होम / एक्सप्लेनर / क्या Global Banking Crisis से अछूते हैं भारतीय बैंक, जानें क्या कहती है ये रिपोर्ट?
क्या Global Banking Crisis से अछूते हैं भारतीय बैंक, जानें क्या कहती है ये रिपोर्ट?
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस तरह की वैश्विक घटनाओं से प्रभावित न होने की बेहतर स्थिति में है, क्योंकि एसेट-बैक्ड सिक्योरिटीज के लिए इसका जोखिम सीमित है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
अमेरिका और यूरोप के बैंकिंग संकट (Banking Crisis) के मद्देनजर यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि क्या भारतीय बैंकिंग सिस्टम सुरक्षित है? एक्सिस AMC की एक स्टडी रिपोर्ट में इस सवाल का जवाब दिया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत कैपिटल बफर के साथ विनियामक सुरक्षा उपाय भारतीय बैंकों को अमेरिकी बैंकों की तुलना में बेहतर कवर देते हैं.
इस वजह से डूबे ये बैंक
अमेरिका के सिलिकॉन वैली और सिग्नेचर बैंक के साथ-साथ यूरोप के क्रेडिट सुइस बैंक को लेकर बीते दिनों आई खबरों ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. यह आशंका भी जताई जा रही है कि अमेरिका मंदी के मुहाने पर खड़ा है और यदि वो फिर से मंदी की चपेट में आता है तो इसका असर दुनियाभर पर पड़ सकता है. इन ग्लोबल बैंकों की विफलता के लिए खराब विनियामक निरीक्षण, घटती जमा राशि और बैलेंस-शीट से जुड़े मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया गया है.
भारत की स्थिति बेहतर
एक्सिस AMC की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन बैंकों ने ट्रेडिशनल कम्फर्ट थ्रेशहोल्ड के ऊपर फाइनेंशियल्स की रिपोर्ट की और विश्वास की कमी के चलते डिपॉजिट आउटफ्लो में तेजी देखने को मिली. दूसरी ओर, भारत के पास मजबूत एसेट लाइबिलिटी मैनेजमेंट (ALM) दिशानिर्देश, मजबूत नियामक ढांचा और सरकार की गारंटी है, जो इस तरह के संकट से बचाव करती है. इसके अलावा, भारतीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों के पास तरलता संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए पर्याप्त कैपिटल बफर और प्रोविजन कवरेज रेश्यो है.
बेहद सीमित है जोखिम
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इस तरह की वैश्विक घटनाओं से प्रभावित न होने की बेहतर स्थिति में है, क्योंकि परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियों यानी एसेट-बैक्ड सिक्योरिटीज के लिए इसका जोखिम सीमित है, और साथ ही विकसित दुनिया के लिहाज से इसका वित्तीय बाजार उतना परिपक्व नहीं है. लेकिन इसके विपरीत, ये कारक कभी-कभी विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए नुकसानदेह भी हो सकते हैं.
इस वजह से आई मजबूती
अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली लगातार जमा प्रवाह के साथ वैश्विक अस्थिरता से काफी हद तक अछूती रही है. इसके अलावा, नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPAs) में कमी के चलते भारतीय बैंक मजबूत हुए हैं. NPA वर्तमान में 11.5 प्रतिशत से गिरकर 5 प्रतिशत आ गया है. विनियामक में कसाव से भी तरलता मापदंडों में सुधार करने में मदद मिली है, और तरलता कवरेज अनुपात (LCRs) पांच साल पहले के 125 प्रतिशत की तुलना में अब 140 प्रतिशत पर है. अनिवार्य विनियामक आरक्षित आवश्यकताओं के कारण भारतीय बैंकों की लगभग 24 प्रतिशत संपत्ति सरकारी बॉन्ड में है.
RBI गवर्नर ने भी कही ये बात
इस बीच, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी दोहराया है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर और फाइनेंशियल सिस्टम अमेरिका और यूरोप में हाल के घटनाक्रमों से पूरी तरह अछूता है. उन्होंने कहा कि देश की बैंकिंग प्रणाली जुझारू, स्थिर और दुरुस्त है. दास ने कहा कि बैंकिंग से संबंधित स्टैंडर्ड की बात करें, तो चाहे वह नकदी प्रवाह हो, बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन हो, बैंकों का प्रॉफिट हो, चाहे जिस भी पहलू से देखा जाए, सभी के लिहाज से भारत की बैंकिंग प्रणाली एकदम स्वस्थ बनी हुई है. पिछले कुछ सालों में RBI ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) सहित पूरी बैंकिंग प्रणाली पर निगरानी और रेगुलेशन को बेहतर और सख्त बनाया है.
टैग्स