होम / ऐसा भी होता है / केवल थाली ही नहीं, इसकी व्यवस्था करने वाला सरकारी स्कूल भी है कमाल
केवल थाली ही नहीं, इसकी व्यवस्था करने वाला सरकारी स्कूल भी है कमाल
अच्छे खाने के चलते स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है. स्कूल में कुल 117 बच्चे हैं, पहले जहां हर रोज 50-60 बच्चे स्कूल आते थे, अब यह संख्या बढ़कर 90% हो गई है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
सोशल मीडिया पर उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल के मिड डे मील की थाली वायरल हो रही है. इस थाली में पनीर, पूरी से लेकर मिल्कशेक और आइसक्रीम तक मौजूद है. आमतौर पर मिड डे मील में मिलने वाले घटिया खाने की खबरें आती हैं, ऐसे में जब यूपी के स्कूल की ये थाली सामने आई, तो वायरल होना लाजमी था. ये थाली यूपी के जालौन के मलकपुरा गांव के सरकारी स्कूल की है, जिसे पिछले महीने 'तिथि भोजन' यानी एड ऑन मिड डे मील के तहत परोसा गया था. वैसे, जितनी ये थाली कमाल है, उतना ही कमाल उसे परोसने वाला स्कूल भी है. इस स्कूल में बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास से लेकर फ्री ट्यूशन जैसी व्यवस्थाएं भी मौजूद हैं.
ग्राम प्रधान की अहम भूमिका
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलकपुरा के इस सरकारी स्कूल में शिक्षा के स्तर में सुधार लाने के लिए कई ऐसे कदम उठाए गए हैं, जिनकी हर तरफ सराहना हो रही है. आम सरकारी स्कूलों से इस स्कूल को अलग बनाने का श्रेय प्रबंधन के साथ-साथ यहां के ग्राम प्रधान अमित को भी जाता है. अमित ने ही मिड डे मील में मिलने वाली थाली को इतना लजीज और खूबसूरत बनाया है. स्कूल में महीने में कम से कम 2 और ज्यादा से ज्यादा 4 बार 'तिथि भोजन' के तहत स्पेशल खाना खिलाया जाता है.
ऐसे होती है फंड की व्यवस्था
स्पेशल खाने की व्यवस्था करने के लिए अतिरिक्त फंड की भी ज़रूरत थी. इसलिए अमित ने सोशल मीडिया पर लोगों से सहयोग की अपील की, जिसका काफी अच्छा रिस्पांस मिला. अब लोग खास मौकों पर स्कूल के बच्चों के लिए स्पेशल फूड की व्यवस्था में आर्थिक सहयोग करते हैं. इसे एड ऑन मिड डे मील कहा जाता है. यानी कि मिड डे मील की व्यवस्था में इस अतिरिक्त पैसा जोड़कर बच्चों के लिए अच्छा भोजन उपलब्ध कराना. सोशल मीडिया पर थाली की जो फोटो वायरल हो रही है, उसका प्रबंध कानपुर निवासी सौरभ शुक्ला ने किया था.
प्रोजेक्टर से लेकर कूलर तक
अच्छे खाने के चलते स्कूल में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी है. स्कूल में कुल 117 बच्चे हैं, पहले जहां हर रोज 50-60 बच्चे स्कूल आते थे, अब यह संख्या बढ़कर 90% हो गई है. स्कूल में कुल 6 कमरे हैं और हर कमरे में एक कूलर है, ताकि बच्चों को गर्मी में परेशान न होना पड़े. यहां स्मार्ट क्लास भी बनाई गई हैं, जहां लगे प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाने के अलावा बच्चों को शनिवार-रविवार को विशेष फिल्में दिखाई जाती हैं, जो किसी महापुरुष, किसी स्वतंत्रता सेनानी के जीवन या विज्ञान जैसे विषयों पर आधारित होती हैं. चूंकि स्कूल में जगह सीमित है, इसलिए स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर लैब को गांव में खाली पड़े घर में बनवाया गया है.
स्कूल लाने के लिए ई-रिक्शा
जानकारी के अनुसार, मलकपुरा सरकारी स्कूल यूपी का संभवता पहला सरकारी स्कूल है, जहां नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू किया गया है. हालांकि, ये फिलहाल आंशिक तौर पर है. बच्चों को स्कूल लाने के लिए ई-रिक्शा की व्यवस्था की गई है. शनिवार को यहां नो बैग डे होता है. इस दिन बच्चों को ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी खास व्यक्ति से मुलाकात कराई जाती है. इसके अलावा, स्कूल में एक खेल का मैदान बनाने की तैयारी चल रही है.
टैग्स