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BW Flex Summit: Flex Space में टेक्नोलॉजी अहम भूमिका निभाने जा रही है
Flex Space में प्राइसिंग तय करने के कई महत्वपूर्ण कारक हैं. इनमें सबसे बड़ा कारक है प्रॉपर्टी की लोकेशन और दूसरा बड़ा कारक उसका ले आउट और डिजाइनिंग है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 9 months ago
BW Reality World के Flexi Spaces Conclave and Awards कार्यक्रम में पहुंचे इस क्षेत्र के नामी लोगों ने अपनी बात कही. किसी ने इस सेक्टर में प्राइसिंग को लेकर कहा कि उसे तय करने में किसकी अहम भूमिका है और किसी ने कहा कि आज रियल स्टेट का मार्केट कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है. मुंबई में हो रहे बिजनेस वर्ल्ड के इस इवेंट में BW Businessworld के एडिटर-इन-चीफ और एक्सचेंज4मीडिया के संस्थापक डॉ.अनुराग बत्रा भी मौजूद रहे.
Colliers के मैनेजिंग डॉयरेक्टर और हेड ऑफ Flex, इंडिया ,अर्पित मेहरोत्रा ने कहा कि भारत में कुल 25 मिलियन ग्रास ऑफिस स्पेस दिया गया है उसमें फ्लेक्स का योगदान 18 प्रतिशत रहा है. हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक ये 25 मिलियन तक हो जाएगा. अगर हम ये देखें कि दुनिया में क्या हो रहा है तो उसके अनुसार ये एक अच्छा स्टार्ट है. H1 23 में 4.5 मिलियन की ग्रोथ के बीच दिल्ली एनसीआर में सबसे ज्यादा 32 प्रतिशत मांग देखने को मिली, बैंग्लुरु 29 प्रतिशत इसी तरह चेन्नई में 17 प्रतिशत, पुणे में 13 प्रतिशत की मांग देखने को मिली है. इस बीच एक नई चीज ये भी देखने को मिली है कि कई जगह नए हब बनकर सामने आए हैं. उनमें नोएडा एक्सप्रेस वे, नोएडा 62, पुणे में बानेर बालेवाली, जैसी जगहें उभरकर सामने आई हैं.
100X.VC के फाउंडर एंड पार्टनर, निनाद कार्पे ने कहा कि मुझे लगता है कि फलेक्स स्पेस में टेक्नोलॉजी एक अहम किरदार निभाने जा रही है. आज अपने कस्टमर की जरूरत को समझने में तकनीक हमें बड़ा योगदान दे सकती है. जब कभी भी आप फ्लेक्स स्पेस में काम करते हैं तो उसमें हमें एक बड़ा कनवर्जन देखने को मिलता है. इस कनवर्जन में जब भी कोई एम्प्लॉयर वहां जाता है तो वहां का जो कर्मचारी है उसको उसके जरिए अनुभव मिलता है. मुझे लगता है कि बिना तकनीक के किसी भी तरह का कनवर्जन आसानी से नहीं होता है.
Dev Accelerator Private Limited के को-फाउंडर उमेश उत्तमचंदानी ने कहा कि अगर कोरोना के बाद से स्पेस की डिमांड की बात करें तो हमारी कंपनी ने अभी तक 2000 मिलियन का स्पेस ऑक्यूपाइड करवा दिया है. ये हमारे पोर्टफोलियों में अब तक जुड़ चुका है. आज हमारी कंपनी की मौजूदगी 10 शहरो में है. आज हमारे पास आईटी, आईटीएस जैसे सेक्टर की कंपनियां आ रही हैं. अब तक अपने अनुभव से हम जो समझ पाएं हैं उससे यही दिखाई देता है कि वो लोग केवल ऑफिस स्पेस की ही तलाश नहीं कर रहे हैं बल्कि वो लोग अपने ऑफिस में अलग-अलग तरह के स्पेस को क्रिएट कर रहे हैं. इसमें पेट स्पेस, जिमनेजियम, जैसी जगहें शामिल हैं. इन जगहों को वो इसलिए ऑक्यूपाई कर रहे हैं जिससे अपने कर्मचारियों को वापस ऑफिस ला सकें.
Qdesq के फाउंडर एंड CEO, पारस अरोरा ने सेशन के दौरान कहा कि फ्लेक्स स्पेस में टेक का बड़ा रोल है. इसे हम एक छोटे से उदाहरण से समझ सकते हैं कि अगर मीटिंग स्पेस की बुकिंग करनी हो तो आप आसानी से कर सकते हैं. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि आप कोविड से पहले हर किसी को अपने मोबाइल पर ऐप चाहिए होता था. लेकिन लोग पहले ऐप डाउनलोड नहीं करते थे. लेकिन आज क्यू आर कोड बेस, कैलेंडर बेस, फीडबैक, कंप्लेन मैनेजमेंट सिस्टम, लेकिन उसका टाइम काफी बढ़ गया है. टेक हमेशा ही या तो आपके बिजनेस के बैकएंड पर काम करती है या कहीं ना कहीं होती है.
UrbanWrk के COO & Co-Founder, हर्ष मेहता ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी कंपनी की शुरुआत कोविड के समय में हुई थी. उसके बाद जून में हमने अपने पहले क्लाइंट के साथ डील साइन की. यही नहीं हमने सबसे पहले एक सेंटर को वैक्सीनेशन सेंटर में बदला जहां एक दिन में 1400 लोगों को वैक्सीन लगनी थी. ऐसे में हमारे सामने अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य की देखभाल करना बड़ी चुनौती थी. यही नहीं उस दौरान हमने कई इंस्टीटयूट के साथ समझौता भी किया. उस दौरान ऐसे काम करने के चलते हम बहुत कुछ सीखने में कामयाब रहे. इसी वजह से आज हम बहुत से शहरों में मौजूदगी बना पाए हैं.
AltF Coworking के डॉयरेक्टर Yogesh Arora ने कहा कि अगर लोकेशन के हिसाब से देखें तो प्राइसिंग एक महत्वपूर्ण पार्ट है. आज हमारे बीच में माइक्रो मार्केट है जिनकी अपनी अलग-अलग प्राइसिंग है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि प्राइसिंग को कई चीजें प्रभावित करती हैं. इनमें को वर्किंग स्पेस की डिजाइनिंग सबसे महत्वपूर्ण भाग है. हम एक ऐसे दौर में रह रहे हैं जहां लोग 200 स्कवॉयर फीट, 150 स्क्वॉयर फीट, 80 स्कवॉयर फीट के स्पेस में रहते हैं. ऐसे में ऑप्टीमाइजेशन सबसे अहम है. मुझे लगता है यही प्राइसिंग को तय करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं. इनमें भी सबसे अहम ये है कि प्रोजेक्ट की लोकेशन कैसी है, आपके लैंड लॉर्ड से संबंध कैसे हैं.
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