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50 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड क्यों लेकर आ रही है सरकार? ये है इसका जवाब
मोदी सरकार आने वाले अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच इस योजना को ला सकती है. इस योजना में 300 बिलियन रुपये के 50 वर्षीय बॉन्ड जारी कर सकती है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 7 months ago
बीते एक दशक में लोगों के निवेश करने के तरीकों में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ है. लोग अब अपने रिटॉयरमेंट प्लॉन से लेकर लंबी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए निवेश कर रहे हैं. ऐसे में अब रिजर्व बैंक 50 साल की मैच्योरिटी वाले बॉन्ड लाने को लेकर विचार कर रहा है. सरकार अक्टूबर से लेकर फरवरी के बीच 300 बिलियन रुपये के 50 वर्षीय बॉन्ड लेकर आ सकती है. ये राशि उसकी उधारी का कुल 5 प्रतिशत है.
आखिर क्या है सरकार का ये प्लान
जीवन बीमा कंपनियों की लगातार बढ़ती संख्या जो कि अब सरकारी कर्ज के एक चौथाई हिस्से के बराबर अपनी वैल्यू रखती है, ने पहले ही देश के यील्ड कर्व को प्रभावित किया है. इस साल के पहले, लॉन्ग टर्म कर्ज को छोटे संदर्भ में पेपर से कम यील्ड पर मूल्य लगाया गया था. 30 वर्षीय बॉन्ड पर उपज पहले ही 11 आधार कम करके 7.34 प्रतिशत तक पहुंच गई है. अगर पिछले पांच साल के आधार पर देखें तो ये 7 बेसिस प्वॉइंट कम हुआ है.
सेकेंड हाफ में बेचेगी मोदी सरकार
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बाजार से पैसा जुटाने के लिए मोदी सरकार इस वर्ष के दो तिमाही के बाद इन बॉन्ड को बेचने की शुरुआत कर सकती है. रिजर्व बैंक ने कहा कि मोदी सरकार दूसरी छमाही में 6.55 ट्रिलियन के बॉन्ड बेचने जा रही है. कई जानकार इस बात की आशंका पहले ही जता चुके हैं कि सरकार आने वाले चुनावों से पहले सामाजिक योजनाओं पर अपना खर्च बढ़ा सकती है. नोमुरा होल्डिंग इंक के एक नोट के अनुसार सरकार कर्ज लेने की बजाए स्मॉल सेविंग स्कीम और कैपेक्स में आश्रित हो सकती है.
आखिर क्या होते हैं बॉन्ड?
बॉन्ड एक डेब्ट इंस्ट्रूमेंट होता हैं जिसका हिंदी में अर्थ प्रतिभूति या ऋणपत्र होता हैं. बॉन्ड्स के माध्यम से वित्तीय संस्थान और रिटेल निवेशक जैसे की आप और मैं बॉन्ड जारीकर्ता को Loan उपलब्ध करवाते हैं. बॉन्ड जारीकर्ता जिससे पैसे उधार ले रहा हैं उसे बॉन्ड जारी करता हैं.
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