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इस अरबपति मंदिर ने किया अपनी संपत्ति का खुलासा, एलन मस्क के टैक्स के बराबर है वैल्यू
दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने पहली बार पूरे देश में स्थित में अपनी संपत्तियों के बारे में खुलासा किया है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
नई दिल्लीः दुनिया के सबसे अमीर मंदिरों में शुमार तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने पहली बार पूरे देश में स्थित में अपनी संपत्तियों के बारे में खुलासा किया है. मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के अनुसार पूरे देश में मंदिर की संपत्तियां हैं और इनकी कुल संख्या 1000 से कम है. हालांकि इनकी वैल्यू कई हजार करोड़ रुपये में हैं. टीटीडी के वर्तमान अध्यक्ष ने बताया कि 1974 से 2014 के बीच 100 से अधिक संपत्तियों को मंदिर ट्रस्ट ने बेचा भी है.
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने 2021 में घोषणा की थी कि वह उस वर्ष 11 अरब डॉलर टैक्स भरेंगे, लगभग 85,000 करोड़ रुपये का भुगतान, जो अमेरिका के लिए भी एक रिकॉर्ड है.
आखिर क्यों प्रसिद्ध है तिरुमाला मंदिर
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम, जिसे संक्षेप में टीटीडी के रूप में जाना जाता है, एक स्वतंत्र ट्रस्ट है जो आंध्र प्रदेश के तिरुमला में तिरुपति वेंकटेश्वर मन्दिर का प्रबंधन करता है. ट्रस्ट दुनिया के दूसरे सबसे अमीर और सबसे ज्यादा जाने वाले धार्मिक केंद्र के संचालन और फाइनेंस की देखरेख करता है.
85 हजार करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति
टीटीडी के अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी ने कहा, "मंदिर ट्रस्ट की आज की स्थिति में देश भर में 960 संपत्तियां हैं, जो 7,123 एकड़ में फैली हुई है, जिसकी कीमत 85,705 करोड़ रुपये है." उन्होंने बताया कि 1974 से 2014 के बीच विभिन्न सरकारों के तहत विभिन्न टीटीडी ट्रस्टों ने विभिन्न कारणों से मंदिर ट्रस्ट की 113 संपत्तियों का निपटारा किया गया है.
वेबसाइट पर अपलोड की गई डिटेल्स
सुब्बा रेड्डी ने कहा, "राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए, मेरी अध्यक्षता में पिछले टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड ने हर साल टीटीडी संपत्तियों पर एक श्वेत पत्र जारी करने का संकल्प लिया था. जबकि पहला श्वेत पत्र पिछले साल जारी किया गया था, दूसरा श्वेत पत्र सभी के विवरण और मूल्यांकन के साथ जारी किया गया है संपत्तियों को अब टीटीडी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है. हम भक्तों की भावनाओं के अनुरूप एक पारदर्शी प्रशासन प्रदान करने में विश्वास करते हैं और मंदिर ट्रस्ट की संपत्तियों को संरक्षित करने का संकल्प लेते हैं."
14 टन सोना, 14 हजार करोड़ बैंक में जमा
टीटीडी के पास विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों में सावधि जमा में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक और लगभग 14 टन सोने का भंडार है. इसे पहले से ही दुनिया में सबसे अमीर हिंदू मंदिर के रूप में जाना जाता है.
700 करोड़ का मिला छह महीने में दान
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के ताजा आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब पिछले पांच महीनों से मंदिर ‘हुंडी’ में दान के जरिए टीटीडी की मासिक आय में लगातार वृद्धि हुई है. इस साल अप्रैल से अब तक हुंडी के माध्यम से कुल दान 700 करोड़ रुपये को पार कर गया है.
अमेरिका जैसे देशों में मंदिर
अपने खजाने में दिन-प्रतिदिन वृद्धि के साथ टीटीडी अमेरिका जैसे कुछ देशों के अलावा देश के विभिन्न हिस्सों में मंदिर खोल रहा है. चेन्नई के रहने वाले एक मुस्लिम जोड़े ने आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में स्थित भगवान वेंकटेश्वर के तिरुपति मंदिर में 1.02 करोड़ रुपये का दान दिया है. कारोबारी अब्दुल गनी और उनकी पत्नी सुबीना बानो ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के अधिकारियों को चेक सौंपा.
अधिकारियों ने बताया कि दान में 87 लाख रुपये नए बने पद्मावती रेस्ट हाउस के फर्नीचर और बर्तनों के लिए हैं, ताकि वहां की सुविधाएं बेहतर की जा सकें. साथ ही एसवी अन्ना प्रसादम् ट्रस्ट के लिए 15 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट शामिल है, जो हर दिन मंदिर में आने वाले हजारों भक्तों को मुफ्त भोजन प्रदान कराता है.
मुकेश अंबानी ने 1.5 करोड़ दान दिए थे
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने पिछले शुक्रवार को तिरुमाला मंदिर को 1.5 करोड़ रुपये का दान दिया था. अंबानी ने प्रसिद्ध मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को डिमांड ड्राफ्ट दिया था.
यहां बालों का दान किया जाता है
मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है, उसके सभी दुःख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं. इसलिए यहां अपनी सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं.
भक्तों को नहीं दिया जाता तुलसी पत्र
सभी मंदिरों में भगवान को चढ़ाया गया तुलसी पत्र बाद में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिया जाता है. अन्य वैष्णव मंदिरों की तरह यहां पर भी भगवान को रोज तुलसी पत्र चढ़ाया तो जाता है, लेकिन उसे भक्तों को प्रसाद के रूप में नहीं दिया जाता। पूजा के बाद उस तुलसी पत्र को मंदिर परिसर में मौजूद कुएं में डाल दिया जाता है.
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