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माधोपुर का घर’ एक उपन्यास है जो तीन पीढ़ियों की कहानी कहता है: त्रिपुरारी शरण
माधोपुर का घर’ एक उपन्यास है जो तीन पीढ़ियों की कहानी कहता है: त्रिपुरारी शरण
माधोपुर का घर एक ऐसा उपन्यास है, जिसे नई विधा में लिखा गया है साथ ही इसे बेहद रोचक तरीके से लिखा गया है. ये एक ऐसी कहानी है जिसमें कई दिलचस्प किरदार हैं जो कहानी को और मार्मिक बना देते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो
8 months ago
समाज में घटित होने वाली घटनाओं को एक नए रोचक तरीके से सामने लाता उपन्यास ‘माधोपुर का घर’ एक दिलचस्प कहानी है. इस उपन्यास को बिहार के पूर्व चीफ सेक्रेट्री और कई अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहे त्रिपुरारी शरण ने लिखा है. माधोपुर का घर समाज के उन अनछुए पहलुओं को आपके सामने लेकर आता है, जिसे आपने शायद अभी तक नहीं पढ़ा होगा. इस पुस्तक पर दिल्ली के आईआईसी में एक व्याख्यान आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में इसके लेखक त्रिपुरारी शरण, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अनामिका और उपन्यासकार वंदना राग मौजूद रहीं.
लेखक बोले एक नई विधा में लिखी है पुस्तक
‘माधोपुर का घर’ को लेकर त्रिपुरारी शरण कहते हैं कि ये एक ऐसा उपन्यास है जो तीन पीढ़ियों के इतिहास को कहता है. इसमें समाज और व्यक्ति के इतिहास को मिलाकर अपनी कहानी कहता है. इसे एक नए तरीके से पेश करने की कोशिश की गई है. इसके पात्रों के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि, इसमें एक बाबा हैं, एक दादी हैं और एक लोरा है जो एक डॉग है. जो इसकी मुख्य पात्रा है जो कहानी कहती है. अब कहानी में क्या गुण है और क्या अवगुण है ये आपको कहानी को पढ़ने के बाद ही पता चलेगा. इस पुस्तक को लिखने के उद्देश्य के बारे में बताते हुए वो कहते हैं कि, जिसे मैंने देखा है, सुना है, उसे अपने पाठकों तक उसे अपनी व्याख्या और विश्लेषण के साथ पहुंचा पांऊ. उन्होंने ये भी कहा कि मैंने इसे इस तरीके से पहुंचाने की कोशिश की है, जिससे पाठक के दिल तक ये बात पहुंच पाए. उन्होंने बताया कि इस पुस्तक को लिखने में उन्हें 2 साल का समय लगा.
उनकी सबसे बनती है लेकिन घर में नहीं बनती
लेखक अनामिका ‘माधोपुर का घर’ के बारे में अपनी बात रखते हुए कहती हैं कि बड़े किसानों का अपने परिवेश के वंचित किसानों से जो खट्टा-मीठा रिश्ता होता है, खासकर मुसलमानों से या नीची जाति के लोगों से एक सौहार्द का रिश्ता बन जाता है, जो बातें वो घर पर नहीं कर पाते हैं वो बाहर उनके साथ दिखा देते हैं. अनामिका कहती हैं कि इस पक्ष पर अभी तक कम लिखा गया है. जमींदारों के अन्याय की कहानी तो बहुत लिखी गई है, लेकिन ये जो अनदेखा पक्ष है उस पर कम लिखा गया है, किसी प्रधान इलाके में कोई आदमी है वो छोटे-छोटे उद्योग करता है लेकिन बाहर वो विफल होता है, उसकी विफलता का जो इतिहास है उसकी भी एक करुण कहानी है. इस कहानी में जो बाबा है वो कई तरह के उपक्रम करते हैं, कभी गन्ना लगाते हैं, कभी डेयरी चलवाते हैं, लेकिन वो फेल होता रहता है, लेकिन उन सबका परिताप उनके घरेलू रिश्तों पर पड़ता है. कुत्ते को प्यार करते हैं, पड़ोस के लोगों को प्यार करते हैं लेकिन घर में तनातनी है. ये इस उपन्यास का अजीब पहलू है जो दिखाई देता है.
माधोपुर का घर पर क्या कहती है वंदना राग?
मुझे लगता है कि माधोपुर का घर एक रूपक है. ये सिर्फ एक लेखक की कहानी नहीं है, ये टूटते हुए समाज की कहानी है और बाद में पुनर्सृजित होते समाज की कहानी है. परिवार की कहानी उतनी ही है, जितनी देश की कहानी है. लेखक ने एक लंबे समयकाल को इसमें संजोने की कोशिश की है. देश में जितनी भी घटनाएं हुई, जिन्होंने हमें तोड़ा, सृजत किया, ये उन सबका आख्यान है. उन्होंने ये भी कहा कि पुस्तक में कई ऐसे पहलुु हैं जो पहली बार पाठकों के सामने आ रहा है.पुस्तक आज के मौजूदा समय में एक गंभीर संदेश देती है.
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