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जानिए अब किस वजह से बढ़ने जा रहे हैं CNG-PNG के दाम? फिर बढ़ेगा जेब पर बोझ
दरअसल PNGRB ने कहा है कि गेल (भारत) की प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए एकीकृत शुल्क बढ़कर 58.61 रुपये प्रति एमएमबीटीयू होने जा रहा है. जिससे सीएनजी गैस के दाम बढ़ने की पूरी संभावना है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
लगातार महंगे होते कर्ज और उसके चलते बाजार पर हो रहे असर के बीच अब महंगाई का एक और झटका लग सकता है. गेल पाइपलाइनों के लिए टैरिफ में इजाफा होने जा रहा है. इस इजाफे का जहां कुछ फायदा होने जा रहा है तो वहीं कुछ नुकसान भी हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नुकसान के तौर पर जो देखा जा रहा है उसमें सीएनजी गैस के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है.
क्यों हो रहा है इजाफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार महानगर गैस लिमिटेड (एमजीएल) के प्रबंध निदेशक आशु सिंघल ने कहा है कि पाइपलाइनों के एकीकृत शुल्क में बढ़ोतरी से कुछ को लाभ हो सकता है जबकि अन्य को नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर बढ़ोतरी को पारित कर दिया जाता है, तो सीएनजी की कीमतों में 1 रुपये किलो की बढ़ोतरी हो सकती है. दरअसल 22 मार्च को, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) ने कहा कि गेल (भारत) की प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों के लिए एकीकृत टैरिफ बढ़कर 58.61 रुपये प्रति मीट्रिक मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) हो गया है. नया टैरिफ, जो 45 प्रतिशत अधिक है वो 1 अप्रैल, 2023 से लागू होने जा रहा है. PNGRB ने गैस वितरण कंपनी के लिए महीने में पहले 60.92 / mmbtu पर 41 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया था.
इस बढ़ोतरी से गेल को क्या होगा फायदा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट का मानना है कि टैरिफ के दामों में हुई ये बढ़ोतरी गेल के लिए पॉजिटिव साबित होगी, क्योंकि इससे आय और मार्जिन दोनों में वृद्धि होगी. एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि इस बढ़ोतरी का उद्देश्य ये भी था, जिससे गेल अपने पाइपलाइन नेटवर्क का और विस्तार कर सके और देश के अन्य हिस्सों में गैस को आसानी से पहुंचा सके. इसका एक मकसद मांग और आपूर्ति केन्द्रों के बीच नेटवर्क को और बेहतर बनाया जा सके. यह गेल और उसके ग्राहकों दोनों के लिए फायदे की स्थिति पैदा करेगा.
एक्सपर्ट ये भी कह रहे हैं कि इस बढ़ोतरी से कंज्यूमर के लिए CNG और PNG के दामों में इजाफा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी चिंता का विषय होगी, खासकर छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए, क्योंकि इससे लागत अधिक हो सकती है और प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पवन कुमार, निदेशक-वाणिज्यिक, IGL, ने कहा कि यदि किरीट पारिख पैनल की सिफारिशों को लागू किया गया, तो गैस की कीमतें $1/mmBtu तक गिर सकती हैं. हालांकि, इनपुट गैस की लागत 80-85 पैसे/एससीएम बढ़ने की उम्मीद थी.
क्या है सरकार का 2030 तक लक्ष्य
केन्द्र सरकार ने लगातार प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ाने का लक्ष्य सुनिश्चित किया है. सरकार ने 2030 तक प्राकृतिक गैस के उपयोग को बढ़ाने और ऊर्जा मिश्रण में इसके योगदान को 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, हाल की अवधि में तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की हाजिर कीमतों में लगभग 50 प्रतिशत से $14 MMBtu की गिरावट आई है. इस गिरावट के पीछे यूरोप में हल्की सर्दी और उच्च इन्वेंट्री मांग को जिम्मेदार ठहराया गया है, जो कि 45 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के हालिया शिखर के विपरीत है.
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