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मेडिकल टूरिज्म में भारत के लिए क्या हैं अवसर? BW Healthcare में मिला जवाब
भारत में हर साल मेडिकल, वैलनेस और IVF ट्रीटमेंट आदि के लिए 78 देशों के 2 मिलियन मरीज आते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 2 months ago
BW Healthcare द्वारा दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के डायरेक्टर जनरल डॉक्टर अभय सिन्हा ने भारत में मेडिकल टूरिज्म - अवसर' विषय पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने बताया कि सरकार इस दिशा में क्या कर रही है और अस्पतालों को क्या भूमिका निभानी चाहिए. सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि यह मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स का सेटअप है, जिसकी स्थापना 2006 में हुई थी. इसका उद्देश्य सभी सर्विस के एक्सपोर्ट को प्रमोट करना है, जिसमें मेडिकल वैल्यू टूरिज्म भी शामिल है.
मेडिकल वैल्यू टूरिज्म
डॉक्टर अभय सिन्हा ने आगे कहा - सर्विस एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल में हमने महसूस किया है कि जब आप टूरिज्म की बात करते हैं, तो इसमें 2-3 मुख्य कॉम्पोनेन्ट होते हैं, जैसे कि फिल्म टूरिज्म, मेडिकल टूरिज्म और मेडिकल वैल्यू टूरिज्म. मेडिकल वैल्यू टूरिज्म को आइसोलेशन में नहीं रखा जा सकता. यह केवल अस्पताल या उन फेसिलिटेटर्स के बारे में ही नहीं है जो विदेशों से मरीजों को भारत लाते हैं, बल्कि यह सम्पूर्ण वैल्यू चेन के बारे में है. जहां आपको मरीज की यात्रा, मतलब अपने देश से वो भारत ऐसे आया और उसे किस तरह की सेवाओं की ज़रूरत है, आदि का विश्लेषण किया जाता है. इसकी जानकारी जरूरी
मेडिकल वैल्यू टूरिज्म यानी MVT ई-कोसिस्टम की बात करते हुए उन्होंने बताया कि DG टूरिज्म और IRCTC एक ऐसा पोर्टल बनाने पर विचार कर रहे हैं जहां वे सभी होटल और हॉस्पिटल को एक दूसरे से अलाइन कर सकें. हालांकि, अभी काफी काम किया जाना बाकी है. इस दिशा में कई चुनौतियां हैं. मेडिकल वैल्यू टूरिज्म को लेकर आजकल बीमा सबसे महत्वपूर्ण विषय बन गया है. विदेशी मरीज भारत आ रहे हैं, वे बीमित हैं या नहीं, ये महत्वपूर्ण सवाल है. साथ ही जानकारी, केवल अस्पताल की जानकारी ही नहीं बल्कि यह भी कि ग्लोबल मार्केट में उनकी क्रेडेबिलिटी क्या है. इसके साथ ही मीडिएटर, जो भारत के हेल्थ केयर सिस्टम के लिए वैल्यू जनरेट कर रहे हैं, लेकिन इसमें यह अंतर कैसे किया जाए कि कौन वास्तव में ऐसा कर रहा है और कौन नहीं.
अस्पतालों की भागीदारी आवश्यक
भारत में MVT की बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेडिकल टूरिज्म इंडेक्स 2020-21 में भारत का नंबर 46 देशों में 10वां था. भारत में NABH accredited 1600 से ज्यादा अस्पताल है. जबकि 52 JSI हॉस्पिटल हैं, हमने इस संख्या में वृद्धि की है, लेकिन दूसरों से तुलना में हम पाएंगे ये चिंता का विषय है. भारत में हर साल मेडिकल, वैलनेस और IVF ट्रीटमेंट आदि के लिए 78 देशों के 2 मिलियन मरीज आते हैं. इससे इंडस्ट्री को 6 बिलियन डॉलर की इनकम होती है, जो 2026 में 13 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है. लेकिन इमर्जिंग एरिया पर ध्यान देने के लिए कोई रणनीति नहीं है. व्यक्तिगत रूप से हॉस्पिटल और डॉक्टर बेहतरीन काम कर रहे हैं. लेकिन यदि हमें मेडिकल वैल्यू टूरिज्म पर राष्ट्रीय रणनीति बनानी है तो हमें डेटा के कन्वर्जन पर ध्यान देना होगा, पर्यटन मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय के विचारों के कन्वर्जन पर ध्यान देना होगा. वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से मैं कह सकता हूं कि हम इस पर ध्यान दे रहे हैं, लेकिन यहां अस्पतालों की भागीदारी बेहद आवश्यक है.
दूसरे देश जा रहे विदेशी मरीज
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए डॉक्टर अभय सिन्हा ने कि हमने कास्ट एडवांटेज के बारे में काफी बात की है, लेकिन शायद ये पहले जैसा न रहे. भारत आने वाले कई मरीज अब स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट के लिए दूसरे देशों का रुख कर रहे हैं. थाईलैंड हाल ही में हमारे मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में सामने आया है, इसी तरह तुर्की और UAE भी हमें कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रहे हैं. इसलिए हमें इसे लेकर एक स्पष्ट रणनीति की जरूरत है. हमें वैल्यू चेन में ऊपर जाना होगा. ऐसे अस्पताल बढ़ाने होंगे जो लागत प्रभावी होने के साथ ही अच्छी देखभाल प्रदान करें. हमें अल्टरनेटिव मेडिसिन जैसे कि आयुष पर भी फोकस करने की जरूरत है. इंडस्ट्री ACIS जैसी स्कीम की मांग कर रही है. वहीं, सरकार 2-3 चीजों के लिए पूरा समर्थन प्रदान करने को तैयार है. जिसमें मार्केट एक्सेस, ग्लोबल ब्रांडिंग, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और न्यू इमर्जिंग टेक्नोलॉजी शामिल हैं. उन्होंने यह भी कहा कि हमें अपनी सक्सेस स्टोरी को दुनिया तक पहुंचाने की जरूरत है.
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