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सेना को चाहिए धर्मगुरु; जानें क्या है भर्ती प्रक्रिया और क्यों होती है जरूरत?
वाराणसी सेना भर्ती कार्यालय की ओर से 16 नवंबर से अग्निपथ योजना के तहत भर्ती रैली आयोजित हो रही है.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 1 year ago
सेना में अग्निवीर योजना के तहत भर्तियां होने जा रही हैं. वाराणसी सेना भर्ती कार्यालय की ओर से 16 नवंबर से अग्निपथ योजना के तहत भर्ती रैली आयोजित हो रही है. सेना ने इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. सेना भर्ती कार्यालय की ओर से जिला प्रशासन को भी सूचित कर दिया गया है. चूंकि इस योजना के तहत जिले में पहली बार भर्ती होने जा रही है, इसके मद्देनजर अधिक सतर्कता बरती जा रही है. खासतौर से बाहर से आने वाले अभ्यर्थियों को लेकर अधिक निगरानी रखी जाएगी. इसके साथ ही सेना में धर्मगुरुओं की भर्ती भी होगी.
इतने उम्मीदवार होंगे शामिल
रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सबसे पहले गोरखपुर के युवाओं की भर्ती होगी. सबसे आखिरी चरण में वाराणसी और जौनपुर के युवाओं को मौका दिया जाएगा. इस दौरान, कुल 1 लाख 43 हजार 286 आवेदनकर्ताओं को बुलाया जाएगा. कई राज्यों में भर्ती रैली का आयोजन पहले ही हो चुका है. गौरतलब है कि अग्निवीरों योजना को लेकर देश में काफी बवाल हुआ था. देश के अलग-अलग शहरों में उग्र प्रदर्शन भी हुए थे, लेकिन सरकार ने कदम पीछे नहीं खींचे.
इस रेजिमेंट को चाहिए धर्मगुरु
सेना भर्ती कार्यालय अग्निवीरों के चयन के बाद धर्मगुरुओं की भर्ती करेगा. सेना को गोरखा रेजिमेंट के लिए धर्म गुरुओं की आवश्यकता है. इसमें सुन्नी, शिया, पंडित, मौलवी, पादरी, साथ ही बौद्ध धर्म के लिए मॉन्क के पद शामिल होंगे. इनके लिए 25 साल से लेकर 36 साल तक के उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं. वेबसाइट www.joinindianarmy.nic.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है.
कैसे होती है धर्मगुरुओं की भर्ती?
धर्म गुरुओं की भर्ती के लिए किसी भी विषय में स्नातक और संबंधित धर्म के ज्ञान की डिग्री या डिप्लोमा आवश्यक है. जैसे सेना में सामान्य सैनिकों की भर्ती होती है, वैसी ही प्रक्रिया से धर्म गुरु बनने वाले आवेदकों को भी गुजरना पड़ता है. उदाहरण के तौर पर उन्हें भी सभी शारीरिक मापदंड से जुड़े परिक्षण का सामना करना पड़ता है. पंडित के लिए आवेदनकर्ता के पास संस्कृत में आचार्य की डिग्री हासिल और कर्मकांड में एक साल का डिप्लोमा भी होना चाहिए. सिखों के धर्मगुरुओं के लिए आवेदनकर्ता का पंजाबी ज्ञान आवश्यक है. इसी तरह, बाकियों के लिए अपने धर्म के अनुसार ज्ञान होना आवश्यक है.
क्या है सेना में धर्मगुरुओं का काम?
अब ये सवाल भी लाजमी है कि आखिर सेना में धर्म गुरुओं की क्या ज़रूरत? दरअसल, सेना अलग-अलग धर्मों के अनुसार धर्मगुरुओं की नियुक्ति करती है. जैसे कि हिन्दू धर्म के लिए पंडितों की, मुस्लिम धर्म के लिए मौलवियों की, सिख धर्म के ग्रन्थी और ईसाई धर्म के लिए पादरी. ये धर्मगुरु सेना द्वारा संचालित मंदिरों, मस्जिद, गुरुद्वारों में धार्मिक कार्य संपन्न करते हैं. धर्मगुरु अपने धर्म के उपदेश देते हैं और आध्यामिक रूप से सैनिकों का मार्गदर्शन भी करते हैं. इन धर्मगुरुओं को सैनिकों के रीति-रिवाज आदि की जानकारी रहती है
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