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आखिर क्या होता है खसरा, क्यों भारत के पांच राज्यों में फैल रही है ये बीमारी
केन्द्र सरकार ने खसरा और रूबेला जैसी बीमारी को अगले साल दिसंबर तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
कोरोना बीमारी भले ही चली गई हो लेकिन इस बीमारी के कारण जो सबकुछ रूका उसके दुष्परिणाम अब सामने आ रहे हैं.कोरोना बीमारी के कारण पूरी दुनिया में करोड़ों बच्चों को वैक्सीन नहीं लग पाई, जिसके कारण अब हमारे देश के कई राज्यों में खसरा तेजी से फैल रहा है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर खसरा होता क्या है. आखिर इन राज्यों में ये मामले सामने क्यों आ रहें है.
क्या होता है खसरा
सीनियर पीडियेट्रिक डा प्रदीप कुमार कहते हैं कि खसरा बीमारी खसरा वायरस के कारण होती है. इस बीमारी का वायरस शरीर में जाने पर तेज बुखार, उल्टी-दस्त, शरीर में चकते और कान में संक्रमण जैसी बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं. डा प्रदीप कुमार कहते हैं कि डाक्टरों के मुताबिक ये बुखार बच्चों को आने वाले 10 दिनों तक रह सकता है. सीनियर पीडियेट्रिक डा प्रदीप कुमार कहते हैं कि सामान्य तौर पर इसमें बुखार, उल्टी और शरीर में चकते हो सकते हैं. जो सामान्य दवाओं से ठीक हो जाता है लेकिन अगर न हो तो आप उसे किसी नजदीकी सेंटर पर लेकर जाएं.
आखिर क्यों चर्चा में आई ये बीमारी
दरअसल पिछले कुछ दिनों में देश के कुछ राज्यों में इसके मामले सामने आए हैं. ये बड़ी संख्या में सामने आया है, बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गुजरात, महाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, हरियाणा और केरल में इसके मामलों में बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद केन्द्र सरकार सतर्क हुई और कई राज्यों में उसने अपनी टीम भेजी है.
आखिर क्यों बढ़े ये मामले
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इन मामलों में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि एक तो इन राज्यों में सामान्य राज्यों के मुकाबले पहले ही वैक्सीनेशन कम होता है. इनका औसत राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जिसके कारण इस तरह की परेशानी सामने आई है. इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह कोरोना के दौरान लाखों बच्चों में वैक्सीनेशन न होना भी रहा है. जिसे अब सरकार उन बच्चों को डोज देने पर विचार विचार कर रही है.
केन्द्र सरकार ने 2023 तक खत्म करने का रखा है लक्ष्य
केन्द्र सरकार ने खसरा और रूबेला जैसी बीमारी को अगले साल दिसंबर तक खत्म करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सरकार ने बकायदा कार्यक्रम भी बनाया हुआ है. इसे खत्म करने को लेकर इस साल नौ और दस मई को हमारे देश में एक उच्चस्तरीय बैठक भी हो चुकी है. हमारे देश में अभी तक 89 प्रतिशत बच्चों को पहली डोज जबकि 82 प्रतिशत बच्चों को दूसरी डोज दी जा चुकी है. सरकार का मानना है कि वो इस लक्ष्य को हासिल कर लेगी.
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