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Maruti Suzuki ने 20 साल पहले बताया था गलत माइलेज, भरना पड़ा हर्जाना!
कार का संभावित खरीदार गाड़ी की माइलेज के बारे में जानने का अधिकारी होता है, क्योंकि यह गाड़ी का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष होता है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 3 months ago
भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) को लेकर इस वक्त एक काफी दिलचस्प खबर सामने आ रही है. माना जा रहा है कि हाल ही में NCDRC (राष्ट्रीय कंज्यूमर विवाद निवारण कमीशन) द्वारा कंपनी को निर्देश दिया गया है कि वह कस्टमर को 1 लाख रुपए का भुगतान करे. कस्टमर को गलत जानकारी प्रदान करने की वजह से कंपनी को यह भुगतान करना पड़ रहा है. आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है?
क्या है पूरा मामला?
दरअसल कंपनी द्वारा एक कस्टमर को उसकी गाड़ी की माइलेज के संबंध में गलत जानकारी दी गई थी और इसीलिए अब कंपनी को ये हर्जाना भर पड़ रहा है. पिछले हफ्ते फैसला सुनाते हुए डॉक्टर इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता वाली NCDRC बेंच ने कहा था कि आमतौर पर कार का संभावित खरीदार गाड़ी की माइलेज के बारे में जानने का अधिकारी होता क्योंकि यह गाड़ी का एक महत्त्वपूर्ण पक्ष होता है और एक ही सेगमेंट में मौजूद विभिन्न ब्रैंड्स की कारों की क्षमता की तुलना करने के लिए यह एक आवश्यक कारक हो सकता है. इसके साथ ही बेंच ने बताया कि 20 अक्टूबर 2004 को प्रकाशित हुए एक विज्ञापन को हमने बेहद ध्यान से देखा है और इस विज्ञापन के आधार पर कहा जा सकता है कि यह एक भ्रामक विज्ञापन हो सकता है. ऐसे विज्ञापन को प्रकाशित करना डीलर और कार निर्माता कंपनी की ओर से व्यापार के गलत अभ्यासों को दिखाता है.
राजीव को मिले 1 लाख रुपए
यह शिकायत राजीव शर्मा के द्वारा दर्ज करवायी गई थी. उन्होने 2004 में यह कार खरीदी थी और विज्ञापन के अनुसार गाड़ी 16-18 किलोमीटर प्रतिलीटर की माइलेज प्रदान कर रही थी. गाड़ी खरीदने के बाद राजीव को पता चला कि गाड़ी की असल माइलेज लगभग 10.2 किलोमीटर प्रतिलीटर है. ठगा हुआ महसूस करते हुए राजीव जिला कंज्यूमर विवाद निवारण फोरम पहुंचते हैं और गाड़ी के लिए भुगतान की हुई पूरी रकम, लगभग 4 लाख रुपरों का रिफंड मांगते हैं. जिला फोरम द्वारा उनकी मांग को आंशिक रूप से पूरा करने का आदेश दिया जाता है जिसके बाद उन्हें रिफंड के रूप में 1 लाख रुपए प्रदान किये जाते हैं.
Maruti Suzuki ने उठाया ये कदम
इस आदेश से खुश न होकर मारुती सुजुकी ने राज्य कमीशन में अपील की जिसके बाद राज्य कमीशन ने जिला फोरम के आदेश पर रोक लगा दी और इसके बाद यह मामला डॉक्टर इंद्रजीत सिंह की अध्यक्षता वाली NCDRC में पहुंचा दिया जाता है. आपको बता दें कि राजीव ने DD मोटर्स से गाड़ी खरीदी थी पर सुनवाई के दौरान भी DD मोटर्स की तरफ से कोई भी व्यक्ति कोर्ट में मौजूद नहीं था और DD मोटर्स को कई बार समन भी भेजा जा चुका था.
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