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मोदी @9 : कैसे बदली अर्थव्यवस्था और कैसे बिछा हाईवे का जाल ?
2014 में आम चुनाव जीतने के बाद देश की बागडोर संभालने वाली मोदी सरकार पिछले 9 सालों से लगातार देश को हर मोर्चे पर आगे ले जाने का प्रयास कर रही है.
ललित नारायण कांडपाल 11 months ago
2002 से लेकर 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के बाद बीजेपी ने वर्ष 2013 में पीएम मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बना दिया. उसके बाद 2014 में बड़े बहुमत से जीतने के बाद मोदी सरकार ने देश के हर क्षेत्र में विकास करने का जो कार्यक्रम शुरू किया वो आज नौ साल पूरे होने के बाद भी लगातार जारी है. जनधन खातों को खोलने से लेकर नोटबंदी और उसके बाद जीएसटी लागू करना मोदी सरकार के कुछ ऐसे कदम रहे जिन्होंने इस सरकार की परीक्षा भी ली और भारत की अर्थव्यवस्था को एक मोड़ देने का काम भी किया. सड़क रेलवे, विमान जैसे क्षेत्रों में मोदी सरकार ने जो काम किए हैं उसने देश आज देश को 5 ट्रिलियन इकोनॉमी तक पहुंचा दिया है.
लगातार होता रेलवे और उसके स्टेशनों का आधुनिकीकरण
मोदी सरकार जहां देश की सड़कों को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है वहीं दूसरी ओर रेलवे के आधुनिकीकरण को लेकर भी तेजी से काम कर रही है. आज सिर्फ आधुनिक तकनीक के जरिए रेलवे के संचालन को लेकर ही काम नहीं हो रहा है बल्कि माल भाड़े को जल्दी लाने ले जाने के लिए सरकार फ्राइट कॉरिडोर पर भी काम कर रही है. मोदी सरकार रेल लाइनों का इलेक्ट्रिॅफिकेशन और नई अत्याधुनिक वंदे भारत जैसी ट्रेनों को भी चलाने को लेकर काम कर रही है. वंदे भारत एक हाई स्पीड रेलवे है. जो सफर की अवधि को कम कर रही है. यही नहीं सरकार बुलेट ट्रेन को लेकर भी काम कर रही है जिसका निर्माण तेजी से चल रहा है.
रोड सेक्टर में क्या रही विकास की गति
एनडीए सरकार देश के राजमार्गों को विकसित करने के लिए 2014 से भारतमाला परियोजना पर काम कर रही है. मोदी के नेतृत्व में उनके इस काम की जिम्मेदारी रोड मैन कहे जाने वाले नितिन गडकरी के हाथों में है. हर दिन सड़क निर्माण में अपने ही रिकॉर्ड को रोज तोड़ते नितिन गडकरी अब तक सरकार 83,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का नेटवर्क विकसित कर चुके हैं. मोदी सरकार जानती है कि किसी भी देश के विकास का पहिया सड़क से ही घूमता है. इससे न केवल कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है बल्कि जो सफर पहले 12 घंटे का हुआ करता था वो आज एक्सप्रेस वे के माध्यम से 6 से 7 घंटे तक आ पहुंचा है. इसने देश के कारोबार को बढ़ाने का भी काम किया है. यही नहीं सरकार इसके जरिए लॉजिस्टिक कॉस्ट को भी कम करने का लक्ष्य बना रही है.
उड़ान योजना से हुआ है बदलाव
पिछले नौ सालों में मोदी सरकार ने विमानन क्षेत्र में बदलाव को लेकर कई कदम उठाए हैं. छोटे शहरों में एयरपोर्ट विकसित करने से लेकर उड़ान योजना के तहत उन शहरों में भी विमान सेवाओं की शुरुआत की है जहां अभी तक कोई सोच नहीं सकता था कि यहां विमान आएंगे. इस योजना के जरिए सरकार इस क्षेत्र में काफी हद तक प्रतिस्पर्धा पैदा कर विमान किराए को काफी कम करने में भी कामयाब हुई है. हालांकि समय-समय पर विमान कंपनियों के दिवालिएपन ने सरकार के सामने चुनौती जरूर बढ़ाई है. इसने देश के अंदर पर्यटन को बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाई है. इस सेक्टर में सरकार एयर इंडिया जैसे नेशनल करियर को टाटा के हाथों में भी सौंप चुकी है और उसने अब 300 से ज्यादा विमानों का ऑर्डर भी कर दिया है. ये अब तक का सबसे बड़ा ऑर्डर कहा जा रहा है.
5 ट्रिलियन इकोनॉमी का है लक्ष्य
मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था के लिए 5 ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य भी निर्धारित किया है. सरकार जानती है कि अगर देश को फाइव ट्रिलियन इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करना है तो उसके लिए देश के सभी राज्यों को बेहतर करना होगा. सरकार सभी राज्यों को अलग-अलग योजनाओं के जरिए एक प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश कर रही है. इनमें मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, वस्तु और सेवा कर, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बेहतर बनाने से लेकर दूसरे कई प्रयास कर रही है, जिससे राज्यों की उत्पादकता को भी सुधारा जाए. यही नहीं देश का विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर को पार कर गया है जिसने अर्थव्यवस्था को नई ताकत दी है.
स्टॉक मार्केट और बैंकिंग सेक्टर
मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज स्टॉक मार्केट से लेकर बैंकिंग सेक्टर में स्थितियां संतुलित दिखाई दे रही हैं. हालात ये हैं कि आज सेंसेक्स 60 हजार के पार जा चुका है. जबकि बाजार के जानकार इसके अगले कुछ सालों में ही 1 लाख के पार जाने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अगर बैंकिंग सेक्टर की बात करें तो उसमें भी बड़े स्तर पर प्रयास किए गए हैं. आज देश के अलग-अलग बैंकों का एनपीए लगातार कम हो रहा है और सरकार उसे और बेहतर करने पर जोर दे रही है. हालांकि सरकार के इन प्रयासों में COVID-19 महामारी ने भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करते हुए अभूतपूर्व चुनौतियाँ पेश कीं हैं. लेकिन बावजूद इसके आज आरबीआई से लेकर बैंक और दूसरी संसथाएं संतुलित स्थिति में नजर आ रही हैं.
कई क्षेत्रों में अभी भी बनी हुई है चुनौती
मोदी सरकार के कई क्षेत्रों में किए गए कामों के बावजूद अभी भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां संभावना बनी हुई है. सरकार को इन क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सरकार का लक्ष्य अभी अधूरा ही है जबकि खेती की बढ़ती लागत किसानों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. इसी तरह शिक्षा के क्षेत्र में ग्रामीण स्तर पर बदलाव, पर्याप्त शिक्षकों की स्थिति भी अभी लक्ष्य से दूर ही है. यही नहीं महत्वपूर्ण बात ये भी है कि सरकार स्वास्थ्य के क्षेत्र में एम्स बनाने का काम तो कर रही है लेकिन उनमें स्टॉफ से लेकर दूसरी चीजों के लिए अभी भी चुनौती बनी हुई है.
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