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निरंतर बढ़ रही है बिजनेस की दुनिया में 'हिंदी' भाषा की सक्रियता

कुछ अंग्रेजी के दबाव व कुछ अंतर्विरोधों के कारण हिंदी कुछ समय के लिए दबी जरूर रही लेकिन अब हिंदी की स्थिति लगातार बहुत अच्छी होती जा रही है. 

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago

सीमाराम गुप्‍ता मन द्वारा उपचार’ पुस्‍तक के लेखक और कई भाषाओं के जानकार 

कहा जाता है कि आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है. यदि किसी चीज की आवश्यकता ही नहीं होगी तो उसका आविष्कार भी नहीं होगा और आविष्कार हो गया तो वो व्यर्थ जाएगा. समाज को उसका कोई लाभ नहीं होगा. इसी आवश्यकता के अंतर्गत दुनिया में अनेक भाषाओं और भाषा शैलियों का विकास हुआ और अब भी हो रहा है. व्यावसायिक दृष्टि से ये और भी महत्त्वपूर्ण है. यदि हिंदी के संदर्भ में देखें तो यह आज पहले से अधिक महत्त्वपूर्ण व प्रासंगिक हो गया है जिसकी उपेक्षा असंभव है. हिंदी का विकास किसी विवशता के कारण नहीं हुआ. यह स्वाभाविक रूप से स्वतः विकसित एक महत्त्वपूर्ण भाषा है. जब किसी आवश्यकता के लिए किन्हीं नई भाषाओं अथवा भाषा शैलियों का विकास संभव है तो ऐसे में हिंदी जैसी स्थापित भाषा की स्थिति तो पहले से ही अत्यंत सुदृढ़ है.

हिंदी सिर्फ व्‍यवहार की नहीं, बल्कि व्‍यापार की भी भाषा बन चुकी है
कुछ अंग्रेजी के दबाव व कुछ अंतर्विरोधों के कारण हिंदी कुछ समय के लिए दबी जरूर रही लेकिन अब हिंदी की स्थिति लगातार बहुत अच्छी होती जा रही है. यह भारतीय संस्कृति व हिंदी साहित्य के साथ-साथ विश्व व्यापार की भाषा भी बन चुकी है. आज भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन चुका है. दुनिया के इस सबसे अधिक आबादी वाले देश में हिंदी न केवल सबसे अधिक लोगों द्वारा व्यवहार में लाई जाती है अपितु आपसी संपर्क की भी एकमात्र भाषा है. इसलिए स्वाभाविक रूप से हिंदी का बहुत अधिक महत्त्व है. जब भारत विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश है तो विश्व व्यापार की दृष्टि से भी बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है. इससे देश की प्रमुख भाषा हिंदी की उपयोगिता स्वतः बढ़ जाती है.

पूरी दुनिया के कारोबारी हिंदी सीखने को उत्‍सुक हैं
भारत एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक देश है. अपने व्यक्तिगत स्वार्थ और लाभ के लिए ही सही लेकिन दुनिया के लोग हिंदी को महत्त्व देने लगे हैं जो हिंदी के अधिकाधिक विकास के लिए एक अच्छा अवसर है. हिंदी के विकास के लिए इस अवसर का लाभ उठाना अनुचित नहीं होगा. जिस प्रकार से पिछले एक-डेढ़ दशकों में चीन से सामान लाने वाले व्यापारियों ने चीनी भाषा सीखने और व्यवहार में लाने के प्रयास किए हैं उसी प्रकार से आज पूरी दुनिया के लोग हिंदी सीखने और उसे व्यावहार में लाने के लिए उत्सुक हैं. यदि हिंदी सीखने के लिए इन व्यक्तियों की मदद की जाए तो हिंदी के विकास के लिए ये एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा. इससे हिंदी में क्रांतिकारी परिवर्तन हो सकते हैं. आज व्यापार में हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है. व्यापार में ही नहीं अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी हिंदी का प्रयोग दुनिया की अन्य भाषाओं की तरह ही किया जा रहा है.

विज्ञापन की दुनिया में हिंदी का है एकाधिकार 
संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी के प्रयोग का बीजारोपण बहुत पहले ही हो चुका है. हमारे देश के प्रधानमंत्री दुनिया में जहां भी जाते हैं हिंदी भाषा ही व्यवहार में लाने का प्रयास करते हैं जो हिंदी की प्रतिष्ठा बढ़ाने के साथ-साथ इसे वैश्विक स्तर पर स्वीकृति दिलवाने के लिए भी महत्त्वपूर्ण है. जी-20 में जिस स्तर पर हिंदी का प्रयोग किया गया वह हिंदी को व्यवसायिक जगत में महत्त्व दिलाने के लिए पर्याप्त होगा. विज्ञापन व्यावसायिक जगत का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है. विज्ञापन जगत की बात करें तो भारत में हिंदी का एकाधिकार स्थापित हो चुका है. देश-दुनिया के सभी उत्पादों को हम हिंदी में जान सकते हैं. इससे उत्पादों को बड़ा बाज़ार मिलने के साथ-साथ हिंदी का विकास भी हो रहा है. हिंदी की व्यावसयिक जगत में पहुंच बढ़ रही है. हम कह सकते हैं कि व्यावसायिक जगत में हिंदी की सक्रियता व वर्चस्व निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं. यह हिंदी भाषा और व्यावसायिक जगत दोनों के लिए प्रसन्नता की बात है.


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