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मौजूदा टीआरपी सिस्टम बंद होना चाहिए, इसे सोशल मीडिया आधारित होना चाहिए : जगदीश चंद्रा
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा टीआरपी सिस्टम का कोई आधार नहीं है, इसे पूरी तरह से सोशल मीडिया पर आधारित होना चाहिए.
ललित नारायण कांडपाल 8 months ago
समाचार4मीडिया के मीडिया संवाद 2023 कार्यक्रम में कई नामी पत्रकारों ने ‘मीडिया की चुनौती’ विषय पर अपनी बात कही. इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार जगदीश चंद्रा ने अपनी बात कहते हुए दो प्रमुख बातें कहीं. उन्होंने कहा कि सरकार को छोटे चैनलों के लिए पैकेज की घोषणा करनी चाहिए और उन्होंने टीआरपी पर तल्ख टिप्पड़ी करते हुए इसके अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिया. उन्होंने इसका विकल्प भी सुझाया.
मीडिया की राजधानी बनकर उभरा है नोएडा
‘भारत 24’ के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्रा ने कहा कि प्रतिभा की कोई सीमाएं नहीं होती हैं. उन्होंने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस उन्हें मौका मिलना चाहिए. तो पिछले कुछ समय में नोएडा मीडिया की राजधानी के तौर पर उभरकर सामने आया है. इससे काफी प्रतिभाओं का सम्मान मिला है. उन्होंने कहा कि नोएडा में एक दो दर्जन चैनल आए लेकिन वो नहीं चल पाए. पूरे नोएडा को जब मैं देखता हूं तो उसमें मुझे उन पत्रकारों की आवाज भी दिखाई देती है, जो चैनल को चला नहीं पाए. वो आज या तो गांव लौट गए या कुछ और कर रहे हैं.
बीमारु चैनलों के लिए मेरा सुझाव
‘भारत 24’ के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्रा ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती मुझे ये लगती है कि जब मैं ईटीवी में था, कई मेरे मित्र थे तो अपना चैनल खोलना चाहते थे. बहुत समझाया मत जाओ मृत्यु का रास्ता है, पिछले जन्म में जो पाप करता है वो चैनल खोलता है, पत्रकार बनना अच्छा है लेकिन अपना चैनल चलाना बहुत चुनौतीपूर्ण है. वो लोग नहीं माने हुआ वही जो मैने कहा था. उन्होंने कहा कि वो जयपुर की चुनौतियां मुझे आज भी सुनाई देती है. मैने एक सुझाव दिया कि जितने भी चैनल बीमारु हो गए हैं, जिनकी संख्या कुल चैनलों की संख्या से आधी रह गई है. सरकार ऐसा पैकेज लाए उन पत्रकारों के लिए जो आज बेरोजगार हो चुके हैं. आप एक मानदंड लेकर आओ एक चैनल पांच साल से लॉस चल रहा है, उस चैनल के लॉस में चलने का असर उसके पत्रकार पर पड़ रहा है.
सरकार तय कर ले, 200 चैनल हैं जो रिकवर नहीं हो सकते हैं. उनके पत्रकारों को 20-25 लाख रुपये देकर ससम्मान विदा कर दीजिए. इस बात को लेकर कोई आलोचना करे, या ट्रोल करे तो वो करता रहे. जब हम बड़े चैनल की बात करते हैं इसमें एलीट क्लास हैं और दूसरे बीपीएल चैनल हैं, मैं अपने आप को बीपीएल चैनल मान लेता हूं, इनके पास फ्री डिश भी है 15 करोड़ का, 100 करोड़ का डिस्ट्रीब्यूसन भी है. लेकिन मैं इतना कहना चाहूंगा कि कितना भी बड़ा नेटवर्क है, वो सोचता जरूर होगा. मेरा मानना है कि 15 करोड़ का फ्री डिश और 100 करोड़ का डिस्ट्रीब्यूसन,इन्होंने नए चैनल की प्रतिभा को बाहर आने से रोक दिया है. फ्री डिश को सरकार को फ्री कर देना चाहिए. सूचना प्रसारण मंत्रालय का बजट 400 से 500 करोड़ है. अनुराग ठाकुर को कहना चाहिए कि ये 500 करोड़ रुपये मैं जनहित में सरेंडर करता हूं. इसका फायदा तो पब्लिक को मिलेगा.
रेटिंग सिस्टम पर भी लगनी चाहिए रोक
‘भारत 24’ के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ जगदीश चंद्रा ने रेटिंग पर सवाल उठाते हुए कहा कि रेटिंग सिस्टम को खत्म कर दो. टीआरपी हमें ये करने पर मजबूर करती है जिसमें यूक्रेन चलेगा, एक घंटे पाकिस्तान चलेगा. मैं कहता हूं न्यूज कहा है. मेरा कहना है कि सरकार ये दो काम कर दे. उन्होंने इसका विकल्प सुझाते हुए कहा कि आपको रेटिंग करनी है तो आप उसे सोशल मीडिया पर आधारित कर दो. पुराना सिस्टम बहुत खराब सिस्टम है. इसका मैं एक उदाहण देना चाहता हूं. हमारे वहां रूबिका लियाकत ने ज्वॉइन किया. वो 6 बजे का और 9 बजे का बुलेटिन करती हैं. जिस दिन उन्होंने ज्वॉइन किया उस दिन हमारी सोशल मीडिया पर प्रजेंस हजार गुना हो गई.
वो 9 से 9000 हो गई. सोशल मीडिया यथार्थ हो गई. उन्होंने कहा कि मैंने इसे लेकर बार्क के सीईओ से मुलाकात की और पूछा कि एक आदमी की सोशल मीडिया पर हमारे वहां प्रजेंस 9 से 9000 हो गई. लेकिन वो आपके सिस्टम में नहीं दिखाई दी. कई हफ्ते तक आपके वहां वो फीगर में दिखाई नहीं देता है. उन्होंने अपनी टीम को बुलाया, उन्होंने कहा इसका कारण पता नहीं चल पा रहा है. यही सबसे खराब सिस्टम है.
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