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खत्म नहीं हुआ है TV का दौर, दर्शकों के दिल पर अब भी कर रहा राज

टीवी ओमनी-चैनल कम्युनिकेशन का चेहरा है. TV किसी ब्रैंड के निर्माण के लिए अनिवार्य रूप से मुख्य आधार है. भले ही कोई IPL के डिजिटल अधिकारों का जिक्र करता रहे, यह टीवी पर डिजिटल स्कोरिंग का एक उदाहरण है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

Dr. Annurag Batra

(बिजनेसवर्ल्ड’ समूह के चेयरमैन व एडिटर-इन-चीफ और ‘एक्सचेंज4मीडिया’ समूह के फाउंडर व एडिटर-इन-चीफ हैं)

एक आम धारणा है कि 'प्रिंट मीडिया' मालिकों के लिए भारी मात्रा में मुनाफा और टीवी ब्रैंड के लिए विजेबिलिटी लाता है, जबकि डिजिटल सबसे बड़ा डिसरप्टर मीडियम है. कई बहसों में टीवी की आसन्न मृत्यु के बारे में सुनना आम बात है. खैर, यह वर्षों से चला आ रहा है. इनमें से कुछ बातें सच हैं, लेकिन सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि टीवी ओमनी-चैनल कम्युनिकेशन का चेहरा है. TV किसी ब्रैंड के निर्माण के लिए अनिवार्य रूप से मुख्य आधार है. भले ही कोई IPL के डिजिटल अधिकारों का जिक्र करता रहे, यह टीवी पर डिजिटल स्कोरिंग का एक उदाहरण है.

TV का अपना आधार
यह सच है कि टीवी देखने की आदतों में बदलाव आया है. TV हमारे आधुनिक जीवन का हिस्सा है. स्टीमिंग, इंटरनेट एक्सेस और मोबाइल डिवाइसेस के प्रसार के बावजूद, टीवी के पास ऐसे दर्शकों का मजबूत आधार है, जिन्हें हमेशा न्यूज, शिक्षा, संस्कृति और ब्रैंड कनेक्ट की तलाश रहती है. ऐसा तेजी से बदलते जनसांख्यिकी और सामाजिक संदर्भ के बावजूद है. यही मीडिया बिजनेस को खास बनाता है, और यह अपने कोंस्टीटूएंट्स से स्फूर्ति और कड़ी मेहनत की मांग करता है.

कायम है दबदबा
यह विभिन्न मीडिया माध्यमों के संबंध में लगातार बदलता उपभोक्ता व्यवहार रहा है. मीडिया व्यवसाय में उपभोक्ता जुड़ाव के कई चैनल हैं - अलग-अलग आवृत्ति का प्रिंट, टीवी, डिजिटल, इवेंट और आईपी. इन क्षेत्रों में प्रत्येक ब्रैंड केवल उस विशिष्ट चैनल के व्यवसाय में नहीं है. वे ABC व्यवसाय - ऑडियंस, ब्रैंड और संचार में सबसे आगे हैं. पिच मैडिसन एडवरटाइजिंग आउटलुक 2023 के अनुसार, 2023 में लीनियर टीवी एडवरटाइजिंग बढ़ना जारी रहेगा. रिपोर्ट कहती है कि टीवी का दबदबा अभी भी कायम है, जबकि डिजिटल के विकास की दर सबसे तेज है. डब्ल्यूआईपीएल, आईपीएल, एशिया कप, आईसीसी क्रिकेट विश्व कप जैसे प्रमुख क्रिकेट टूर्नामेंट और दूसरे बड़े आयोजन TV की विज्ञापन ग्रोथ के लिए ईंधन का काम कर सकते हैं.

डिजिटल की कई चिंताएं
PMAR रिपोर्ट बताती है कि टीवी मार्केट की सबसे बड़ी श्रेणी FMCG के उपभोक्ता कीमतों को कम करने के बजाय, अपने विज्ञापन बजट में काफी वृद्धि करने की संभावना है. डिजिटल मीडियम की खूबियों के सभी दावों के बावजूद, इसमें भरोसे की कमी और ब्रैंड सुरक्षा जैसी कई चिंताएं हैं. डिजिटल में कई ऐसे कारक हैं, जिन्हें नियंत्रित करना चुनौती है. जैसे फेक नेरेटिव और अनाम उपभोक्ता, जो शायद कभी मौजूद ही न हों. जब तक अच्छी तरह से न संभाला जाए, ब्रैंड अपने ब्रैंड मूल्यों और अखंडता को जोखिम में डाल सकते हैं. लिहाजा, मीडिया ब्रांड्स के लिए मल्टी-प्लेटफॉर्म डिलीवरी को अपनाने की आवश्यकता बन गई है.

ब्रैंड सुरक्षा का भरोसा
यहां फिर से, टीवी अपनी आभा और भावनाओं को प्रकट करने की क्षमता के साथ आगे बढ़ता है. टीवी एडवरटाइजिंग ब्रैंड सुरक्षा का भरोसा देता है. यह अभी भी उपभोक्ता को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित करता है और सामाजिक व्यवहार को आकार देता है. कोई आश्चर्य नहीं कि ब्रैंड इसे अपने सुरक्षित वातावरण के लिए पसंद करते हैं, क्योंकि यह प्रासंगिक गुणवत्ता सामग्री के साथ ब्रांड्स को देखने की अनुमति देता है. टेलीविजन किसी भी अन्य माध्यम की तुलना में कम अव्यवस्थित है. 12,000 से अधिक ब्रैंड TV पर विज्ञापन देते हैं. जहां प्रिंट से 2.2 लाख से अधिक विज्ञापनदाता जुड़े हैं, वहीं डिजिटल के मामले में यह संख्या 10 लाख से अधिक है. टीवी विज्ञापन लागत-प्रभावी पहुंच प्रदान करते हैं. जवाबदेह और डेटा-संचालित विज्ञापन के इस युग में टीवी शक्तिशाली रूप से प्रासंगिक है. वहीं, वीडियो एक ऐसा माध्यम है जो किसी अन्य मार्केटिंग मीडियम के विपरीत, पारंपरिक और डिजिटल चैनलों को संतुलित करने में मदद कर रहा है. यहीं पर टीवी के आलोचक तर्क करने से चूक जाते हैं - वीडियो कई वर्षों से यही भूमिका निभा रहा है.
 

TV से बन गए बड़ा नाम
यह देखना महत्वपूर्ण है कि कई लोग टीवी पर अपनी उपस्थिति के चलते प्रशंसा और सेलिब्रिटी का दर्जा हासिल करते हैं - चाहे वह डेली सोप के सितारे हों या टीवी न्यूज एंकर. उदाहरण के लिए, कई सफल उद्यमी हैं, खासकर ई-कॉमर्स स्पेस में. उनमें से कुछ अब शार्क टैंक या सीएनबीसी पर नियमित कमेन्ट्री जैसे कार्यक्रमों की बदौलत बहुत बड़ा नाम बन गए हैं. टीवी बड़े पैमाने पर पहुंच बनाते हुए दर्शकों से सहानुभूतिपूर्ण जुड़ाव बना रहा है. टेलीविजन ने बार-बार साबित किया है कि यह व्यापक और तेज गति से बढ़ता है. डिजिटल मीडिया के संदर्भ में, हम देखते हैं कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को TV शो मिल रहे हैं, जबकि टीवी सितारे ऑनलाइन शो शुरू कर रहे हैं. क्रिएटर इकोनॉमी के नैरेटिव में टीवी विश्वसनीयता बनाता है.

मैं आपको यह दिखाने के लिए तीन उदाहरण देता हूं कि टीवी कैसे ब्रैंड बनाता है - चाहे FMCG या ह्यूमन ब्रैंड. इसके अलावा, न्यूज टीवी, या जीईसी या रियलिटी टीवी के लिए, टेलीविजन ह्यूमन ब्रैंड को दोहराने की अपनी भूमिका निभा रहा है.

पहला, एक्सचेंज4मीडिया और E4M न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड्स का फाउंडर होने के नाते मैं सभी न्यूज एंकर्स को जानता हूं और बहुत से एंकर्स तो मेरे दोस्त भी हैं. जब कभी मैं उनके साथ बाहर जाता हूं तो उनकी फैन फॉलोइंग और लोगों से उनको मिलने वाले प्यार को देखता हूं. चलिए मैं आपको सुधीर चौधरी के उदाहरण से समझाता हूं जो अब ‘आज तक’ न्यूज पर ‘सीधी बात’ और ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ नाम के दो शो करते हैं. मैं जब कभी भी सुधीर चौधरी के साथ किसी सार्वजनिक जगह पर होता हूं तो वह एक भीड़ से घिर जाते हैं. वह बहुत मशहूर हैं और डिजिटल स्पेस में काफी बड़े स्थान पर भी हैं लेकिन उनके व्यक्तित्व और आभा को TV ने बनाया है. खासकर ‘जी न्यूज’ में जब वह DNA नाम का शो कर रहे थे और अब जब वह ‘आज तक’ में शो कर रहे हैं. इससे आपको न्यूज टीवी की शक्ति का अंदाजा हो गया होगा.

दूसरा, मैं कुछ सेलेब्रिटीज को जानता हूं जो ‘शार्क-टैंक’ नामक शो में उद्यमी हैं और मैं उन्हें उनके ‘शार्क-टैंक’ के दिनों से पहले से जानता हूं. हालांकि ये ‘शार्क-टैंक’ शो के आने से पहले भी काफी सफल थे, लेकिन शो पर आने के बाद से तो सेलेब्रिटी बन गए हैं. आप ‘Boat’ कंपनी के मालिक और मेरे दोस्त अमन गुप्ता का उदाहरण भी देख सकते हैं. अपनी हकीकत, बड़े बिजनेस और शार्क टैंक की बदौलत अमन अपने आप में अब एक सेलेब्रिटी बन गए हैं. इससे आपको शार्क टैंक की ताकत का पता चलता है.

तीसरा, मैं एक नौजवान डेंटिस्ट से मिला था, जिन्हें एक्ट्रेस बनना था लेकिन वह ‘बिग बॉस’ नामक शो में चली गयीं. इस शो की बदौलत उन्हें एक सेलेब्रिटी के रूप में पहचान मिली और अब लोग एयरपोर्ट से लेकर मंदिरों तक उनके साथ सेल्फी लेने की कोशिश करते हैं. अब सौंदर्या शर्मा को नई दुकानों की ओपनिंग और रिबन काटने के लिए भी बुलाया जाता है और इसके लिये उन्हें पैसे भी मिलते हैं. इससे आपको ‘बिग बॉस’ शो की ताकत का पता चल गया होगा.
विश्वसनीयता का प्रमुख तरीका

टीवी पर भी है डिजिटल का कंटेंट

आज जो भी कंटेंट टीवी पर आता है उसे डिजिटल और अन्य जगहों पर भी बढ़ा दिया जाता है और ऐसा ही डिजिटल कंटेंट के साथ भी है. इन्फ्लुएन्सर्स को टीवी पर शो मिल रहे हैं और टीवी के सितारे अपने ऑनलाइन शो की शुरुआत कर रहे हैं. OTT, डिजिटल और क्रिएटर इकॉनमी वाले इस युग में भी टीवी ब्रैंड और विश्वसनीयता का सबसे प्रमुख तरीका बना हुआ है. इसीलिए एक बार टीवी पर जाने के बाद स्टार्टअप बिजनेस को जल्दी से जल्दी कैपिटल मिल जाता है और वह ब्रैंड बन जाते हैं. मैं आपको एक उदाहरण से समझाता हूं. D2C ब्रांड्स यानी डायरेक्ट टू कंज्यूमर और डिजिटल टू कंज्यूमर ब्रांड्स अब मॉडर्न रिटेल व्यापार, सामान्य व्यापार की तरफ बढ़ रहे हैं और फिजिकल दुकानों एवं फिजिकल रिटेल के माध्यम से अपने ब्रैंड को एक निश्चित संख्या से ज्यादा बड़ा करना चाह रहे हैं. इसी तरीके से D2C ओमनी-रिटेल को जगह दे रहा है. लगभग 10 सालों पहले मीडिया क्षेत्र के प्रमुख और अनुभवी अमित खन्ना ने मुझसे बातचीत के दौरान राउंड-कास्टिंग के बारे में बताया था जिससे ओमनी-ब्रॉडकास्टिंग के लिए जगह मिल रही है.    

TV एक विश्वसनीय रोल मॉडल
अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए टीवी ब्रॉडकास्टर्स को अपने एडवरटाइजर्स और दर्शकों के अनुरूप रहना होगा और फिलहाल टीवी के क्षेत्र को इसी दिशा में ध्यान देना चाहिए

नौजवान पीढ़ी पर होना चाहिए ध्यान
टीवी ब्रॉडकास्टिंग के पास अनुभवी और सफल ब्रॉडकास्टिंग दिग्गज हैं. बदलती जनसंख्या और ऊर्जावान एवं अलग नेतृत्व की आवश्यकता के साथ, इस क्षेत्र को युवा मिलेनियल CXO (चीफ एक्स्पिरियंस ऑफिसर) तैयार करने की आवश्यकता है. यह वह फैसला है जो ब्रॉडकास्टिंग से ओमनी-कास्टिंग तक की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है।

कीमतों पर नियंत्रण भी है जरूरी
टीवी के कारोबार को लाभदायक बने रहने के लिए नई एवं उभरती तकीनकों का आविष्कार जारी रखना होगा. हालांकि, रचनात्मकता और नवीनता के नाम पर, कारोबारी कीमत से जुड़ी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते. उन्हें यह समझना होगा कि लम्बे समय में एक्सपेरिमेंट के साथ-साथ रेवेन्यु को कैसे संतुलित करना है?

मूल दर्शकों को समझना भी है जरूरी
अपने मूल दर्शकों को समझकर अपनी रचनात्मक रणनीति प्राप्त करना और अपने दर्शकों को आकर्षित करने के लिए बिना किसी समस्या के इन रणनीतियों को लागू करना बहुत जरूरी है. यह बदले में दर्शकों के जुड़ाव के साथ-साथ आपके टीवी ब्रैंड के आस-पास भावनात्मक प्रभाव भी पैदा करेगा. खैर यह धंधा करने की तरकीब भर है और यह बस बिक्री को बढ़ाता है.

अपने दर्शकों के लिए निर्णय न लें: हमेशा अपने दर्शकों को अपनी कहानी और कंटेंट दिखायें और उन्हें निर्णय लेने दें कि उनके लिए बेस्ट क्या है?

सभी श्रेणियों में कुल दर्शकों की संख्या कैसे बढ़ाएं?

 टीवी एग्जीक्यूटिव और मीडिया के पास यह सबसे बड़ा सवाल है. इसका जवाब आसान भी है लेकिन फिर भी मुश्किल है और इसका जवाब है - विविध प्रकार का कंटेंट, जबरदस्त कंज्यूमर मार्केटिंग और फॉर्मेट की गहराई. 


डेटा से चलने वाले और बड़ी अपेक्षाओं वाले विज्ञापन के इस युग में टीवी अभी भी अविश्वसनीय रूप से प्रासंगिक है. उपभोक्ताओं के खरीदने की क्षमता के अनुरूप टीवी पहले से कहीं बेहतर रिज़ॉल्यूशन के साथ-साथ बड़ी और चौड़ी स्क्रीन्स में भी  उपलब्ध हैं. उपभोक्ताओं ने टेलीविजन पर मौजूद कंटेंट और मोबाइल में मौजूद कंटेंट के बीच बिना परेशानी के स्विच करना भी सीख लिया है और मोबाइल पर मौजूद यह कंटेंट पहले से कहीं ज्यादा छोटा भी होता जा रहा है. यही टीवी की ताकत है. आकार मायने नहीं रखता लेकिन उपभोक्ताओं को समझना मायने रखता है.

यह भी पढ़ें: दोगुनी हुई भारत की प्रति व्यक्ति आय, ये चुनौतियां अभी भी हैं बाकी

 

 


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