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भारत में ग्रीन ऑफिस की मांग में हुआ इजाफा, जानते हैं क्या है इसकी वजह?
ये सर्वे रिपोर्ट बताती है कि इस साल के आखिरी तक आवासीय यूनिट की बिक्री का आंकड़ा 3 लाख को पार कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो ये एक अच्छी स्थिति होगी.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
एक समय वो था जब एक अच्छे ऑफिस की जो शर्त होती थी उनमें उसकी अच्छी लोकेशन, अच्छी ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी और अच्छा वातावरण हुआ करती थी. लेकिन पिछले दो दशक में जिस तरह से बदलाव हुआ है उसके बाद अब जरूरत बदल गई है. अब कंपनियां ग्रीन बिल्डिंग स्पेस की मांग ज्यादा कर रही हैं. एक सर्वे के अनुसार ग्रीन बिल्डिंग स्पेस के निर्माण में 2019 के मुकाबले 36 प्रतिशत की ग्रोथ देखने में मिली है. इसका मतलब ये है कि अब सभी कंपनियों को ग्रीन ऑफिस स्पेस ज्यादा पसंद आ रहे हैं. ग्रीन ऑफिस स्पेस वो होते हैं जो पूरी तरह से एनर्जी एफिशियंट होते हैं. इनमें काम करने पर कम एनर्जी का इस्तेमाल करना पड़ता है.
क्या कहती है ये सर्वे रिपोर्ट ?
CII-CBRI के अनुसार, भारत के टॉप 6 शहरों में 2019 के मुकाबले ऑफिस स्पेस में 36 प्रतिशत से ज्यादा का इजाफा हुआ है. 2023 में ये 342 मिलियन वर्ग फुट तक जा पहुंचा है. भारत में मौजूदा तीन शहर ऐसे हैं जहां बड़ी संख्या में ग्रीन ऑफिस स्पेस का निर्माण हुआ है. इनमें दिल्ली एनसीआर, मुंबई, और बैंगलुरु जैसे शहर शामिल हैं. इन तीनों शहरों में बने ऑफिस स्पेस भारत के कुल स्पेस का 68 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ये जानकारी सीआईआई रियल्टी 2023 के कॉन्क्लेव में सामने आई थी.
ग्रीन बिल्डिंग स्पेस में 7.1 प्रतिशत का हुआ है इजाफा
ग्रीन बिल्डिंग स्पेस जिसे हरित कार्यालय भी कहा जाता है इसमें पिछले पांच वर्षों में 7.1 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक दर से इजाफा हुआ है. अब अगर देश की तीन जगहों में हरित स्पेस के क्षेत्र को देखें तो समझ में आता है कि ये आज कहां से कहां पहुंच चुका है. इनमें बैंगलुरु में 104 मिलियन फुट, एनसीआर में 70 मिलियन फुट और मुंबई में 56 मिलियन फुट है. अगर प्रतिशत में देखें तो पूरे देश का बैंगलुरु में 30 प्रतिशत, दिल्ली एनसीआर में 21 प्रतिशत और मुंबई में 17 प्रतिशत शामिल है. जबकि हैदराबाद में ऑफिस स्पेस का ये प्रतिशत 15 प्रतिशत, चेन्नई में 9 प्रतिशत और पुणे में 8 प्रतिशत है.
क्या बोले सर्वे कंपनी के चेयरमैन और सीईओ?
इस सर्वे में सामने आई फाइंडिंग को लेकर सीबीआरई के चेयरमैन और सीईओ ने कहा कि अंशुमन ने कहा कि जीसीसी, डेटा सेंटर और लचीले कार्यक्षेत्र जैसे ऑप्शनल क्षेत्र रियल स्टेट को बढ़ावा देते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार अगर ऑफिस लीज की बात करें तो ये इन तीनों शहरों में बढ़कर 24.6 मिलियन तक पहुंच गई है. इसमें बैंग्लुरु, चेन्नई और एनसीआर का हिस्सा 60 प्रतिशत है. इसमें औद्योगिक और लॉजिस्टिक क्षेत्र द्वारा ली गई जगह 35 प्रतिशत बढ़कर 19.1 मिलियन वर्ग फुट हो गई है.
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