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देश में कई क्रांतिकारी बदलाव हुए, लेकिन अभी भी काफी कुछ किया जाना बाकी

सच कहा जाए तो जैसे-जैसे कंपनियां AI, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग पर भरोसा करना शुरू करती हैं, उन्हें पता चलता है कि ज्यादा कर्मचारियों की जरूरत नहीं है.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 10 months ago

  • हरदयाल सिंह 

मुझे कई साल पहले राजकोट और अहमदाबाद के बीच एक व्यस्त हाईवे पर यात्रा करने का अवसर मिला था. इस हाईवे का निर्माण मेरी यात्रा के कुछ वक्त पहले ही हुआ था. मुझे दिल्ली वापस जाने के लिए अहमदाबाद से फ्लाइट पकड़ने की हड़बड़ी थी. इसके बावजूद मेरा ध्यान हाईवे पर मौजूद ढाबे, रेस्टोरेंट्स पर गया, जिन्होंने लोगों को आकर्षित करने के लिए सड़क के दोनों ओर चमकीली, झिलमिलाती रोशनी लगाई हुई थी. तब मुझे अहसास हुआ कि जो मैं पहले से कहता आ रहा हूं, वो वाकई सही है - नया इंटर-सिटी हाईवे या रेलवे महज तेज और सुगम यात्रा से कहीं अधिक होता है. यह उद्यमशीलता के असंख्य अवसरों को खोलता है. पेट्रोल पंप, ढाबा, रेस्टोरेंट, रिपेयर ऑउटफिट और छोटी किराने की दुकानें इस विकास के साथ विकसित होती जाती हैं. 

यही एकमात्र उपलब्धि नहीं
इसी तरह, विकसित रेलवे स्टेशन भले ही देखने में अस्तव्यस्त लगें, लेकिन अब जीवंत हो गए हैं. जैसे ही कोई नई प्रॉपर्टी विकसित होती है, यह ब्रोकर, बिचौलियों से लेकर ऑटो-टैक्सी चालकों को नया व्यवसाय प्रदान करती है. देश में अभी 1,44,634 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं. जब मुझे पता चला कि 2011 से इसकी लंबाई दोगुनी हो गई है, तो मैं आजीविका पर इसके प्रभाव की कल्पना कर सकता था. लेकिन 2014 के बाद से यह देश की एकमात्र उपलब्धि नहीं है. मॉर्गन स्टेनली की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यह दशक भारत के लिए कई मायनों में परिवर्तनकारी रहा है.

दूसरों से बेहतर है स्थिति
उदाहरण के तौर पर भारत की जीडीपी, वर्तमान में लगभग $3.75 ट्रिलियन है, जो दुनिया में 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और भारत अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था भी है. दूसरी ओर इसकी मुद्रास्फीति दर 4.5% है, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है. भारत का खुदरा बाजार 781 बिलियन डॉलर का है और 2032 तक बढ़कर 1834 बिलियन डॉलर होने की उम्मीद है. वित्त वर्ष 22 में देश ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में लगभग 84 बिलियन डॉलर आकर्षित किया- यह आंकड़ा दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है.

बेहतर हो रहा जीवन
वित्तीय वर्ष 15 और 23 के दौरान, रेलवे पटरियों का आधुनिकीकरण 4100 किलोमीटर से सात गुना बढ़कर 28800 किलोमीटर हो गया, ब्रॉडबैंड सब्सक्रिप्शन बेस 58.9 मिलियन से बढ़कर 771.3 मिलियन हो गया और नवीकरणीय ऊर्जा 25.7 मिलियन से बढ़कर 75.7 मिलियन गीगावाट हो गई. विमुद्रीकरण (demonetization) के बाद, और जरूरी नहीं कि इसके परिणामस्वरूप, वित्त वर्ष 17 और 23 के दौरान डिजिटल लेनदेन सकल घरेलू उत्पाद के 8% से बढ़कर 76% पहुंच गया. इनमें से प्रत्येक आंकड़ा केवल महज आंकड़ा नहीं है; यह दर्शाता है कि कैसे जीवन बेहतरी के लिए बदल गया है.

इन मोर्चों पर विफलता
हालांकि, इस दौरान कुछ विफलताएं भी हाथ लगी हैं- उदाहरण के लिए, बेहतर तैयारी के साथ जीएसटी को निर्बाध रूप से लागू किया जा सकता था. कुल मिलाकर, हालांकि, देश नई ऊंचाइयों को छूने और आगे आने वाली कुछ कठिन चुनौतियों का सामना करने के लिए अच्छी तरह से तैयार है. 7.7% बेरोजगारी दर अस्वीकार्य रूप से उच्च है. सच कहा जाए तो जैसे-जैसे कंपनियां AI, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग पर भरोसा करना शुरू करती हैं, उन्हें पता चलता है कि उन्हें कम कर्मचारियों की जरूरत है. कोविड ने ही इस प्रवृत्ति को और तेज किया. लागत में कटौती करने के लिए, कंपनियों ने छटनी का सहारा लिया; अपने कर्मचारियों को घर से काम करने दिया; और टेलीकांफ्रेंसिंग, ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए कारोबार चलाना शुरू किया. नतीजतन, बॉटमलाइन में सुधार हुआ, लेकिन बेरोजगारी की एक गंभीर समस्या हमारे सामने आ गई. 

इन बढ़ाना चाहिए खर्चा
वर्तमान में, अर्थव्यवस्था के कृषि, औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में 44%, 25% और 31% कार्यबल सकल घरेलू उत्पाद का 20%, 26% और 54% है. स्पष्ट रूप से, जनसंख्या को अपेक्षाकृत कम मूल्य वर्धित कृषि क्षेत्र से अधिक उत्पादक औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों में ले जाना होगा. यह तभी होगा जब उच्च FDI और घरेलू निवेश के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था कम से कम 8% प्रति वर्ष की दर से बढ़ती है. फिर भी संभव है कि रोजगार के मोर्चे पर उम्मीद अनुरूप परिणाम न मिलें, क्योंकि इससे उत्पन्न होने वाली अधिकांश नौकरियां कुशल श्रमिकों के लिए होती हैं. यह समस्या आज भी मौजूद है और यह सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर-प्राथमिक स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास की उपेक्षा का प्रत्यक्ष परिणाम है. सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा पर सकल घरेलू उत्पाद का 1.3% और 2% वार्षिक व्यय आवश्यकताओं से काफी कम है और इसे बढ़ाया जाना चाहिए. जीवन में, अर्थशास्त्र की तरह, एक ही स्थान पर बने रहने के लिए आपको यथासंभव दौड़ना पड़ता है, लेकिन यदि आप कहीं जाना चाहते हैं, तो आपको दोगुनी तेजी से दौड़ना होगा. इन समस्याओं के बारे में सोचने का समय आ गया है.

(लेखक पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त हैं और Moral Compass- Finding Balance and Purpose in an Imperfect World, Harper Collins India, 2022 के लेखक हैं)


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