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इंडिया अलायंस ने Google और Meta के सीईओ को क्यों लिखी चिट्ठी, आखिर क्या है इसकी वजह?
ये पत्र दरअसल वॉशिंगटन पोस्ट की ओर से पब्लिश की गई स्टोरी के बाद लिखा गया है. इस पत्र में इस खबर को मुख्य आधार बनाया गया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
चुनावों के दौरान सोशल मीडिया पर सामने आने वाली नफरती राजनीति को खत्म करने के लिए इंडिया अलायंस की ओर से मेटा और गूगल के सीईओ को पत्र लिखा है. इंडिया अलायंस की ओर से ये पत्र मेटा और गूगल के सीईओ को पत्र लिखकर उनके प्लेटफॉर्म को लेकर वॉशिंगटन पोस्ट में छपी खबर का हवाला देकर खबर छापी गई है. इस पत्र में कहा गया है कि विपक्षी पार्टी भाजपा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करके नफरत फैला रही है. अलायंस की ओर से इसे रोकने की मांग की गई है.
क्या है पत्र का मजमून?
इंडिया अलायंस की 28 पार्टियों की ओर से इस पत्र में राजनीतिक पार्टियों द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का गलत इस्तेमाल कर भ्रांतिया फैलाई जाती हैं. इंडिया अलायंस की ओर से लिखे गए इस पत्र में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए मेटा और गूगल को लिखा है कि एक निजी विदेशी कंपनी द्वारा एक राजनीतिक गठन के प्रति इस तरह का जबरदस्त पक्षपात और पूर्वाग्रह भारत के लोकतंत्र में हस्तक्षेप करने के समान है, जिसे हम भारतीय गठबंधन में हल्के में नहीं लेंगे. 2024 में आगामी राष्ट्रीय चुनावों के आलोक में, आपसे हमारी गंभीर और तत्काल अपील है कि आप इन तथ्यों पर गंभीरता से विचार करें और तुरंत सुनिश्चित करें कि भारत में मेटा का संचालन तटस्थ रहे और सामाजिक अशांति पैदा करने के लिए जाने-अनजाने इसका उपयोग भारत की बहुप्रतीक्षित लोकतांत्रिकता को बिगाड़ने के लिए न किया जाए. हम इस संबंध में आपके पूर्ण सहयोग की आशा करते हैं.
वाशिंगटन पोस्ट ने किया है खुलासा
अमेरिका के नामी अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने सोशल मीडिया साइट द्वारा सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का खुलासा किया गया है. वाशिंगटन पोस्ट की ओर से कहा गया है कि सोशल मीडिया साइट भारत में वैमनस्य फैलाने और घृणा फैलाने का काम कर रहा है. वाशिंगटन पोस्ट ने ये भी कहा है कि हमारे पास वो डेटा भी मौजूद है जो ये बताता है सत्ताधारी पार्टी के कंटेट को बढ़ावा देती है और विपक्षी नेताओं के कंटेट को एल्गोरिथम माडरेशन और दमन का सामना करना पड़ता है.
8 अक्टूबर को छापी गई थी खबर
ये खबर 8 अक्टूबर को छापी गई थी. इस खबर का शीर्षक भारत को भड़काने के लिए हिंदू राष्ट्रवादियों के विशाल डिजिटल अभियान की पड़ताल शीर्षक से एक खबर पब्लिश की थी. इस आर्टिकल में सत्ताधारी भाजपा की चुनावी सफलता का श्रेय अमेरिकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दिया था. इसके अलावा 8 अक्टूबर को एक और आर्टिकल छापा इसमें भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया था.
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