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BW Supply Chain Summit: मल्टी-मॉडल में क्या है भारत की स्थिति, कैसे पड़ा डिजिटल का प्रभाव?
जब भी हम मल्टीमॉडल्स की बात कर रहे होते हैं तो दरअसल हम अंतर्राष्ट्रीय मोड्स की बात कर रहे होते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 5 months ago
सप्लाई चेन में निहित चुनौतियों और उन चुनौतियों से निपटने के लिए उठाये जा रहे विभिन्न कदमों को समझने के लिए आज यानी 6 दिसंबर 2023 को BW बिजनेसवर्ल्ड (BW Businessworld) द्वारा देश की राजधानी दिल्ली में BW सप्लाई चेन के एक इवेंट का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान सप्लाई चेन पर डिजिटलाइजेशन के प्रभाव और मल्टी-मॉडल में भारत की स्थिति समझने के लिए एक्सपर्ट्स के एक विशेष पैनल का आयोजन भी किया गया था.
मल्टी-मॉडल्स के परिदृश्य में भारत
जब भी हम मल्टीमॉडल्स की बात कर रहे होते हैं तो दरअसल हम अंतर्राष्ट्रीय मोड्स की बात कर रहे होते हैं और मल्टीमॉडल के इस अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में भारत स्थिति को समझना बेहद जरूरी है. इस विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए जैक्सन ग्रुप के ग्रुप चीफ सप्लाईचेन ऑफिसर अजय गुप्ता कहते हैं कि मल्टी-मॉडल स्पेस में हवा या समुद्र के माध्यम से प्राप्त होने वाले कार्गो को शामिल किया जाता है और पहले के मुकाबले लॉजिस्टिक ग्रुप्स ने भारत में अपनी स्थिति को बेहतर किया है और अब वह देश के ज्यादा क्षेत्रों में मौजूद हैं. लेकिन अभी भी भारत मल्टी-मॉडल्स के परिदृश्य में उस स्थिति पर नहीं पहुंच पाया है जहां उसे होना चाहते हैं. हमारे लिए जरूरी है कि हम देश में मौजूद पानी के अधिक रास्तों को तलाशें और बखूबी उनका इस्तेमाल करें.
सप्लाई चेन पर डिजिटलाइजेशन का असर
पिछले कुछ समय के दौरान डिजिटलाइजेशन काफी तेजी से हुआ है और मल्टीमॉडल्स के क्षेत्र में भी तकनीक बहुत महत्त्वपूर्ण है. इसके साथ ही डिजिटलाइजेशन का संबंध उत्पादकता से भी है और यह समझना भी बेहद जरूरी है कि मल्टीमॉडल पर डिजिटलाइजेशन का क्या असर हुआ है? इस विषय पर अपनी राय प्रकट करते हुए बेक्टर डिकिन्सन के सप्लाई चेन डायरेक्टर आशुतोष धर कहते हैं कि उनके अनुसार कंट्रोल टावर या लाइटहाउस कॉन्सेप्ट को मल्टी-मॉडल में आये हुए अब काफी समय हो गया है लेकिन इसका पिछला अवतार प्रमुख रूप से केवल एक ही काम करता था और वह था शिपमेंट के इम्पोर्ट का ध्यान रखना. आशुतोष कहते हैं कि यह तरीका काफी ज्यादा बेहतर हुआ है और इसने पूरा खेल ही पलटकर रख दिया है.
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