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15 साल का दिव्यांग परिवार से बिछड़ गया था, तभी 'आधार' ने किया 'चमत्कार'
प्रेम रंजन इंगाले सुनने और बोलने में अक्षम हैं. परिवार से बिछड़ने के बाद प्रेम यहां-वहां भटक रहे थे. नागपुर में रेलवे अधिकारियों ने उन्हें देखा.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्ली: बिछड़े लोगों को परिवार से मिलाने में 'आधार' कार्ड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. ऐसा एक वाक्या हाल में भी देखने को मिला है. 2015 में परिवार से बिछड़ चुके एक 15 साल के दिव्यांग किशोर को सरकारी एजेंसियों ने आधार कार्ड के जरिए ही ढूंढ निकाला. ये मामला बिहार के खगड़िया जिले का है. यहां रहने वाले प्रेम रंजन इंगाले (सचिन कुमार) 2015 में अपने परिवार से बिछड़ गए थे.
सुपरिटेंडेंट ने छेड़ा अभियान
प्रेम रंजन इंगाले सुनने और बोलने में अक्षम हैं. परिवार से बिछड़ने के बाद प्रेम यहां-वहां भटक रहे थे. 28 नवंबर 2016 को नागपुर में रेलवे अधिकारियों ने उन्हें देखा तो वे प्रेम को सीनियर ब्वॉयज अनाथालय ले गए. तब से अब तक प्रेम रंजन यहीं रह रहे थे. इसी साल अनाथालय के सुपरिटेंडेंट विनोद डाबेराव ने प्रेम को उनके परिवार से मिलाने के लिए अभियान छेड़ा. वह आधार सेंटर गए, ताकि प्रेम के घर का पता लगाया जा सके.
इस तरह मिली जानकारी
आधार केंद्र पर विनोद डाबेराव को पता चला कि प्रेम रंजन के बायोमेट्रिक्स पर आधार जनरेट नहीं हुआ था. लेकिन सुपरिटेंडेंट ने हार नहीं मानी और मुंबई के बड़े आधार केंद्र से संपर्क किया. यहां से उन्हें जानकारी मिली कि प्रेम के बायोमेट्रिक्स पर जो आधार बना है, उसपर सचिन कुमार का नाम है. तब यह स्पष्ट हुआ कि जिसे अब तक सब प्रेम रंजन इंगाले समझ रहे थे, उसका असली नाम सचिन कुमार है. चूंकि, प्रेम उर्फ सचिन बोलने-सुनने में अक्षम हैं, इसलिए सच्चाई किसी के सामने नहीं आ सकी थी. इस कार्ड पर पता बिहार के खगड़िया जिले का था.
पुलिस ने दिया सहयोग
इसके बाद अनाथालय के सुपरिटेंडेंट ने खगड़िया पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने भी सहयोग करते हुए पड़ताल शुरू की, तो यह सामने आया कि आधार पर दिया गया पता प्रेम रंजन इंगाले के परिवार का है. अनाथालय ने परिवार को संबंधित दस्तावेजों के साथ नागपुर आने को कहा. पिछले महीने यानी अगस्त में प्रेम की मां चार अन्य रिश्तेदारों के साथ नागपुर आईं और सभी औपचारिकताओं के बाद प्रेम को उन्हें सौंप दिया गया.
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