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लगातार बड़ा होता Drone Market है भारत में बिजनेस का भविष्य!

फिलहाल देश में 200 से ज्यादा ड्रोन आधारित स्टार्टअप काम कर रहे हैं जिसकी बदौलत हम कह सकते हैं कि ड्रोन्स भारत में बिजनेस के भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

Vipul Singh

Senior President and Head Of HR

ADP

भारतीय इकॉनमी आज दुनिया में तेजी से उभरती प्रमुख इकॉनमियों में से एक है और लगातार बड़ी हो रही हमारी इस इकॉनमी में सेवा क्षेत्र का प्रमुख प्रमुख योगदान है. लेकिन पिछले एक दशक के दौरान ड्रोन इंडस्ट्री एक ऐसे क्षेत्र के रूप में उभरी है जो लगभग हर क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है. अगर ड्रोन सोल्यूशंस के क्षेत्र में वृद्धि की जाए तो यह करोड़ों भारतीयों के जीवन को प्रमुख रूप से प्रभावित कर सकता है. 

फौज पहले से कर रही है ड्रोन का इस्तेमाल

UAV (मानव रहित विमान) की टेक्नोलॉजी भारत के लिए बिलकुल नयी नहीं है. UAV को फौज के लिए सक्रीय रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है और विकसित भी किया जा रहा है. मिलिट्री ड्रोन्स को आम तौर पर जासूसी करने, निगरानी करने और नक्शा तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बिजनेस में इनका इस्तेमाल हाल फिलहाल में ही शुरू किया गया है. माना जा रहा है कि साल 2027 तक ड्रोन एनालिटिक्स मार्केट 6.5 बिलियन डॉलर्स की हो जायेगी. इसीलिए भारत, ड्रोन हब बनने के रास्ते पर चल रहा है. ड्रोन इंडस्ट्री को बड़ा करने से हाई-स्किल्ड रोजगारों पर सबसे बड़ा प्रभाव पड़ेगा और इनमें वृद्धि होगी. ड्रोन आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाने, उसकी देख रेख करने और संचालित करने की जरूरत की वजह से हाई-स्किल्ड कर्मचारियों की मांग में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है.  

ड्रोन टेक्नोलॉजी का अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव 

ड्रोन टेक्नोलॉजी के प्रभाव को समझने के लिए ड्रोन के काम करने के तरीकों और इंडस्ट्री में उनके इस्त्तेमाल की गहरी समझ होना बहुत जरूरी है. भारत में ड्रोन्स बहुत तेजी से बिजनेस के भविष्य के लिए प्रमुख उपकरण बनते जा रहे हैं और इस वक्त देश में ड्रोन आधारित 200 से ज्यादा स्टार्टअप्स काम कर रहे हैं. डाटा को इकट्ठा करके और उसकी जांच करके इन UAVs का इस्तेमाल ऑपरेशंस में सुधार, लागत कम करने और प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. वैसे तो ड्रोन्स का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की इंडस्ट्रीज में हो सकता है लेकिन फिलहाल इनका प्रभाव मुख्य रूप से खनन क्षेत्र, शहरी एवं ग्रामीण विकास, कृषि, रिन्यूएबल एनर्जी और इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच जैसे क्षेत्रों पर देखा जा सकता है. 

भारत के शहरी एवं ग्रामीण विकास में ड्रोन की भूमिका

शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन्स का इस्तेमाल जमीन के डिजिटल रिकार्ड्स बनाने, जमीन की ऊंचाई को मांपने, सिंचाई करने, पानी की पाइपलाइन की प्लानिंग और प्रॉपर्टी के टैक्स को जांचने के लिए किया जा रहा है. कृषि के क्षेत्र में ड्रोन्स का इस्तेमाल फसल की देख-रेख और कीड़े मारने वाली दवाएं छिड़कने के लिए किया जा रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में ड्रोन्स का इस्तेमाल सड़कों, पुलों और इमारतों की हालत को जांचने और कंस्ट्रक्शन स्थलों की वृद्धि का ध्यान रखने के लिए किया जा रहा है. 

SWAMITVA योजना से मिलेगी बहुत मदद

भारत सरकार की SVAMITVA योजना के अंतर्गत फिलहाल ड्रोन्स द्वारा बहुत से राज्यों का नक्शा तैयार किया जा रहा है. SVAMITVA योजना के डाटा को सरकारी विभागों द्वारा पानी की पाइपलाइन, सीवर नेटवर्क और फाइबरनेट नेटवर्क जैसे बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर के डिजाईन को बेहतर तरीके से तैयार करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. छतों की सोलर क्षमता को जांचकर नक्शा तैयार करना शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों को आत्मनिर्भर बनाने का एक और तरीका है. ड्रोन द्वारा इकट्ठा किये गए डाटा से छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए हॉटस्पॉट की पहचान की जा सकती है और यह एनर्जी पर होने वाले खर्चे को कम भी कर सकता है. इसके साथ-साथ यह एक कदम कनेक्टेड ग्रिड व्यवस्था के माध्यम से हमें अधिकतम सोलर क्षमता भी प्रदान कर सकता है. इसी डाटा का इस्तेमाल करके बड़े क्षेत्रों में जमीन और वाटर-शेड के विकास के लिए ऊंचाई और ढलान की जांच भी की जा सकती है. 

पारंपरिक तरीकों से बहुत आगे है ड्रोन

सटीक एवं आधुनिक डाटा उपलब्ध करवा कर भारत में ग्रामीण और शहरी विकास को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन्स का इस्तेमाल किया जा रहा है. मानव द्वारा चलाये जाने वाले एयरक्राफ्ट, सैटेलाईट और मैन्युअल सर्वे जैसे डाटा इकट्ठा करने के पारंपरिक तरीके बहुत ज्यादा समय लेते हैं और इनमें गड़बड़ी की गुंजाइश भी होती है. जबकि ड्रोन्स द्वारा पारंपरिक तरीकों की कीमतों से बहुत कम कीमत में एक समय पर बहुत बड़ी मात्रा में डाटा इकट्ठा किया जा सकता है और यह ज्यादा सटीक होता है साथ ही इसमें गलती की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं. ड्रोन्स के द्वारा 3D में 3 सेंटीमीटर प्रति पिक्सल की टेक्नोलॉजी का रेजोल्यूशन दिया जाता है जो ग्लोबल मार्केट में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ सैटेलाईट के मुकाबले 100 गुणा बेहतर है.  ड्रोन द्वारा इकठ्ठा किये गए डाटा को क्लाउड प्लेटफॉर्म्स की मदद से जांचा जा सकता है जिससे यह डाटा तुरंत ही बिजनेस में इस्तेमाल किया जा सकता है.
 

भारत के एनर्जी क्षेत्र में भी है ड्रोन्स की अहम भूमिका

ड्रोन आधारित सोल्यूशंस भारत की एनर्जी की जरूरतों को संबोधित करने के लिए बहुत जरूरी हैं. उदाहरण के लिए कोयला खनन इंडस्ट्री में ड्रोन्स के इस्तेमाल से प्रक्रिया को बेहतर बनाया जा सकता है और कोयला उत्पादन के कार्बन फूटप्रिंट में भी कमी आएगी जिसकी वजह से यह ज्यादा अफोर्डेबल एनर्जी होगी और इसे कंज्यूमर्स के ज्यादा करीब लाया जा सकता है. 
ड्रोन्स के इस्तेमाल से कोयला खदानों का नक्शा तैयार किया जाता है जिससे कंपनी को खदान के अंदर काम करने में आसानी होती है और खनन की प्रक्रिया ज्यादा आसन और बेहतर हो जाती है. ज्यादा उपज वाले क्षेत्रों को अपना लक्ष्य बनाकर और कम संसाधनों का प्रयोग करके खनन कंपनियां अपने उत्पादन को बढ़ा सकती हैं. कुल मिलाकर कहें तो ढुलाई के लिए सड़कों की जांच, कूड़ा गिराने की जगहों की जांच, और निरंतर मोनिटरिंग जैसे तरीकों के इस्तेमाल से ड्रोन्स खदानों को ज्यादा सुरक्षित बना सकते हैं. इसके साथ ही हर जांच की कीमत कम होने से ड्रोन्स का इस्तेमाल हर दिन किया जा सकता है और क्लाउड कंप्यूटिंग की मदद से डाटा को विकसित करके तुरंत उसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है. 


रिन्यूएबल एनर्जी के स्त्रोतों को मजबूत बनाकर भी ड्रोन्स भारत की एनर्जी की जरूरतों में अपना योगदान दे रहे हैं. उदाहरण के लिए ड्रोन्स का इस्तेमाल सोलर रेडिएशन और टोपोग्राफी जैसे कारकों के बारे में सटीक जानकारी और डाटा इकट्ठा करने के लिए किया जा सकता है जिससे बेहतर डिजाईन वाले सोलर प्लांट्स को बनाया जा सकता है. ड्रोन्स का इस्तेमाल, सोलर प्लांट्स की क्षमता का ध्यान रखने के लिए भी किया जा सकता है. इसके साथ ही ड्रोन्स से सोलर प्लांट्स एवं पवन चक्की की रेगुलर जांच की जा सकती है और ऐसी समस्याओं को पहले ही खत्म किया जा सकता है जो आगे जाकर बड़ी मुश्किल पैदा करें. 
 

भारत के विकास के लिए ड्रोन्स हैं जरूरी

साधारण भाषा में कहें तो ड्रोन्स और ड्रोन सोल्यूशंस के इस्तेमाल से विश्वसनीय और अफोर्डेबल एनर्जी को भारत के लोगों तक ज्यादा आसानी से पहुंचाया जा साकता है. इस एक फैसले से एनर्जी सब्सिडी को खत्म किया जा सकता है और देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को ज्यादा बेहतर तरीके से संचालित किया जा सकता है जिससे देश के नागरिकों की जीवनशैली का भी विकास होगा. भारत में ड्रोन मार्केट लगातार बड़ा हो रहा है और देश के इकॉनोमिक विकास में प्रमुख भूमिका निभा रहा है. यह भारत के 5 ट्रिलियन डॉलर्स इकॉनमी बनने के लक्ष्य में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. 

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