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MP Election 2023: 'बहनों' के लिए यूं ही नहीं खोला है शिवराज सिंह ने सरकारी खजाना
राज्य में कुल 5 करोड़ 61 लाख 36 हजार 229 मतदाता हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 2 करोड़ 72 लाख है. नई वोटर लिस्ट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.
नीरज नैयर 7 months ago
मध्य प्रदेश को इस साल विधानसभा चुनाव से गुजरना है. इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है, क्योंकि अब तक आए सर्वेक्षणों ने सत्ताधारी भाजपा की नींद उड़ा दी है. भाजपा सत्ता के इस खेल में बने रहने के लिए सभी दांव चल रही है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चुनाव ने ऐन वक्त पर 'लाड़ली बहना योजना' के रूप में गुगली फेंकने का प्रयास किया है. इसके साथ ही राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए सरकारी नौकरी में 35% आरक्षण का प्रावधान भी कर दिया है. वन विभाग को छोड़कर सभी विभागों में 35% आरक्षण का फ़ॉर्मूला लागू होगा. वैसे, 'लाड़ली बहना योजना' प्रदेश में महिलाओं के लिए चलाई जा रही कोई पहली योजना नहीं है. CM शिवराज ने अपने कार्यकाल में महिला सशक्तिकरण पर काफी फोकस किया है. 2003 में राज्य का महिला एवं बाल बजट 262.60 करोड़ था, जबकि 2023 में यह बढ़कर 14.688 करोड़ रुपए हो गया है.
अब तक बांटे इतने करोड़
मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए प्रमुख रूप से एक दर्जन से अधिक योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसमें सबसे नया नाम 'मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना' का जुड़ा है. इस योजना के तहत पहले हर पात्र महिला के खाते में 1000 रुपए सरकार की तरफ से दिए जा रहे थे. बाद में यह राशि बढ़ाकर 1250 कर दी गई. जानकारी के मुताबिक, सरकार अब तक 1 करोड़ 31 लाख से ज्यादा 'बहनों' के खातों में 5211 करोड़ रुपए ट्रांसफर कर चुकी है. शिवराज सिंह घोषणा कर चुके हैं कि 1250 की राशि को 3000 रुपए तक किया जाएगा. हालांकि, इसके लिए उन्हें चुनावी दंगल में जीत हासिल करनी होगी.
महिलाओं की भूमिका अहम
CM शिवराज सिंह ने बहुत सोच-समझकर महिलाओं के लिए सरकारी खजाना खोला है. राज्य में कुल 5 करोड़ 61 लाख 36 हजार 229 मतदाता हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या 2 करोड़ 72 लाख है. नई वोटर लिस्ट में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. अब 1 हजार पुरुषों की तुलना में 945 महिला वोटर हो गईं हैं, जबकि 2011 में जेंडर रेश्यो 1 हजार पुरुष पर 931 महिलाओं का था. कम से कम 29 सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. भोपाल जिले की ही बात करें, तो यहां महिलाओं की भागीदारी 13% बढ़ गई है. भोपाल में 10 लाख 11 हजार महिलाएं वोट देंगी, जिनमें से 3.17 लाख लाड़ली बहना हैं. ऐसे में शिवराज सिंह उम्मीद कर सकते हैं कि महिलाओं के लिए चलाई गई योजनाओं का फायदा उन्हें वोट के रूप में मिल सकता है. एक रिपोर्ट बताती है कि 2013 के चुनाव की तुलना में 2018 में महिलाओं के वोटिंग शेयर में इजाफा हुआ था और उसका सीधा असर 52 सीटों पर पड़ा था. यानी महिला मतदाता सरकार बनने और बिगाड़ने में अहम भूमिका में हैं.
चल रही हैं ये योजनाएं
शिवराज सिंह सरकार लाड़ली बहना योजना के साथ-साथ मुख्यमंत्री लाड़ली लक्ष्मी योजना, बालिका स्कूटी योजना, गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, कन्या विवाह/निकाह योजना, सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना, कन्या अभिभावक पेंशन योजना, कल्याण विवाह सहायता योजना और प्रसूति सहायता योजना जैसी कई योजनाएं चला रही है. लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत अब तक 14 लाख से ज्यादा बेटियों को 388 करोड़ की छात्रवृत्ति दी गई है. वहीं, स्कूटी योजना में सरकार 12वीं में फर्स्ट आने वाली लड़कियों को स्कूटी देती है.
शिवराज ने की ये कोशिश
मध्य प्रदेश सरकार हर साल महिलाओं से जुड़ी योजनाओं पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और इन योजनाओं के प्रचार पर भी भारी-भरकम खर्चा किया जा रहा है. 'लाड़ली बहना योजना' के विज्ञापनों से पूरा प्रदेश पटा पड़ा है. वैसे, तो मतदाता का मन पढ़ना नामुमकिन है, लेकिन महिलाओं के मामले में यह माना जाता है कि उनका वोट का निर्णय काफी हद तक भावनात्मक जुड़ाव से प्रभावित रहता है. शिवराज सिंह ने तमाम योजनाएं लागू करके इसी भावनात्मक जुड़ाव को बनाने की कोशिश की है और बहुत हद तक सफल भी रहे हैं. खासतौर पर, ग्रामीण इलाकों में महिलाओं के बीच उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा है. अब ये देखने वाली बात होगी कि इस पूरी कवायद का फायदा शिवराज सिंह को मिलता है या फिर सर्वे हकीकत में तब्दील होते हैं.
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