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IBLF: The Heart of Work के लेखक ने कहा - दिल जीतने वालों को याद रखती है दुनिया
‘इंडिया बिजनेस लिटरेचर फेस्टिवल’ (IBLF) के दूसरे एडिशन का आयोजन गुरुग्राम में किया जा रहा है. इस दौरान विख्यात लेखक अपने विचार रख रहे हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
#IBLF देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ‘BW Business World’ द्वारा ‘इंडिया बिजनेस लिटरेचर फेस्टिवल’ (IBLF) के दूसरे एडिशन का आयोजन गुरुग्राम स्थित The Leela होटल में किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में देश-विदेश के शीर्ष लेखक, शिक्षाविद, विद्वान और प्रकाशक शामिल हो रहे हैं. The Heart of Work किताब के लेखक एसवी नाथन ने इस दौरान कई प्रेरणादायक रियल लाइफ कहानियां सुनाईं. उन्होंने यह भी बताया कि एक सफल जीवन के लिए क्या-क्या जरूरी है.
मिलते हैं कई सबक
NewsX के एसोसिएट एडिटर उदय प्रताप सिंह के साथ चर्चा से पहले लेखक और Deloitte India के चीफ टैलेंट ऑफिसर एसवी नाथन ने अपनी किताब The Heart of Work के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि इस किताब में ऐसी घटनाओं का जिक्र किया गया है, जिनसे हमें लाइफ से जुड़े कई सबक मिलते हैं. नाथन खुद को एक्सीडेंटल राइटर मानते हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं कुछ लिखूंगा, लेकिन फिर मुझे लगा कि मेरे पास ऐसा बहुत कुछ है जिसे दूसरों के साथ शेयर करना चाहिए'.
2 दिनों तक चला इंटरव्यू
एसवी नाथन ने अपनी पहली नौकरी का जिक्र करते हुए अपने अनुभव और पहली सीख के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि मैं उन दिनों ICI में नौकरी करता था. कम ही लोग जानते होंगे कि यही कंपनी Savlon बनाती है. मुझे 2 दिन के इंटरव्यू के बाद ICI में नौकरी मिली थी. शुरुआत में ही मुझे बिहार की एक छोटी सी जगह जाने को कहा गया. वहां मुझे चीफ एग्जीक्यूटिव से मिलना था. ट्रेन से वहां पहुंचने के बाद मैं काफी देर तक स्टेशन पर इंतजार करता था, लेकिन कोई लेने नहीं आया. मेरा पारा चढ़ता जा रहा था. तभी एक कार आकर रुकी और उसमें से बढ़िया कपड़ों में एक शख्स उतरा. मुझे लगा वो ड्राइवर है, मैंने अपना सामान उसे थमाया और पिछली सीट पर बैठ गया. उसने गाड़ी स्टार्ट की और हम 15 मिनट में गेस्ट हाउस पहुंच गए.
ऐसे मिला पहला लेसन
सफर के दौरान वो मुझसे कई सवाल पूछता रहा, मुझे एक ड्राइवर का सवाल पूछना अच्छा नहीं लगा. खैर, अगले मुझे अगले दिन वहां से चीफ एग्जीक्यूटिव से मिलना था. मैं मीटिंग टाइम से पहले ही वहां पहुंच गया था, जब मैं चीफ एग्जीक्यूटिव के केबिन में पहुंचा तो उनका चेहरा दीवार की तरफ था, जब वो पलटे तो मैं दंग रह गया. मैं जिसे देख रहा था, वो वही ड्राइवर था. मेरे होश उड़ गए थे, जिसे मैं ड्राइवर समझ रहा था वो चीफ एग्जीक्यूटिव थे. हालांकि, उन्होंने उस घटना के बारे में कोई जिक्र नहीं किया. जाते-जाते उन्होंने केवल इतना कहा - एजुकेशन को कपड़ों की तरह नहीं पहना जाना चाहिए. वो मेरा पहला लेसन था humility पर.
बात रखना जरूरी
इसके बाद उन्होंने एक और कहानी सुनाते हुए कहा कि हमें अपनी बात हर हाल में रखनी चाहिए, फिर भले ही सामने कोई भी क्यों न हो. बोलना जरूरी है, सही समय, सही जगह पर बोलना जरूरी है. जब उदय प्रताप सिंह ने एसवी नाथन से पूछा कि उन्होंने अपनी किताब का टाइटल हार्ट ऑफ वर्क क्यों रखा, तो उन्होंने इसका क्रेडिट अपने एडिटर को दिया. EI यानी इमोशनल इंटेलिजेंस के सवाल पर उन्होंने एक कहानी सुनाई. उन्होंने अपने बॉस के बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें सबकुछ परफेक्ट चाहिए होता था. परफेक्ट कपड़े, परफेक्ट जूते - सबकुछ परफेक्ट. एक दिन इंटरव्यू के लिए एक सज्जन ऑफिस पहुंचे, उन्होंने धोती और टी-शर्ट पहन रखी थी. मुझे लगा आज तो बॉस गुस्से से लाल हो जाएंगे. मैं नहीं चाहता था कि वो अंदर जाए, लेकिन बॉस ने उसे अंदर बुलाया, लंबा इंटरव्यू चला.
हमेशा सीखते रहें
इंटरव्यू के बाद उस शख्स ने बताया कि उसकी मां का आज सुबह ही निधन हुआ है, क्योंकि उसने आज इंटरव्यू के लिए हामी भरी थी, इसलिए आना जरूरी थी. वो सीधे अंतिम संस्कार से इंटरव्यू देने पहुंचा था, इसलिए कपड़े नहीं बदल पाया. तब मैंने जाना कि इमोशनल इंटेलिजेंस क्या है. मैं जो नहीं देख सका, शायद मेरे बॉस ने वो देख लिया. किसी को आब्जर्व करना इमोशनल इंटेलिजेंस का हिस्सा है. उदय प्रताप सिंह ने एसवी नाथन से पूछा कि इमोशन और वर्क में बैलेंस कैसे बनाएं? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'हमेशा सीखते रहना चाहिए, दूसरों को देखकर, पढ़कर, लर्निंग जरूरी है. उन्होंने अपने मैनेजर का जिक्र करते हुए कहा कि नौकरी के शुरुआती दिनों में उनकी वजह से मेरी नौकरी बची, तब मैंने जाना कि लीडरशिप क्या होती है.
दिल जीतना महत्वपूर्ण
एसवी नाथन ने कहा कि जो व्यक्ति दिल जीतता है, उसे लोग हमेशा याद रखते हैं. कई सफल सीईओ हैं, लेकिन ऐसे CEOs को कर्मचारी हमेशा याद रखते हैं, जो हमेशा उनके करीब रहे. आपको किससे खुशी मिलती है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'पौधे को बड़ा होते देखकर, फूलों को खिलता देखकर, जब टीम के सदस्य कुछ अच्छा करते हैं, तो मुझे खुशी मिलती है'. एसवी नाथन ने अपनी एक कर्मचारी की कहानी भी सुनाई. उन्होंने बताया कि सुनीता नाम की एक एम्प्लोयी अच्छा परफॉर्म नहीं कर पा रही थी. उसके मैनेजर ने उसे नौकरी से निकालने की बात कही. जब मुझे पता लगा तो मैंने उससे बात की. उसने बताया कि उसकी मां को कैंसर है, इस वजह से उसका ध्यान काम पर नहीं रहा. मैंने उसे एक मौका और दिया, इसके बाद जब साल के अंत में हमने कर्मचारियों के प्रदर्शन की समीक्ष की, तो वह टॉप पर थी. इस कहानी को बताने का तात्पर्य यह है कि हमें लोगों की बात भी सुननी चाहिए और उन्हें एक मौका देना चाहिए.
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