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Budget 2023: बजट और उससे जुड़ी इन बातों को भी समझना जरूरी है
वित्त मंत्री ने लोकसभा में बजट तो पेश कर दिया है लेकिन बजट के साथ हमें इन ज़रूरी बातों को भी समझना होगा
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
यूनियन बजट 2023 पेश करते हुए वित्त मंत्री ने टैक्स कम कर उदारता का परिचय दिया है. टैक्स में छूट देना वर्ष 2014 से ही एक ट्रेंड रहा है. वर्ष 2014 से लेकर अब तक सरकार की तरफ से टैक्स की मांग में 30 से 40 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली है. हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि सरकारी खर्चे का 20 प्रतिशत हिस्सा राष्ट्रिय क़र्ज़ का व्याज चुकाने में इस्तमाल किया जाता है ताकि आने वाली सरकार और कर्जा न ले जिसका भुगतान आने वाली पीढ़ी को करना पड़े.
करनी होगी CBDC की सही प्लानिंग
CBDC का उल्लेख होना अभी बाकी है. अगर CBDC को सही से प्लान किया जाए तो हमें हमारी कर्रेंसी को बजट करने की ज़रूरत नहीं होगी. लेकिन हमें सही तरीके से प्लान करके फॉरेन एक्सचेंज (FX) की ज़रूरतों को इस तरह से बजट करना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय बांड बाजारों और T-बिल बाजारों से किसी प्रकार का कोई कर्जा न लेना पड़े. इस विषय पर हमें अपनी NRI, PIO, OCI जनसंख्या के साथ साथ हमारे करीबी देशों से भी बात करनी होगी ताकि वे हमें भारतीय रुपये के बदले में हार्ड करेंसी दे सकें. साथ ही जमा किया गया भारतीय रूपया, जमा किये गए कुल पैसों का 10 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा टैक्स फ्री ब्याज के रूप में अर्जित करेगा और इस ब्याज की गारंटी RBI की होगी. इन पैसों को खर्च करने पर एकमात्र शर्त ये होगी कि इन्हें डिजिटली खर्च किया जाए और केवल जमा ही न किया जाए. FX रिज़र्व का इस्तमाल सबसे पहले IMF, वर्ल्ड बैंक, आदि से लिए गए कर्जे को चुकाने के लिए करना चाहिए और तब भारत को CBDC क्रान्ति में आत्मनिर्भर बनने के लिए एक नयी शुरूआत करनी चाहिए. हम अपने सभी ट्रेडिंग पार्टनर्स से अनुरोध करेंगे कि वे हमारे इस नए CBDC को स्वीकार करें और इसमें डील करें.
इस तरह हो सकते हैं पूरी तरह टैक्स से मुक्त
अगर हर वित्तीय वर्ष में वित्तीय घाटा 5 से 9.2 प्रतिशत के बीच रहता है तो क्यों न हम इस घाटे को थोड़ा और बढ़ाकर हमेशा हमेशा के लिए टैक्स से मुक्त हो जाएँ? इन Tax personnel को हम बहुत ही आसानी से बैंकिंग सेक्टर में शिफ्ट करके वस्तुओं, सेवाओं और खेती से मिले उत्पादों की सप्लाई लागू कर सकते हैं. इसके अलावा, अगर धनी वर्ग के लोगों के लिए दुनिया में हर जगह टैक्स हेवन हो सकते हैं तो क्या हम अपने देश के अपेक्षाकृत गरीब वर्ग और मिडिल क्लास नागरिकों के लिए टैक्स शेल्टर उपलब्ध नहीं करवा सकते? करदाताओं को टैक्स में छूट देने के लिए हमें वित्त मंत्री को धन्यवाद कहना चाहिए.
ऐसे बढेगी डिजिटल करेंसी की मांग
लोकल डिजिटल करेंसी की मांग नागरिकों के विभिन्न काम करने एवं आय कमाने के अलग -अलग तरीकों के साथ मिलकर सप्लाई की मिली-जुली स्थिति बनायेंगे. लोकल INR के इस डिजिटल भुगतान को मॉनिटर किया जाएगा और बैंकों द्वारा वस्तुओं,सेवाओं और खेती से मिले उत्पादों की सप्लाई को लागू किया जाएगा. यह रोज़ घटने-बढ़ने वाला अमाउंट होगा जिसे रियल-टाइम में मॉनिटर किया जाएगा. इसे लागू करने के लिए हमारे पास बैंकिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और एल्गोरिथम उपलब्ध भी हैं. हमारी विनती है कि सभी बैंकिंग के कामों के लिए चेक-बुक और पासबुक को एक फोकस्ड डिजिटल बैंकिंग डिवाइस (DBD) से बदला जाए. साथ ही यह सुझाव भी है कि पासबुक और चेक-बुक के बजाय एक DBD जारी की जाए और सभी खाताधारकों को विभिन्न बैंकों और उनकी शाखाओं के लोकल एरिया नेटवर्क्स (LANS) और वाइड एरिया नेटवर्क्स (WANS) सेवा प्रदान की जाए.
ऐसे तय करनी होगी MSP
2015 से 2022 तक पिछले सात वर्षों में भारत ने कृषि-उधार में 100 प्रतिशत की वृद्धि देखी है, लेकिन भारतीय जनसंख्या का 60 प्रतिशत हिस्सा खेती पर निर्भर है. अपर्याप्त मांगों और खरीदने की क्षमता में कमी होने की वजह से इनके पास कोई बाजार नहीं है, लेकिन उसका उपभोग करने की इच्छा शक्ति है. इसीलिए हमारा सुझाव है कि एक नेशनल कृषि कंपनी बनायी जाए जो मुसीबत के समय में किसानों को उनके उत्पाद के बदले न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) प्रदान कर सके. ठीक ऐसे ही, एक नेशनल प्रोडक्शन और मैनुफैक्चरिंग और नेशनल सेवा कंपनियां भी बनानी चाहिए जो पैदा की गयी वस्तुओं और सेवाओं के बदले MSP दें.
प्राइवेटाइज़ेशन नहीं है सोल्यूशन
हम सिफारिश करते हैं कि पब्लिक सेक्टर बैंकिंग को प्राइवेटाइज न किया जाए, लेकिन इन्हें निजी बैंकों के साथ पार्टनर किया जाए. हम एयर ट्रेवल पर पब्लिक, पेड इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहते हैं. खासकर एयर इंडिया को भारतीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा यह खर्चा दिया जाए अब जब वो प्राइवेटाइज़ हो चुकी है. क्या भारत सरकार अपनी हवाई यात्राओं के लिए एयरलाइन्स को पैसे दे रही है? क्या भारत सरकार के खाते से यह पैसे एयर इंडिया को नहीं दिए गए थे, जिसकी वजह से उसे प्राइवेटाइज करना पड़ा?
फार्मास्युटिकल सेवाओं और दवाओं को करें पूरी तरह फाइनेंस
जहां तक बात फार्मास्युटिकल सेवाओं और दवाओं की है, इनमें से हर एक को पूरी तरह बैंक से फाइनेंस किया जाना चाहिए जैसा कि ऊपर बताया गया है. आखिरकाल अमृत काल में सबको ये सेवाएं मुफ्त में मिलनी चाहिए और कैपेसिटीजऔर R&D को बगैर पैसे की चिंता के बनाया जाना चाहिए. अगर किसी को समझना हो कि इस काम को अच्छे तरीके से किस तरह किया जाता है तो उन्हें नेशनल आयुष क्लिनिकों में जाकर देखना चाहिए जहां परामर्श से लेकर दवाओं तक सबकुछ भारत सरकार द्वारा दिया जाता है. नोट कर लें - मेडिसिन की आयुर्वेदिक शाखा, मेडिसिन की इकलौती ऐसी शाखा है जिसमें अमृत नाम की एक दवा होती है. यह माना जाता है कि पर्यावरण और भू-राजनीतिक परिस्थितियों के चलते ही अमृत का राज सामने आएगा. पर्यावरण को देवी-देवता की तरह मानना चाहिए. प्राइवेट कोयला खनिकों और पावर-प्लांट मालिकों को उनकी खदानों और थर्मल प्लांट्स के लिए पर्याप्त रूप से मुआवजा देकर केमिकल फ़र्टिलाइजर्स और कोयले के इस्तेमाल को धीरे धीरे पूरी तरह मिटा देना चाहिए. आने वाले समय में इन्हें न्यूक्लीयर और फ्यूज़न से बदल देना चाहिए. आर्गेनिक फ़र्टिलाइजर्स के लिए एक जरूरी कदम को प्राकृतिक क्रान्ति बना देना चाहिए जिसके लिए वित्त मंत्री ने पर्याप्त फंड्स बांटे हैं.
ब्लैक मनी होगा ख़त्म, कम होंगी कीमतें
प्लान्ड एंड आर्गनाइज्ड डेफिसिट स्पेंडिंग (PODS) बैंकिंग उदाहरण का मुख्य आकर्षण यह है कि सारा ब्लैक मनी बैंकों में जमा किया जाएगा और उसके बाद उसे खत्म कर दिया जाएगा ताकि उसे दोबारा जमा न किया जा सके और इन पैसों से टैक्स से मुक्त ब्याज अर्जित किया जाएगा. लेकिन जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है, इन्हें डिजिटली इस्तेमाल करना होगा और इन्हें सिर्फ जमा करके नहीं रखा जा सकता. ई-कॉमर्स की बदौलत मैनुफेक्चरर्स/निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच से 5-6 ब्रोकर्स/ कमीशन एजेंट्स, के साथ साथ डिस्ट्रीब्यूटर्स, होलसेलर्स और रिटेलर्स पूरी तरीके से हट जायेंगे जिससे उपभोक्ताओं के लिए कीमतें कम होंगी और निर्माताओं को कीमतों का ज्यादा अच्छे से पता चल पायेगा.
जारी करना चाहिए CBDC लाइन ऑफ़ क्रेडिट
हर व्यक्ति अपने लिए अपनी मेहनत से CBDC वस्तुओं, सेवाओं और खेती से मिले उत्पादों को बना पायेगा जो उन्हें मिलने वाले प्राकृतिक देख-रेख अलाउंसों से बनेगा न कि गैर-प्राकृतिक ज़रूरी इच्छाओं से जिनको CBDC में अर्जित करना ही होगा. हालांकि, CBDC किसी इच्छित कर्मचारी के लिए कभी भी बंधक नहीं बनना चाहिए. अंत में, भारत सरकार को पैसे इकट्ठे करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में नहीं जाना चाहिए, FDI से परहेज करना चाहिए और पैसे की जरूरतों और निवेश के साथ साथ भारत में व्यापार करने वाली घरेलू और विदेशी संस्थाओं द्वारा लोकल CBDC में किये गए लेन-देन को बढ़ावा देना चाहिए साथ ही, FDI के बदले CBDC लाइन्स ऑफ क्रेडिट जारी करना चाहिए.
यदि वार्षिक बजट का इस्तेमाल किया जाता है तो उसे पिछले वर्ष की आपूर्ति से निर्मित होना चाहिए और इस वर्ष में इसकी आपूर्ति में वृद्धि करनी चाहिए और ऐसा तब तक चलना चाहिए जब तक हम वस्तुओं, सेवाओं और खेती से मिले उत्पादों को लेकर अपनी प्राकृतिक जरूरतों की संतुष्टि तक नहीं पहुंच जाते.
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