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कांग्रेस के नए अध्यक्ष खड़गे: दंगे में मां खोई, सिनेमा हॉल में जॉब की, आज कितनी संपत्ति?
शशि थरूर ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. ऐसा माना जा रहा था कि खड़गे की जीत पहले से सुनिश्चित थी, क्योंकि उन्हें हाईकमान से सपोर्ट मिला हुआ था.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 years ago
नई दिल्ली: मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. उन्हें 7897 वोट मिले. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी शशि थरूर को बुरी तरह से पराजित किया है. थरूर के सिर्फ1000 वोट ही मिल पाए. कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 416 वोट रिजेक्ट हुए. कांग्रेस को 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर का अध्यक्ष मिला है.
50 साल से कांग्रेस पार्टी के वफादार हैं खड़गे
21 जुलाई, 1942 को दलित परिवार में जन्मे खड़गे करीब 50 साल से कांग्रेस पार्टी के वफादार हैं. उन्होंने कांग्रेस की तरफ से 12 बार चुनाव लड़ा, जिसमें लगातार 11 बार जीत हासिल हुई. इस दौरान वे 9 बार विधायक बने, जबकि 3 बार सांसद के रूप में चुने गए. उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था.
खड़गे का वो बयान, जिसपर खूब हुआ विवाद
बात 2014 लोकसभा चुनाव की है, जब कांग्रेस को सिर्फ 44 सीटें ही मिली थीं. उस वक्त हाईकमान ने लोकसभा में खड़गे को ही कांग्रेस पार्टी का नेतृत्वकर्ता बनाया था. इस जिम्मेदारी को संभालते हुए उन्होंने एक ऐसा बयान दे दिया था, जिसके बाद जमकर बवाल हुआ था. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को कौरव सेना कह दिया था.
दंगे में मां को खोया, सिनेमा हॉल में की नौकरी
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपनी जिंदगी में कई दुख झेले हैं. जब वे सिर्फ 7 साल के थे तब दंगों में उन्होंने अपनी मां को खो दिया. इस घटना के बाद उनके पूरे परिवार को घर छोड़ना पड़ा था. इसके बाद सभी गुलबर्गा में जा बसे. शुरुआती जीवन में उन्हें आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा. पढ़ाई के दौरान खर्च चलाने के लिए उन्हें सिनेमा हॉल में नौकरी भी करनी पड़ी थी.
पहली बार कॉलेज में जीता चुनाव
खड़गे को शुरुआत से ही राजनीति में रुचि थी. गुलबर्गा के सरकारी कॉलेज में उन्हें पहली बार जीत मिली थी. उन्होंने छात्रसंघ का चुनाव जीता था. इसके बाद उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हो गई. वे श्रमिकों के हक के लिए शुरुआत से ही खड़े रहे. जब भी उनके हितों को लेकर कोई समस्या होती, खड़गे उनके समाधान के लिए सबसे पहले खड़े रहते.
खड़गे का बेटा भी राजनीति में
खड़गे ने 1972 में राधाबाई से शादी की. उनके बेटे प्रियांक खड़गे भी राजनीति में कांग्रेस पार्टी की तरफ से सक्रिय हैं. प्रियांक कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के चित्तापुर विधानसभा सीट से विधायक हैं. वे 2 बार मंत्री भी रह चुके हैं. जब सिद्धारमैया सरकार में प्रियांक को मंत्री बनाया गया तो खड़गे पर वंशवाद को बढ़ाने का आरोप भी लगा. बहरहाल, उन्होंने कांग्रेस पार्टी के प्रति अपनी वफादारी कभी नहीं छोड़ी और आज उन्हें इसका फल भी मिल गया.
खड़गे के पास कितनी संपत्ति?
कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2019 के लोकसभा चुनाव में जो एफिडेविट दिया था, उसके अनुसार उनके पास कुल 15,77,22,896 रुपये की चल-अचल संपत्ति है. इसमें उनके पास 2,46,46,334 की चल संपत्ति और 13,30,76,563 रुपये की अचल संपत्ति है. उन्होंने बताया था कि उनके ऊपर 31,22,000 रुपये की देनदारी भी है. आपको जानकर हैरानी होगी कि उन्होंने उस हलफनामे में बताया था कि उनके पास कोई कार नहीं है.
अब राहुल गांधी की क्या होगी भूमिका
इस संबंध में राहुल गांधी ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि पार्टी प्रमुख ही तय करेंगे कि उन्हें क्या काम करना है. पार्टी प्रमुख द्वारा उन्हें जो काम सौंपा जाएगा, वे उसे पूरा करेंगे. राहुल गांधी वायनाड से सांसद हैं और कन्याकुमारी से लेकर जम्मू-कश्मीर तक पदयात्रा पर निकले हुए हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही एकमात्र ऐसी पार्टी है, जहां चुनाव के जरिए अध्यक्ष चुना जाता है. यहां हर सदस्य पार्टी प्रमुख के पास जाता है और वे जो फैसला करते हैं, उसे सभी मानते हैं.
थरूर ने अपनी हार स्वीकारी
शशि थरूर ने अपनी हार स्वीकार कर ली है. ऐसा माना जा रहा था कि खड़गे की जीत पहले से सुनिश्चित थी, क्योंकि उन्हें हाईकमान से सपोर्ट मिला हुआ था.कर्नाटक से 9 बार विधायक और कई बार सांसद रह चुके मल्लिकार्जुन खड़गे लंबे समय से गांधी परिवार के वफादार रहे हैं. उन्हें सबसे अधिक फायदा इसी बात का मिला. सोनिया गांधी भी उनपर पूरा भरोसा करता हीं.
जीत से पहले ही लग गए थे खड़गे के पोस्टर
पार्टी द्वारा आधिकारिक घोषणा से पहले ही श्री खड़गे के लिए बधाई पोस्टर उनके घर के बाहर देखे गए थे. इसके बाद से ही खड़गे की जीत तय मानी जा रही थी. शशि थरूर को अपनी हार का अंदेशा पहले ही चुका था, इसलिए उनकी टीम की तरफ से वोटिंग में धांधली की बात भी कही गई और काउंटिंग प्रभावित करने की कोशिश की गई, पर कोई फायदा नहीं हुआ और खड़गे ने एकतरफा जीत हासिल की.
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