सिंग खिलाते हैं, उसमें से 90% बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से ताल्लुख रखते हैं. उनके लिए किट, ग्लब्स, ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा भी काफी मायने रखता है. ऐसे में बिना सपोर्ट के उनके लिए खेल जारी रखना संभव नहीं हो पाता. यदि सरकार मदद करे तो बॉक्सिंग में कई चमकते सितारे सामने आ सकते हैं.
निभाते हैं दोहरी भूमिका
सहरावत ने कहा कि बॉक्सिंग के लिए फंड की व्यवस्था सबसे बड़ी चुनौती है. दिल्ली एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी के तौर पर हमें दोहरी भूमिका निभानी होती है. पहली, बच्चों के खेल को निखारना और दूसरी फंड की व्यवस्था करना. 2019 में साउथ दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी के प्रयासों के चलते हमने ONGC से फंडिंग के लिए एसोसिएशन का एक कॉन्ट्रैक्ट करवाया था, लेकिन कोरोना की वजह से मामला आगे नहीं बढ़ पाया. दिल्ली सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं? इस पर मौसम सहरावत ने कहा, 'मैंने दो बार CM केजरीवाल को एसोसिएशन की जरूरतों वाकिफ करवाया है और उन्होंने हर संभव मदद का आश्वासन भी दिया है. दिल्ली में 10 के आसपास स्टेडियम हैं, जिनमें से केवल 2 में बॉक्सिंग प्रैक्टिस की सुविधा है. सरकार ज्यादा न सही, तो कम से कम सभी स्टेडियम हमारे लिए खोल दे. हमारे आयोजनों के लिए फंड की कुछ व्यवस्था करवा दे, ताकि हमारा पूरा फोकस केवल बच्चों को आगे बढ़ाने पर हो, न कि खर्चा निकालने के लिए पैसा जुटाने पर'.
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