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यूपी में बिजली के दाम बढ़ाने को लेकर नियामक आयोग ने ये दिया फैसला
ये लगातार चौथा साल है जब बिजली के दामों में किसी तरह का इजाफा नहीं हुआ है. 2019 में आखिरी बार इजाफा हुआ था.
ललित नारायण कांडपाल 11 months ago
यूपी में बिजली के दामों को बढ़ाये जाने के मामले को लेकर आम आदमी को बड़ी राहत मिली है. UPPCL की ओर से प्रस्ताव दिया गया था कि बिजली के दामों में इजाफा किया जाना चाहिए, क्योंकि उसे बिजली चोरी से लेकर दूसरी चीजों का उसे काफी नुकसान हो रहा है. लेकिन नियामक आयोग ने गुरुवार को सुनवाई करते हुए UPPCL के प्रस्ताव को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. नियामक आयोग के इस फैसले ने राज्य की जनता को बड़ी राहत दी है. यूपी में पहले से ही बिजली के दाम काफी ज्यादा है.
पिछले ही साल हुआ है बिजली के दामों में इजाफा
UPPCL की ओर से पिछले ही साल बिजली के दामों में इजाफा किया गया है. 2019 में दाम बढ़ाए जाने के बाद पिछले साल 15 से 20 प्रतिशत तक का इजाफे का प्रस्ताव लाया गया था, जो खारिज हो गया था. 2019 में जब दामों में इजाफा हुआ था उस वक्त इसे लेकर सियासत भी खूब गर्मा गई थी. लोगों ने भी इसे लेकर काफी नाराजगी जाहिर की थी लेकिन सरकार ने बिजली कंपनियो के घाटे की बात कहकर बढ़ोतरी को जायज ठहरा दिया था. उसके बाद इस साल फिर से UPPCL ने दामों में इजाफा करने को लेकर आवेदन दिया था जिसे विद्युत नियामक आयोग ने खारिज कर दिया है. बिजली कंपनियों की ओर से इस बार भी 18 से 23 प्रतिशत तक दामों को बढ़ाने का फैसला दिया गया था.
बिजली कंपनियों ने ये दी थी दलील
बिजली कंपनियों की ओर से कहा गया था पूरे साल भर प्रदेश में बिजली खरीदने के लिए कंपनियों को 92564 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. लेकिन आयोग ने इस खर्च को मानने से मना करते हुए कहा कि पूरे साल बिजली के लिए कंपनियों को 86579 करोड़ रुपये की जरूरत होगी. बिजली कंपनियों की ओर से कहा गया था कि पूरे साल बिजली खरीदने पर 140 बिलियन यूनिट बिजली खरीदनी पड़ेगी जबकि नियामक आयोग ने इसे केवल 133 बिलियन ही बताया. बिजली कंपनियों ने ये भी कहा था कि लाइन लॉस करीब 14 फीसदी से ज्यादा आएगा, जबकि इसे भी खारिज करते हुए नियामक ने कहा कि 10 फीसदी ही लाइन लॉस आएगा. लाइन लॉस कम करते ही विभाग का घाटा भी कम हो जाएगा.
बिजली कर्मचारियों के वहां लगेगा मीटर
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार ने बताया कि हर किसी को अपने वहां बिजली का मीटर लगाया जाना अनिवार्य है ऐसे में नियामक आयोग ने बिजली कर्मचारियों को भी मीटर लगाने का निर्देश दिया है. यही नहीं नोएडा पॉवर कंपनी के दामों में कमी की गई है. यहां घरेलू बिजली की अधिकतम दर 6.50 रुपये होगी. अवधेश कुमार ने ये भी बताया कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 7988 करोड़ रुपया बकाया निकला है. दावा ये भी किया जा रहा है कि उपभोक्ताओं का जितना पैसा बिजली कंपनियों के पास है उसके अनुसार तो 10 साल तक राज्य में बिजली के दामों में इजाफा नहीं हो सकता है.
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