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बड़ा सवाल: क्या विदेशी प्रोपेगेंडा की शिकार हुईं हैं MDH और Everest?
भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका, हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव को लगभग 69.25 करोड़ डॉलर के मसालों का निर्यात किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 weeks ago
भारतीय मसालों की पूरी दुनिया दीवानी है. चीन से लेकर थाईलैंड तक हमारे मसाले लोगों के खाने का जायका बढ़ा रहे हैं. भारतीय कंपनियां सालों से दुनिया के तमाम देशों में अपने मसाले भेज रही हैं और इसकी डिमांड लगातार बढ़ी है. ऐसे में MDH और Everest के खिलाफ सिंगापुर और हांगकांग में हुई कार्रवाई कई सवाल खड़े करती है. एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या हमारी इन दिग्गज कंपनियों को जानबूझकर निशाना बनाया गया है, ताकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को धूमिल किया जा सके? क्या वैश्विक स्तर पर MDH और Everest के बढ़ते कारोबार को प्रभावित करने के लिए कोई साजिश रची गई है?
क्या ऐसी गलती हो सकती है?
MDH और Everest स्पाइस इंडस्ट्री की दिग्गज कंपनियां हैं और अंतर्राष्ट्रीय कारोबार की माहिर खिलाड़ी हैं. ऐसे में यह मानना थोड़ा मुश्किल है कि विदेशों के सख्त फूड सेफ्टी स्टैण्डर्ड की जानकारी होने के बावजूद वह कोई ऐसी गलती कर सकती हैं, जिससे उनका कारोबार और प्रतिष्ठा दांव पर लग जाए. सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग का दावा है कि इन कंपनियों के उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की काफी अधिक मात्रा पाई गई है, जो कैंसर की वजह बन सकता है. इसके चलते इन देशों ने MDH और एरेस्ट के उत्पादों पर बैन लगा दिया है. वहीं, अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडिमिनिस्ट्रेशन (FDA) भी MDH और एवरेस्ट के उत्पादों की जांच कर रहा है. साथ ही ऑस्ट्रेलिया की एजेंसियां भी इस मामले को लेकर हरकत में आ गई हैं.
180 देशों में जाते हैं मसाले
इलायची, मिर्च, धनिया, जीरा, हल्दी, अदरक, लहसुन, मेथी, सरसों और काली मिर्च सहित 75 से अधिक किस्मों के मसालों के साथ वैश्विक उत्पादन में भारत का योगदान एक तिहाई से अधिक है. हमारे प्रमुख मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान और तमिलनाडु हैं. 2020-21 में महामारी के प्रभाव के बावजूद, भारत का मसालों का निर्यात पिछले दस वर्षों में तीन गुना से अधिक बढ़ गया है. 225 विशिष्ट किस्मों के भारतीय मसाले और मसाला उत्पाद दुनिया भर के 180 से अधिक देशों में भेजे जाते हैं. ऐसे में हमारी दो दिग्गज कंपनियों को निशाना बनाकर देश के पूरे मसाला उद्योग पर सवाल खड़े किए जा सकते हैं.
यह भी गौर करने वाली बात
विदेशों में हमारी कंपनियों को जानबूझकर निशाने की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं. लिहाजा, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि किसी सोची-समझी साजिश के तहत MDH और Everest के उत्पादों पर सवाल खड़े किए गए हों. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि जिन दो देशों में इन कंपनियों के उत्पादों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए गए हैं, वहां चीन का दबदबा जगजाहिर है. सिंगापुर ने इसी साल चीन के साथ बिजनेस बढ़ाने के लिए तीन MoU पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत सरकार भी अपने स्तर पर मामले की जांच कर रही है और जल्द ही यह स्पष्ट हो जाएगा कि आरोपों में इतना दम है, लेकिन इस पूरे एपिसोड से वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों की छवि जरूर प्रभावित हो सकती है.
...तो गंभीर हो जाएगी स्थिति
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRRI) की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशों में भारत का मसाला कारोबार काफी बड़ा है. ऐसे में यदि यूरोप, चीन और आसियान देश भी सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग की राह चलते हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. इन देशों सरकारों द्वारा कार्रवाई का मतलब होगा भारत के मसाला एक्सपोर्ट को 50 फीसदी से ज्यादा नुकसान. GTRRI का कहना है कि हर दिन नए देश भारतीय मसालों की क्वालिटी को लेकर चिंता जाहिर कर रहे हैं. लिहाजा इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
जल्द कदम उठाने की जरूरत
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आरोपों के चलते हांगकांग, सिंगापुर, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव के बाजारों में भारत का 70 करोड़ डॉलर यानी 5800 करोड़ का निर्यात दांव पर लगा हुआ है. GTRRI का मानना है कि भारत को क्वालिटी संबंधी मुद्दों को जल्द और पारदर्शिता के साथ हल करने की जरूरत है. भारतीय मसालों में दुनिया का विश्वास बनाए रखने के लिए त्वरित जांच और निष्कर्षों का पब्लिश होना काफी जरूरी हो गया है. जीटीआरआई के को-फाउंडर अजीत श्रीवास्तव ने कहा कि यदि यूरोपीय संघ बैन जैसा कोई कदम उठता है, तो स्थिति और खराब हो सकती है. इससे अतिरिक्त 2.5 अरब डॉलर के निर्यात पर असर हो सकता है. भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका, हांगकांग, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और मालदीव को लगभग 69.25 करोड़ डॉलर के मसालों का निर्यात किया है.
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