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श्याम जाजू ने 'डिजिटल इंडिया' को बताया नए भारत की नई क्रांति, जिसने बदल दिया लोगों का जीवन

डिजिटल इंडिया में भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने की एक अत्यंत सार्थक एवं प्रभावी पहल है और इसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

  • श्याम जाजू, निवर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाजपा

उभरते भारत की पहचान आज दुनिया में न सिर्फ एक आर्थिक महाशक्ति और सैन्य ताकत के रूप में होती है, बल्कि सूचना तकनीकी के क्षेत्र में हुई अभूतपूर्व प्रगति से भी होती है. कभी दुनिया में सूचना तकनीक के मात्र  बैक ऑफिस के रूप में जाने जाना वाला भारत अब डिजिटल तकनीक और उसके व्यावहारिक उपयोग में दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है. और इसके पीछे है अत्यंत सफल डिजिटल इंडिया अभियान जिसने सच में देश की तस्वीर बदल कर रख दी है. 

सभी ने की सराहना
अभी कुछ दिन पूर्व भारत यात्रा पर आए माइक्रोसॉफ्ट के प्रमुख सत्या नडेला ने कहा की भारत का डिजिटल स्वरूप अद्भुत है. जितनी तेजी से भारत ने प्रौद्योगिकी का उपयोग कर देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था में बदलने का सफल प्रयास किया है, ऐसा मैंने पहले नहीं देखा. वहीं, हाल ही में भारत आए G20 के प्रतिनिधियों ने भारत को "डिजिटल तकनीक का अग्रणी" कहते हुए यहां हुए डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और राजस्थान के उदयपुर में शिल्पग्राम में राजस्थानी हस्तकला की वस्तुओं को खरीदने के लिए UPI (यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस) का भी उपयोग किया. प्रतिनिधि मंडल की एक सदस्य सऊदी अरब की प्रतिनिधि राशा खालिद बिन अफतान ने कहा कि यह अभूतपूर्व है और सभी देशों को भारत और इसकी उच्च तकनीक से सीखने की जरूरत है.

विकास पर सकारात्मक प्रभाव
दरअसल डिजिटल इंडिया ने देश में एक आर्थिक क्रांति का सूत्रपात किया है, जिसके मूल में है सुशासन और नागरिक सशक्तिकरण. कुछ ही वर्षों में डिजिटल इंडिया ने भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने के अपने प्रयासों में महत्वपूर्ण प्रगति की है. कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार किया है जिसने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच डिजिटल विभाजन को पाटने में मदद की है. आज देश की अधिकांश ग्राम पंचायतों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ दिया गया है. इसने ग्रामीण क्षेत्रों में ऑनलाइन सेवाओं की उपलब्धता में काफी सुधार किया है और नागरिकों के लिए डिजिटल तकनीकों के उपयोग के माध्यम से सरकारी सेवाओं तक पहुंच को आसान बना दिया है. आज अधिकांश सरकारी सेवाएंऑनलाइन उपलब्ध हैं. इससे पारदर्शिता बढ़ाने, भ्रष्टाचार को कम करने और सरकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करने में मदद मिली है. इन प्रयासों का नागरिकों के जीवन और देश के विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है.

ये है इसका उद्देश्य
डिजिटल इंडिया अभियान को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को लॉन्च किया गया था. इसका प्रारंभिक उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों को हाई-स्पीड इंटरनेट नेटवर्क से जोड़ना और देश में डिजिटल साक्षरता और उपयोग में सुधार करना था. यह पूरा अभियान तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित था - प्रत्येक नागरिक के लिए एक उपयोगिता के रूप में डिजिटल बुनियादी ढांचा, मांग पर शासन और सेवाएं, और नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण. दरअसल, डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भारत को बदलने, डिजिटल सेवाओं के साथ लोगों को सशक्त बनाने और उन्हें बेहतर जीवन जीने में मदद करने के लिए भविष्य का एक रोड मैप है. इसमें एक राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस मिशन, राष्ट्रीय घटक, स्मार्ट शहरों की पहल और डिजिटल इंडिया का प्रमुख कार्यक्रम डिजिलाइट शामिल हैं. इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय नागरिकों को आर्थिक और समाजिक रूप से सक्षम बनाना है.

डिजिटल इंडिया के नौ स्तंभ
डिजिटल इंडिया के नौ स्तंभ हैं ब्रॉडबैंड हाईवे, मोबाइल कनेक्टिविटी तक सार्वभौमिक पहुंच, सार्वजनिक इंटरनेट एक्सेस कार्यक्रम, ई-गवर्नेंस: प्रौद्योगिकी के माध्यम से सरकार में सुधार, ई-क्रांति - सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी, सभी के लिए सूचना, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, नौकरियों के लिए आईटी और प्रारंभिक फसल कार्यक्रम. इनमें से प्रत्येक क्षेत्र अपने आप में एक जटिल कार्यक्रम है और कई मंत्रालयों और विभागों में फैला हुआ है. डिजिटल इंडिया के तहत महत्वपूर्ण पहलों में शामिल हैं: डिजिलॉकर, ई-स्वास्थ्य अभियान, ई-शिक्षा अभियान, ई-क्रांति (सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी), भीम - यूपीआई पोर्टल व् ई-अस्पताल आदि. 

वाजपेयी ने रखी थी नींव
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम भले ही औपचारिक रूप से 2015 में प्रारम्भ हुआ हो, इसकी नीव भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा 2002 में ही रख दी गयी थी. जब उनकी सरकार ने भारत में एक सशक्त सूचना और संचार नेटवर्क बनाने की योजना की घोषणा की थी. 2014 के लोक सभा चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में डिजिटल भारत के विकास को एक महत्वपूर्ण लक्ष्य बनाया था जिसका उद्देश्य भारत के प्रत्येक नागरिक को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना व् भारत को ग्लोबल नॉलेज हब बनाने के साथ हर घर को डिजिटल रूप से साक्षर बनाना था. इस घोषणापत्र में ई-गवर्नेंस पर विशेष ध्यान दिया गया था, क्योंकि बीजेपी का मानना था कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी भारत के सशक्तिकरण, नागरिकों की समानता और दक्षता के लिए एक महत्वपूर्ण सूत्र है. इसलिए घोषणा पत्र में ब्रॉडबैंड, सहभागी शासन, डिजिटल लर्निंग, टेली-मेडिसिन, ई-भाषा आदि का उल्लेख किया गया था. 

बढ़ रही डिजिटल अर्थव्यवस्था
आज ये सभी घोषणाएं मूर्त रूप ले चुकी हैं. डिजिटल अपनाने के मंच पर भारत विश्व स्तर पर एक अग्रणी देश बन गया है. आज भारत के 84 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े हैं. देश में 100 करोड़ से अधिक मोबाइल फ़ोन उपयोगकर्ता हैं जिसमे से 60 करोड़ लोग स्मार्ट फ़ोन का उपयोग करते हैं. भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के वर्ष 2025 तक 1 ट्रिलियन डालर को पार करने की संभावना है. ई-गवर्नेंस से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में व्यापक वृद्धि हुई है. भारत नेट कार्यक्रम के तहत लगभग 3 लाख किलोमीटर के ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क ने 1.15 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को जोड़ा गया है. चाहे शहर हों या गांव, छोटे खुदरा व्यापारी हों या बड़े व्यावसायिक संसथान, सभी UPI का उपयोग कर रहे हैं. 10 रुपए की मूंगफली भी आज क्यूआर कोड की मदद से खरीदी जा सकती है. 

मजाक का ऐसे दिया जवाब
अभी ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब 2017 में कांग्रेस के नेता, पूर्व वित्त मंत्री प. चिदंबरम ने संसद में डिजिटल पेमेंट का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था कि क्या गांव में कभी कोई आलू और टमाटर खरीद कर साढ़े सात रुपये डिजिटल तरीके से दे पायेगा? आज भारत की डिजिटल क्रांति ने न केवल उनकी बात का सम्यक जवाब दिया बल्कि पूरे देश और दुनिया को हतप्रभ कर दिया है. मात्र तीन बरस में, 2021 में ही डिजिटल भुगतान ने 100 बिलियन डालर (लगभग 8 लाख करोड़) का आंकड़ा छू लिया और अब डिजिटल लेनदेन में भारत दुनिया का नंबर एक देश बन गया है. हाल ही में 5G के लॉन्च के अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी ने इस घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक समय था जब मुट्ठी भर संभ्रांत वर्ग के लोग और उनमें से कुछ संसद के अंदर डिजिटल इंडिया का मजाक उड़ाया करते थे. वे सोचते थे कि गरीब लोगों में कोई क्षमता नहीं है और वे डिजिटल चीजों को नहीं समझ सकते. उन्हें संदेह था कि गरीब लोग डिजिटल का मतलब भी नहीं समझेंगे. लेकिन देश के आम आदमी की समझ में, उसकी विद्वत्ता में, उसके जिज्ञासु मन में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हमेशा भरोसा किया है.

दुनिया के लिए रोल मॉडल
निःसंदेह डिजिटल इंडिया में भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज में बदलने की एक अत्यंत सार्थक एवं प्रभावी पहल है और इसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. इस कार्यक्रम ने सफलतापूर्वक इंटरनेट कनेक्टिविटी का विस्तार किया है और ई-गवर्नेंस और ई-स्वास्थ्य पहलों को लागू किया है, जिससे देश के नागरिकों को बहुत लाभ हुआ है. डिजिटल इंडिया की सफलता डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने और डिजिटल प्रौद्योगिकियों तक पहुंच बढ़ाने के इच्छुक अन्य देशों के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य करती है. कभी और देशों की सफलता में अपनी प्रगति के गुर ढूंढता भारत आज शेष दुनिया के लिए एक रोल मॉडल बन गया है. और इसके मूल में है - डिजिटल इंडिया! यही है इसकी सबसे बड़ी सफलता.


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