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जल्द महंगी हो सकती हैं रोजमर्रा के इस्तेमाल की ये चीजें!
अगर ऐसा हो जाता है तो रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले साबुन, शैम्पू और डिटर्जेंट की कीमतों में वृद्धि देखने को मिलेगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 11 months ago
हाल ही में ऐसी रिपोर्ट्स सामने आयीं थीं जिनमें महंगाई कम होने का दावा किया जा रहा था. कम होती महंगाई के बीच सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसकी बदौलत घरों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट, शैम्पू और साबुन की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिल सकती है. आइये जानते हैं कैसे?
क्या है पूरा मामला?
दरअसल भारत सरकार के सामने डिटर्जेंट, शैम्पू और साबुन जैसे उत्पादों में इस्तेमाल किये जाने वाले कच्चे माल यानी सैचुरेटेड फैटी ऐल्कोहल पर ऐंटी डंपिंग ड्यूटी (Anti Dumping Duty) और काउंटरवेलिंग ड्यूटी (CounterVailing Duty) लगाने का प्रस्ताव पेश किया गया है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर ऐसा हो जाता है तो रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले साबुन, शैम्पू और डिटर्जेंट की कीमतों में वृद्धि देखने को मिलेगी.
ड्यूटीज से कैसे बढ़ेंगी मुश्किलें?
जहां एक तरफ भारत सरकार के सामने यह प्रस्ताव रखा गया है वहीं दूसरी तरफ ISG यानी इंडियन सेर्फेक्टेंट ग्रुप ने वित्त मंत्री से गुहार भी लगाई है कि वह ऐसा न करें. मीडिया द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट्स की मानें तो ISG में संयोजक के पद पर कार्यरत मनोज झा ने वित्त मंत्री को इस विषय में पत्र लिखकर कहा है कि अगर कच्चे माल पर यह ड्यूटीज लगा दी जाती हैं तो इसे ल्खारीदने वाली कंपनियों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
कहां से शुरू हुई कहानी?
पत्र में लिखा गया है कि इन ड्यूटीज के लगने से कंपनियों पर दबाव बढ़ेगा और खुद को प्रॉफिटेबल बनाये रखने के लिए अपने बिजनेस में कटौती करनी पड़ सकती है जिसके लिए कंपनियों को छंटनी भी करनी होगी. कुछ समय पहली ही कॉमर्स मंत्रालय के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज ने यह सुझाव दिया था कि इंडोनेशिया, थाईलैंड और मलेशिया से इम्पोर्ट किये जाने वाले SFA (सैचुरेटेड फैटी एल्कोहल्स) पर महंगी ऐंटी डंपिंग ड्यूटी और काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाई जाए.
क्यों लगायी जाती है ड्यूटीज?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इम्पोर्ट किये गए किसी भी प्रोडक्ट पर काउंटरवेलिंग ड्यूटी इसलिए लगाई जाती है ताकि वह भारत में बनने वाले स्वदेशी उत्पादों को कम्पटीशन से बाहर ना कर दें. ISG ने वित्त मंत्री से गुहार लगाते हुए कहा है कि भारत में कंज्यूमर इन्फ्लेशन रेट पहले से ही बहुत ज्यादा है ऐसे में अगर दाम बढ़ते हैं तो परेशानी हो सकती है. फिलहाल FTA (मुक्त व्यापार समझौते) के अंतर्गत SLS यानी सोडियम लौरेथ सल्फेट पर 5% की ड्यूटी देनी पड़ती है जबकि SFA को इससे कहीं ज्यादा ड्यूटी का भुगतान करना पड़ता है.
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