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विदेश में पढ़ रहे बच्चों के लिए वरदान है ये भारतीय स्कीम!

शिक्षा मंत्रालय की मानें तो विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में साल 2022 के दौरान 68% की वृद्धि देखने को मिली है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago

आजादी के बाद भारत के पास फॉरेन एक्सचेंजों की संख्या बहुत ही सीमित थी लेकिन लिबरलाइजेशन के बाद सब कुछ बदल गया. भारत ने ग्लोबल मार्केट में अपनी मौजूदगी को मजबूत किया और इकॉनमी की वृद्धि के लिए पूरी दुनिया में कैपिटल का फ्लो बहुत ही जरूरी हो गया. इसे देखते हुए भारत के केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने LRS (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) की शुरुआत की. LRS एक ऐसी स्कीम है जो भारत में रह रहे लोगों को देश से बाहर पैसे भेजने की मंजूरी देती है. इस स्कीम की मदद से आप बिना RBI की मंजूरी लिए ही एक वित्त वर्ष के दौरान 2,50,000 डॉलर्स यानी लगभग 2 करोड़ रुपये देश से बाहर भेज सकते हैं. इस स्कीम के तहत पैसे भेजने के लिए आपको बस दो शर्तों को पूरा करना होता है. पहली ये कि आपके द्वारा की जा रही ट्रांजेक्शन इस स्कीम के अनुसार मान्य होनी चाहिए और दूसरी ये कि ट्रान्सफर किये जा रही रकम, स्कीम में बताई गयी सीमा को पार न कर रही हो. 

कौन सी ट्रांजेक्शन्स को मिली है मंजूरी? 
LRS में मान्य ट्रांजेक्शन्स कुछ इस प्रकार से हैं: विदेशी विश्वविद्यालयों में उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को भेजे जा रहे पैसे, विदेश में चल रहे इलाज के लिए भेजे जा रहे पैसे, देश से बाहर रहने वाले रिश्तेदारों की देख रेख के लिए भेजे जा रहे पैसे, विदेशी सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करने के लिए भेजे जा रहे पैसे, प्रवास, विदेशों में नौकरी की खोज के लिए जा रहे व्यक्तियों को भेजे जाने वाले पैसे. वहीं दूसरी तरफ कुछ ट्रांजेक्शन्स ऐसी भी हैं जिन्हें इस स्कीम में मंजूरी नहीं दी जाती है. लॉटरी टिकट खरीदने के लिए भेजे जाने वाले पैसों, भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशी करेंसी में जारी किये गए कनवर्टिबल बॉन्ड्स को खरीदने के लिए भेजे जाने वाले पैसों और विदेशी एक्सचेंजों में ट्रेडिंग के लिए भेजे जाने वाले पैसों की ट्रांजेक्शन्स को इस स्कीम के तहत मंजूरी नहीं दी जाती. 

बढ़ रही है विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या
विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले छात्रों की संख्या में हर साल बढ़त देखने को मिल रही है. शिक्षा मंत्रालय की मानें तो विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या में साल 2022 के दौरान 68% की वृद्धि देखने को मिली है. आपको बता दें कि 2022 में लगभग 7,50,365 छात्रों ने विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए उड़ान भरी थी. यह पिछले 6 सालों के दौरान विदेश जाने वाले छात्रों की सबसे अधिक संख्या है. साल 2021 में यह संख्या 4,44,553 हुआ करती थी और 2022 में इसमें बहुत ही बड़ा उछाल देखने को मिला है. 

विदेश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाने वाले छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. LRS इन छात्रों के माता-पिता को विदेशों में पैसे भेजने की अनुमति देता है और साथ ही विदेशी सिक्योरिटीज में इन्वेस्ट करने का मौका भी देता है. RBI द्वारा जारी की गयी एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था कि साल 2019-20 के दौरान विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को उनके माता-पिता के द्वारा 4,991 मिलियन डॉलर्स यानी लगभग 4 अरब रुपये भेजे गए थे. कोविड के दौरान साल 2020-21 में यह आंकड़ा कम होकर 3,836 मिलियन डॉलर्स पर पहुंच गया था लेकिन कोविड के बाद साल 2021-22 के दौरान इस आंकड़े में फिर से बढ़त देखने को मिली जिसके बाद यह 5,165 मिलियन डॉलर्स पर पहुंच गया था. पिछले दशक के दौरान विदेश में पढ़ रहे छात्रों की शिक्षा के खर्च को कवर करने के माता-पिटा द्वारा  भेजे जाने वाले पैसों में बहुत ही तेजी से उछाल देखने को मिला है. साल 2011-12 में यह संख्या सिर्फ 114 मिलियन डॉलर्स हुआ करती थी. 

LRS के फायदे
शिक्षा पर होने वाले खर्च में ट्यूशन फीस और दूसरे देश में रहने और खाने का खर्चा भी शामिल है. इस बात को ध्यान रखें कि LRS में मान्य 2,50,000 डॉलर्स की राशि में सब कुछ इकट्ठा ही है और इसमें पढने और रहने का खर्चा अलग-अलग नहीं है. हालांकि अगर छात्र चाहे तो वह 2,50,000 डॉलर्स से ज्यादा की रकम भी मंगवा सकता है लेकिन उसके लिए पहले छात्र को यूनिवर्सिटी की ट्यूशन फीस रिसीप्ट को जरूरी कागजात के तौर पर दिखाना होगा. LRS का एक अन्य जरूरी पहलू, विदेश में पढ़ रहे छात्रों के लिए विदेशी सिक्योरिटीज में किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट है. माता-पिता अमेरिकी मार्केट में इन्वेस्ट करके डॉलर्स में बचत कर सकते हैं ताकि आने वाले भविष्य में वह अपने बच्चे की ट्यूशन फीस प्रदान कर सकें. विदेशों में बचत करने से उन्हें बहुत ही ज्यादा फायदा होगा क्योंकि पैसे ट्रान्सफर करने के वक्त पर करेंसी बदलने की वजह से उन्हें अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ता है और अगर वह भारतीय रुपये में बचत करते हैं तो उन्हें इस समस्या का सामना करना ही पड़ेगा. 

इन बातों का रखें विशेष ध्यान
RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) से प्राप्त हुआ डाटा दिखाता है कि पिछले कुछ समय के दौरान भारतीय पैरेंट्स द्वारा LRS के अंतर्गत विदेशों में इन्वेस्ट किये जाने वाले पैसे में वृद्धि देखने को मिली है. इक्विटी और डेब्ट में किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट 2021-22 में 747 मिलियन डॉलर्स पर पहुंच गया जबकि साल 2020-21 में यह मात्र 472 मिलियन डॉलर्स हुआ करता था. इतना ही नहीं, साल 2014-15 में भारतीय लोगों ने लगभग 195 मिलियन डॉलर्स इन्वेस्ट किये थे. आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि 2,50,000 डॉलर्स से ज्यादा की रकम के आदान प्रदान के लिए आपको RBI की मंजूरी लेनी पड़ती है. इसके साथ ही यह भी ध्यान रखें कि एक व्यक्ति को भारत से बाहर पैसे भेजने के लिए PAN कार्ड की जरूरत पड़ती है. 
 

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