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Torrent ने रोकी Reliance Capital की दिवाला समाधान प्रक्रिया, NCLT ने दिया यह आदेश
समूह ने ई-नीलामी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अपनी बोली जमा की थी जो 21 दिसंबर को संपन्न हुई थी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः टोरेंट ग्रुप की याचिका पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मंगलवार को रिलायंस कैपिटल की समाधान प्रक्रिया पर रोक लगा दी. पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनसीएलटी से स्टे ऑर्डर आया क्योंकि टोरेंट ग्रुप ने हिंदुजा ग्रुप की संशोधित बोली को चुनौती दी थी.
टोरेंट ग्रुप जो 8,460 करोड़ रुपये की पेशकश के साथ सबसे अधिक बोली लगाने वाले के रूप में उभरा है, ने हिंदुजा समूह की देर से संशोधित बोली के खिलाफ एनसीएलटी में याचिका दायर की थी. समूह ने ई-नीलामी प्रक्रिया पूरी होने के बाद अपनी बोली जमा की थी जो 21 दिसंबर को संपन्न हुई थी.
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि टोरेंट ने IIHL द्वारा 9,000 करोड़ रुपये की पेशकश की तुलना में सिर्फ 3,750 करोड़ रुपये की पेशकश की थी.
इसलिए अवैध है हिंदुजा ग्रुप की पेशकश
टोरेंट ने कहा है कि हिंदुजा की पेशकश ई-नीलामी के बाद आई और इसलिए, अवैध और गैर-अनुपालन थी. पीटीआई सूत्रों के मुताबिक एनसीएलटी ने प्रशासक से टोरेंट के आवेदन पर जवाब दाखिल करने को कहा है. इस पर सुनवाई कथित तौर पर अगले सप्ताह के लिए निर्धारित की गई है.
सूत्रों ने कहा कि टोरेंट ने अतिरिक्त रूप से लेनदारों की समिति (सीओसी) को आस्थगित वित्तपोषण हासिल करने के लिए आरसीएल की संपत्ति पर शुल्क लगाने की अनुमति देने के लिए कहा है, उधारदाता बोली लगाने वालों के साथ जुड़ना जारी रखेंगे. सीओसी अब अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए बोली लगाने वालों के साथ काम करेगी.
भारी कर्ज में डूबे अनिल अंबानी (Annil Ambani) की कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) एक बार फिर मुश्किल में फंस सकती है. यह कंपनी बैंकरप्सी प्रॉसीडिंग से गुजर रही है. इसके लिए टोरेंट ग्रुप (Torrent Group) ने 8640 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई थी. लेकिन अब हिंदुजा ग्रुप (Hinduja Group) ने अपने ऑफर को बढ़ाने की अनुमति मांगी है.
क्यों अच्छा है हिंदूजा ग्रुप का ऑफर
टोरेंट की तुलना में हिंदुजा का ऑफर सबसे अच्छा है क्योंकि इसमें सुरक्षा शेयर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. एलआईसी (LIC) और ईपीएफओ (EPFO) की अगुवाई वाली कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स ज्यादा कीमत पाने के लिए बेताब होगी ताकि उसका घाटा कम से कम हो. इस बीच टोरेंट ग्रुप ने चेतावनी दी है कि अगर क्रेडिटर्स ने उसका ऑफर नहीं माना तो वह अदालत का रुख कर सकता है. कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) वर्तमान सुरक्षा के किसी भी कमजोर पड़ने से संबंधित होगी. लेनदारों के लिए मूल्य को अधिकतम करने के लिए दिवाला और दिवालियापन (IBC) कोड का उद्देश्य इसके CoC के साथ है. यह सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णयों द्वारा भी कहा गया है, कि सीओसी द्वारा किसी भी योजना के अनुमोदन में मूल्य का अधिकतमकरण एक महत्वपूर्ण शर्त है.
इससे पहले DHFL का किया था ऐसे अधिग्रहण
आरबीआई की धारा 227 की विशेष शक्तियों के तहत एक वित्तीय सेवा कंपनी के लिए किया गया एकमात्र संकल्प डीएचएफएल था जिसे पीरामल समूह ने जीता था. उस मामले में अडानी समूह, जो एक समाधान आवेदक भी नहीं था को सीओसी द्वारा स्वीकार किया गया क्योंकि उसने पीरामल की बोली के लिए उच्चतम मूल्य की पेशकश की थी.
रिलायंस कैपिटल में करीब 20 फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनियां हैं. इनमें सिक्योरिटीज ब्रोकिंग, इंश्योरेंस और एक एआरसी शामिल है. आरबीआई ने भारी कर्ज में डूबी रिलायंस कैपिटल के बोर्ड को 30 नवंबर 2021 को भंग कर दिया था और इसके खिलाफ इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग (insolvancy proceeding) शुरू की थी.
अनिल अंबानी की कई दूसरी कंपनियों पर भी भारी कर्ज है और वे इनसॉल्वेंसी प्रॉसीडिंग के दौर से गुजर रही हैं. फोर्ब्स इडिया की 2007 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार अनिल अंबानी नेटवर्थ 45 बिलियन अरब डॉलर थी और उस समय वह देश के तीसरे सबसे बड़े रईस थे, लेकिन आज उनकी नेटवर्थ जीरो है.
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