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स्कूल स्टेशनरी की महंगाई पर BW विश्लेषण, आखिर क्‍यों हर साल बढ़ जाते हैं दाम?

महंगाई के इस दौर में अभिभावकों के सामने किताबों की महंगाई ने और परेशानी बढ़ा दी है. स्‍कूल इस समस्‍या के लिए एनसीईआरटी पर दोष लगा रहे हैं तो माता-पिता विवश हैं.

बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago

महंगाई ने पहले ही आम आदमी का जीना मुश्किल किया हुआ है. वहीं इस बीच हर साल बच्‍चों की बुक्‍स की कीमत में हो रही महंगाई उसको और बढ़ा देती है. इस साल भी ऐसा ही हुआ है किताबों के दामों में हुए इजाफे ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है. किताबों के दामों में कोई 10 प्रतिशत से ज्‍यादा की बढ़ोतरी हुई है जिसने माता-पिता पर बोझ बढ़ा दिया है. आज जानते हैं कि आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है. 

लगभग सभी स्‍कूलों में हुआ कीमतों में इजाफा 
किताबों के दामों में हुआ इजाफा किसी एक स्‍कूल का नहीं है. बल्कि दिल्‍ली-एनसीआर के सभी स्‍कूलों का है. स्‍कूलों से मिलने वाली किताबों के दाम बेहतहाशा बढ़े हुए हैं. छोटी क्‍लॉसों में किताबों के दाम 400 रुपये तक जा पहुंचे हैं. उसके ऊपर माता-पिता पर स्‍कूल से ही अपने बच्‍चों के लिए किताबें खरीदने का की बाध्‍यता कई तरह की परेशानी को बढ़ा रहा है. जैसे-जैसे क्‍लॉस बढ़ती जाती है वैसे-वैसे किताबों के दाम बढ़ते जाते हैं.

लगता है कि स्‍कूल और पब्लिशरों का चल रहा है नेक्‍सस - मोना गुप्‍ता कहती हैं कि उनकी एक बेटी की नोटबुक और किताबें इस साल 7012 रुपये से ज्‍यादा की आई हैं. वो कहती हैं कि हमारी बेटी दिल्‍ली के एक प्राइवेट स्‍कूल में पढ़ती हैं. उनका कहना है कि किताबों की महंगाई का आलम ये है कि अकेले हिंदी की दो किताबें 800 रुपये की हैं. उनका कहना है कि ये स्‍कूलों और प्राइवेट पब्लिशरों का नेक्‍सस चल रहा है. जिसके कारण माता-पिता को इतनी महंगाई का सामना करना पड़ता है. पहले ही महंगाई के कारण घर का बजट बिगड़ा हुआ है और एजुकेशन की इस महंगाई ने अभिभावकों को परेशान कर दिया है. 

 

 

इस साल किताबों के लिए चुकाए हैं 5700 रुपये से ज्‍यादा- ग्रेटर नोएडा में रहने वाले शैलेन्‍द्र श्रीवास्‍तव बताते हैं कि उनका बेटा यहां के एक स्‍कूल में क्लास केजी में पढ़ता है. इस साल उन्‍होंने नोटबुक और किताबों के लिए 5708 रुपये चुकाए हैं. शैलेन्‍द्र श्रीवास्‍तव कहते हैं कि ये एक ओर फीस की महंगाई पहले ही कमर तोड़ रही है वहीं दूसरी ओर महंगी किताबों ने उनका पूरा बजट बिगाड़ दिया है. पिछले साल बच्‍चे की नर्सरी की किताबें 3600 रुपये की आई थी और इस साल केजी की किताबें 5700 से ज्‍यादा की आई हैं. ये महंगाई कहां जाकर रूकेगी, कुछ नहीं कह सकते. सरकार को इस पर कुछ करना चाहिए. 

 

NCERT समय पर उपलब्‍ध नहीं कराती किताब- दिल्‍ली में अनरिकॉगनाइज प्राइवेट स्‍कूल की संस्‍था के प्रमुख आर सी जैन कहते हैं कि किताबों के दाम इसलिए महंगे होते हैं क्‍योंकि सरकार प्राइवेट पब्लिशरों को पेपर में डिस्‍काउंट नहीं देती है. जबकि एनसीआरटी को डिस्‍काउंट दिया जाता है. लेकिन जब हमने उनसे पूछा कि स्‍कूल  किताबों को मैनडेट्री क्‍यों करते हैं तो इस पर उन्‍होंने कहा कि इसका एक कारण तो ये है कि एनसीईआरटी अपनी किताबों का सिलेबस अपडेट नहीं करती हैं. कई सालों से एक ही सिलेबस चला आ रहा है. दूसरा सबसे महत्‍वपूर्ण बात ये भी है कि एनसीआरटी ने एक बार सभी स्‍कूलों से किताबों की जरूरत को लेकर इंडेंट मांगा था लेकिन उन्‍होंने समय पर किताबें उपलब्‍ध नहीं कराई. हमने उनसे ये भी पूछा कि आखिर आप स्‍टूडेंट के लिए अपने ही स्‍कूल की किताबों को मैनडेट्री क्‍यों कर देते है तो इस पर उन्‍होंने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्‍योंकि अगर एक ही क्‍लास में कई पब्लिशरों की बुक होगी तो टीचर के लिए पढ़ाना संभव नहीं होगा. दूसरा अगर NCERT समय पर किताब उपलब्‍ध करवाए तो हमें कोई परेशानी नहीं है.

 

कहां की जा सकती है शिकायत 

अगर माता-पिता इस मामले की शिकायत करना चाहते हैं तो वो डिप्‍टी डॉयरेक्‍टर के ऑफिस में इसके लिए ग्रीवांस सेल बनाया गया है, वहां जाकर वो इसकी शिकायत कर सकते हैं. इसके अतिरिक्‍त एजुकेशन डॉयरेक्‍ट्रेट, डीसीपीसीआर, में भी इसकी शिकायत की जा सकती है. दिल्‍ली सरकार की वेबसाइट पर जाकर एजुकेशन ड्रायरेक्‍ट्रेट में भी शिकायत की जा सकती है. इसी तरह यूपी सरकार ने भी बेसिक शिक्षा अधिकारी के वहां इस तरह के मामलों की शिकायत की जा सकती है. शिकायत आने पर मामलों की जांच की जाती है. 


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