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घर खरीदने से पहले क्या होनी चाहिए सैलरी? ये है फॉर्मूला, वरना चुकाते रह जाओगे EMI
कई लोग इस दुविधा में रहते हैं कि वह घर खरीदना चाहिए या फिर किराए पर ही रहना चाहिए. लोग होम लोन की मदद से घर खरीद रहे हैं. हम आपको बताएंगे कि आपको कितनी सैलरी पर होम लोन लेना चाहिए.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 month ago
हर किसी का सपना होता है कि एक अपना घर हो, फिर बाकी की चीजें. भारत में घर के साथ इमोशनल एंगल जुड़ा होता है. इसलिए कुछ लोग नौकरी पकड़ते ही सबसे पहले घर या फ्लैट खरीद लेते हैं. खासकर मेट्रो शहरों में ये चलन जोरों पर है. हाल के कुछ वर्षों में ये तेजी से इसलिए संभव हो पाया है कि लोगों को आसानी से होम लोन मिल जाते हैं. डाउन पेमेंट में बचत को झोंक देते हैं, या फिर घरवालों की मदद ले लेते हैं. दरअसल, घर खरीदना या किराये पर रहना, दोनों फैसले आपकी आमदनी पर निर्भर करते हैं. आमदनी और जरूरत के हिसाब से फैसले लेंगे तो वित्तीय तौर पर सोचना नहीं पड़ेगा.
कितनी हो सैलरी
सैलरी इस बात पर निर्भर करेगी कि आप घर कितने का ले रहे हैं. आपकी EMI आपकी सैलरी के 20-25 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. मान लीजिए कि आपको 25 लाख का लोन फाइनेंस कराना है और आपको 8.5 फीसदी के ब्याज पर ऋण मिल रहा है. आपका टेन्योर 20 साल का है. इसका मतलब है कि आपको हर महीने 21,600 रुपये की EMI देनी होगी. इस लिहाज से आपकी सैलरी करीब 1,00,000 रुपये प्रति माह होनी चाहिए.
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50,000 पर न खरीदें घर?
अगर आपकी मासिक सैलरी 50,000 रुपये है तो भी आप प्रति माह 10,000 रुपये की EMI वाला लोन लेकर घर खरीद सकते हैं. हालांकि, इसमें लोन की रकम बेहद कम होगी. संभव है कि आप छोटा घर ही खरीदना चाह रहे हो जिसके लिए आपको केवल 10-12 लाख रुपये के लोन की आवश्यता हो. लेकिन अगर आप इस सैलरी पर 25,00,000 का लोन लेने की सोच रहे हैं तो यह फैसला गलत हो सकता है.
सैलरी के हिसाब से लें फैसला
गौरतलब है कि कुछ लोग पहली नौकरी के साथ ही घर और कार खरीद कर अपने ऊपर EMI की बोझ डाल लेते हैं, जो आगे चलकर बिल्कुल गलत फैसला साबित होता है. इसलिए जरूरत के हिसाब से फैसले लें. कमाई को आधार बनाकर फैसले लेंगे तो वित्तीय मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. एक और काम की बात ये है कि पहली नौकरी के साथ ही अगर सेविंग (Saving) की शुरुआत कर देंगे तो 40 साल की उम्र में आप अपने रिटायरमेंट को लेकर आश्वस्त हो जाएंगे.
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