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चीन में रिकॉर्ड हाई कोविड संक्रमण का इकोनॉमी पर क्या असर? बुरे हैं हालात
चीन की अर्थव्यवस्था की हालत खराब होती जा रही है, फिर भी वहां की लीडरशिप जिद पर अड़ी हुई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
बीजिंग: चीन में गुरुवार को COVID-19 वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में काफी उछाल देखने को मिला. इसका नतीजा ये हुआ कि कई शहरों में लोकल लेवल पर लॉकडाउन और अन्य प्रतिबंध लगाए दिए गए. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए यह लॉकडाउन कतई अच्छा संकेत नहीं दे रहे.
Zero-COVID policy पर टिका चीन
शंघाई में संक्रमण की दर इतनी तेजी से बढ़ रही है कि साल के शुरुआती आंकड़े को भी पार कर गई है. इस वजह से निवेशकों की उस उम्मीद को तगड़ा झटका लगा है, जिसमें वे इस बात का इंतजार कर रहे थे कि चीन Zero-COVID policy में नरमी बरतेगा. लेकिन तेजी से बढ़ते मरीजों की संख्या के बाद अब इस बात की उम्मीद फिलहाल नहीं बची है. इसका नकारात्मक असर प्रोपर्टी मार्केट पर भी देखने को मिला है, जिससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हो रहा है.
उत्पादन पर गहरा असर पड़ा
नए प्रतिबंधों के बाद चीन के निवासियों में भी निराशा तेजी से बढ़ी है और दुनिया के सबसे बड़े आईफोन प्लांट सहित अन्य कारखानों में उत्पादन पर भी असर पड़ा है. इस असंतोष के कारण मजदूरों और सुरक्षा कर्मियों के बीच हिंसक झड़पें भी देखने को मिल रही हैं. चीन की इकोनॉमी को इतना नुकसान हो रहा है कि ब्रोकरेज ने भी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के पूर्वानुमान को चौथी तिमाही के लिए 2.8 प्रतिशत से घटाकर 2.4 प्रतिशत कर दिया है और पूरे वर्ष के विकास के पूर्वानुमान को 2.9 प्रतिशत से घटाकर 2.8 प्रतिशत कर दिया है.
इकोनॉमी को इतना तगड़ा नुकसान
इकोनॉमी को इतना तगड़ा नुकसान हो रहा है, बावजूद इसके चीन का लीडरशिप अभी भी अपनी शून्य-कोविड नीति पर अड़ा हुआ है, जिसमें दुनिया के कुछ सबसे सख्त प्रतिबंध शामिल हैं. इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि जीवन को बचाने और मेडिकल सिस्टम को चरमराने से रोकने के लिए ऐसा करना बहुत जरूरी है. हालांकि, लीडरशिप ने इस बात को स्वीकार किया है कि चीन की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही है. इसे ध्यान में रखते हुए कैबिनेट ने कहा कि चीन के बैंक नकदी भंडार में समय पर कटौती का उपयोग करेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए अन्य मौद्रिक नीति उपकरणों का उपयोग करेंगे कि पर्याप्त तरलता बनी रहे.
शेयर बाजार में भी दिखा असर
चीन ने बुधवार को कोविड के 31,444 नए मामले दर्ज किए, जिसने 13 अप्रैल के रिकॉर्ड को भी तोड़ दिया. उस वक्त शंघाई में लॉकडाउन चल रहा था. इसका असर ये हुआ कि गुरुवार को चीन के शेयर मार्केट में भी गिरावट देखने को मिली. चीन ने हाल ही में मास टेस्टिंग और क्वारंटीन को लेकर बनाए गए नियमों में कुछ ढील देनी शुरू कर दी है. इसके जरिए वह शंघाई के 25 मिलियन निवासियों पर लॉकडाउन के होने वाले असर को कम करने की कोशिश कर रहा है.
GDP का पांचवां हिस्सा लॉकडाउन की भेंट चढ़ रहा
हाल में, चीनी शहर के लोग अक्सर अघोषित लॉकडाउन का शिकार हो रहे हैं. उदाहरण के लिए, बीजिंग में कई निवासियों ने कहा कि उन्हें हाल के दिनों में तीन दिन के लॉकडाउन की सूचना मिली थी और अपने घरों से नहीं निकलने के लिए कहा गया था. नोमुरा के विश्लेषकों का अनुमान है कि चीन के कुल GDP का पांचवां हिस्सा लॉकडाउन के तहत है, जो ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के आकार से भी बड़ा है. नोमुरा के विश्लेषकों ने लिखा है, "शंघाई स्टाइल के पूर्ण लॉकडाउन से बचा जा सकता है और शहरों में बढ़ते मामले के बीच उन्हें आंशिक लॉकडाउन में बदला जा सकता है." बैंकों ने भी अगले साल के लिए अपने GDP के विकास के अनुमान को भी 4.3 प्रतिशत से घटाकर 4.0 प्रतिशत कर दिया है.
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