होम / ऐसा भी होता है / वो शख्स जिसने अंग्रेजों को मारे चाटे, जानिए आजादी से ठीक 3 दिन पहले की घटना
वो शख्स जिसने अंग्रेजों को मारे चाटे, जानिए आजादी से ठीक 3 दिन पहले की घटना
हम बात कर रहे हैं आगरा के 108 वर्षीय सदर भट्टी निवासी इमामुद्दीन कुरैशी की. आजादी की बात छेड़ते ही वह उन दिनों की यादों में खो जाते हैं जब देश आजाद हुआ था.
आमिर कुरेशी 1 year ago
आगरा: देश की आजादी का दिन, यह हम सभी को इतनी आसानी से नसीब नहीं हुई. इसे पाने के लिए न जाने कितने लोगों को अपने प्राण न्यौछावर करने पड़े और न जाने कितने लोगों ने दर्द ओर पीड़ा झेली. देश को आजादी दिलाने के लिए लोग इतने निडर थे कि उन्हें न गोली से डर लगता था, न तोप से और न लाठी-डंडों से. ऐसे ही एक शख्स इमामुद्दीन हैं जो आगरा के निवासी हैं. इमामुद्दीन अपनी जान की परवाह किए बिना ही अकेले अंग्रेजों से भिड़ गए थे.
जब मिलने वाली थी देश को आजादी
हम बात कर रहे हैं आगरा के 108 वर्षीय सदर भट्टी निवासी इमामुद्दीन कुरैशी की. आजादी की बात छेड़ते ही वह उन दिनों की यादों में खो जाते हैं जब देश आजाद हुआ था. BW Hindi को उन्होंने बताया कि देश को आजादी मिलने वाली थी. हर व्यक्ति उत्साह और जोश से भरा हुआ था. बड़े और बच्चे के हाथों में तिरंगा और दिल में खुशी थी. हर इन्सान अपने हाथ में तिरंगा लेकर गलियों, मुहल्लों और बाजारों में रैलियां निकाला करते थे. इससे नाराज अंग्रेज अफसर उन पर लाठी-डंडे भी बरसाया करते थे.
जब जड़ दिया अंग्रेज को तमाचा
वह बताते हैं कि उस दिन 12 अगस्त था. तीन दिन बाद आजादी मिलने वाली थी. लोहामंडी, सैयदपाड़ा क्षेत्र से हिंदू और मुस्लिम भाई हाथों में तिरंगा लेकर रैली निकाल रहे थे. तभी अंग्रेज अफसर ई. विलियम रॉबर्ट ने वहां आकर लोगों पर लाठीचार्ज करा दिया. कई मासूमों को गिरफ्तार कर लिया गया. इसे देखकर मेरा खून खौल गया और मैने गुस्से में आकार अंग्रेज अफसर पर हमला बोलते हुए उसके गाल पर कई तमाचे जड़ दिए और गिरफ्तार हुए साथियों को छुड़ाकर वहां से भाग निकला. पुलिस उन्हें ढूंढ़ती रही तब तक देश आजाद हो चुका था, तब जाकर वह घर लौट पाए थे.
खाकसर कमेटी के सदस्य
इमामुद्दीन बताते हैं कि जब देश आजादी के करीब था, तो उस समय उनको अक्सर कमेटी का सदस्य बनाया गया. उस समय अंग्रेजों के खिलाफ बोलने की किसी की भी हिम्मत नही होती थी और जो भी खाकसर कमेटी के सदस्य होते थे, उनका अपना अलग ड्रेस होता था. वो बताते हैं कि जब मेरी आयु करीब 24 साल थी और मैं पहलवानी करता था, उसे देखते हुए ही मुझे खाकसार कमेटी का सदस्य बनाया गया.
टैग्स