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युवाओं के लिए संजीवनी बूटी है फजले गुफरान की किताब ‘मेरे राम सबके राम’!
अगर सच में समाज में ‘राम-राज्य’ लाना है, तो श्रीराम को आध्यात्मिक रूप से देखना और समझना बेहद जरूरी है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
भारत में किसी से दुआ-सलाम करनी हो तो अक्सर ‘राम-राम’ कह दिया जाता है. इस छोटी सी बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ‘राम’ का नाम हमारे जीवन में कितनी गहराई तक बसा हुआ है. लेकिन अक्सर ही ‘राम’ नाम राजनीति के गलियारों में भी गूंजता सुनाई देता है. ऐसे में कभी-कभी लगता है कि आखिर राम हैं किसके? इन्हीं सवालों को तलाशने की कोशिश में हमने कई किताबें पढ़ी और इसी कड़ी में वरिष्ठ पत्रकार और लेखक, फजले गुफरान की किताब ‘मेरे राम सबके राम’ को पढ़ने का मौका मिला.
राम नाम का सच्चा अर्थ
फजले गुफरान की किताब को पढ़ते हुए राम नाम का सच्चा अर्थ और उसकी व्याख्या तो समझ आते ही हैं साथ ही यह भी समझ आता है कि राम को सिर्फ एक संप्रदाय से जोड़कर नहीं देखा जा सकता. अगर समाज में ‘राम-राज्य’ लाना है, तो श्रीराम को आध्यात्मिक रूप से देखना और समझना बेहद जरूरी है. किताब में आपको श्रीराम से जुड़े कई सवालों के जवाब तो मिलेंगे ही, साथ ही उनकी वंशावली से लेकर राम मंदिर से जुड़े कई रोचक किस्सों को इस तरह से गढ़ा गया है कि आप इस किताब से आंखें नहीं हटा पाएंगे.
विदेशों में श्रीराम
वैसे तो श्रीराम का स्वरूप इतना ज्यादा बड़ा है कि आपने उनके कई स्वरूपों के दर्शन किताबों, फिल्मों और नाटकों के जरिए किए ही होंगे. लेकिन असल में राम के आदर्शों, जीवन मूल्यों और उनकी सत्यनिष्ठा से रूबरू कराती इस किताब से हमें विदेशों में ‘राम’ नाम का महत्व जानने का मौका भी मिलता है. किताब पढ़कर गर्व महसूस हुआ कि हमारा देश कितना महान है, जिसके राम दुनिया के हर देश के राम हैं.
युवाओं के लिए संजीवनी बूटी
'मेरे राम सबके राम' में कई ऐसे सवाल भी उठाए गए हैं कि क्या कलियुग में राम राज्य लाना मुमकिन है? क्या हम श्रीराम की तरह कड़े संघर्षों से गुज़रकर आजीवन आदर्शों का पालन कर सकते हैं? कई ऐसे सवालों के जवाब बहुत ही सरल और सीधे तरीके से दिए गए हैं. इस किताब को पढ़कर लगा कि लेखक ने किताब की हर कथा और कथन को बेहद गहराई से समझाने की कोशिश की है. किताब आज के युवाओं के लिए संजीवनी बूटी है, जिसे पढ़कर वह असल राम की पहचान कर पाएंगें.
भारत और श्रीराम
प्रभात प्रकाशन के सौजन्य से प्रकाशित हुई इस किताब में लेखक फजले गुफरान ने भारतीय संविधान के संदर्भ में भी श्रीराम के आदर्शों को बड़े अच्छे तरीके से उकेरा है. श्रीराम के शासन को भारतीय परिप्रेक्ष्य में जिस तरह से पेश किया है, आम आदमी को उसे समझने की बहुत ज्यादा जरूरत है और किताब में इसे बेहतरीन ढंग से पेश किया गया है. किताब में श्रीराम के पौराणिक किस्से और कहानियों की बजाय उनके इतिहास को साक्ष्यों के आधार पर प्रस्तुत किया है. इसे पढ़कर श्रीराम का इतिहास समझ आता है.
क्यों किसी एक के नहीं हैं राम?
लेखक फजले गुफरान ने इस किताब में श्रीराम को हर इंसान से जोड़ने की कोशिश की है और किताब का शीर्षक मेरे राम सबके राम इस बात को सिद्ध करता है. वैसे भी राम किसी एक संप्रदाय के हो ही नहीं सकते क्योंकि उनके आदर्शों को पूरी दुनिया मानती है. अगर आप राम को अलग नजरिए से जानना चाहते हैं, तो यह बेहतरीन किताब है, जिसे आपको जरूर पढ़ना चाहिए.
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