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BW के कार्यक्रम में जानकारों ने बताया टेक्नोलॉजी और कोविड का रहा क्या संबंध
आज सभी बिजनेस के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी हो गई हैं. इसमें डेटा सिक्यारिटी और साइबर सिक्योरिटी जैसी चीजें शामिल हैं. इसका इस्तेमाल सभी करना चाहते हैं.
बिजनेस वर्ल्ड ब्यूरो 4 months ago
BW Business School Summit and Awards 2023 में आयोजित हुए सेशन में आईआईएम के टॉप लोगों ने अपनी बात कही. इस सेशन में जहां कई लोगों ने कोविड को टेक्नोलॉजी अडाप्शन में तेजी लाने वाला एक टूल बताया वहीं कई लोगों ने कहा कि टेक्नोलॉजी अडॉप्शन को कोविड से नहीं जोड़ना चाहिए. कई लोग टेकनोलॉजी को दुनिया से जुड़ने का माध्यम बताते नजर आए तो कई लोगों ने सस्टेनेबिलिटी को लेकर कई अहम बात कही.
हमारी फैकल्टी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली है
IIM Bodh Gaya की Director, Dr. Vinita Sahay ने इस इवेंट में अपनी बात कहते हुए कहा कि मैं सबसे पहले बिजनेस वर्ल्ड का इस तरह के आयोजन के लिए धन्यवाद अदा करना चाहती हूं. जहां तक बात टेक्नोलॉजी को स्वीकार करने की बात है तो मैं मानती हूं कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोरोना में हमें देखने को मिला. जहां हमारे प्रोफेसर रातों रात टेक्नोलॉजी अडॉप्ट कर ली और उस दौरान भी हमारे स्टूडेंट को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. मैं मानती हूं कि कोविड एक बहुत बड़ा ऐसा मोमेंट बनकर सामने आया जहां जिससे हमें इसे अडॉप्ट करने में काफी मदद मिली. मैं आपको कहना चाहती हूं कि हमें किसी से भी कोई सपोर्ट नहीं मिलता है, ना ही स्टेट और ना ही सेंटर. इसे आप ये भी कह सकते हैं पूरी तरह से आत्मनिर्भर और बतौर आत्मनिर्भर हम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. अगर मैं आपसे स्टूडेंट की संख्या के आधार पर बात करूं तो हमारे वहां 1150 स्टूडेंट हैं.
जहां तक बात है टेक्नोलॉजी की तो हम लोगों ने देखा है कि अगर इंस्टीटयूट के स्तर पर देखें तो हर जगह इसकी मदद से काम किया जा सकता है. अब वो भले ही लर्निंग के मामले में हो या या क्लासरुम मैनेजमेंट के मामले में. मैं आपको ये भी बताना चाहूंगी कि हमारे कैंपस में काफी यंग फैकलटी जो आज की एआई से लेकर दूसरी तरह की तकनीक के इस्तेमाल को लेकर काफी फ्रेंडली हैं. अब वो भले ही कंटेट क्रिएशन हो या दूसरी कोई भी चीज उसका इस्तेमाल हम इसके लिए कर रहे हैं. क्योंकि हम देश के एक रिमोट एरिया में रन करते हैं ऐसे में हम देश के दूसरे हिस्से से सिर्फ और सिर्फ टेक्नोलॉजी के जरिए ही संपर्क साध सकते हैं.
कोविड के दौरान तकनीक का इस्तेमाल आसान रहा
IIM Tiruchirappalli के Director, Prof. Pawan Kumar Singh मेरा मानना है कि जब आप ये सवाल पूछ रही हैं तो आपके ध्यान में कोविड और पोस्ट कोविड की स्थिति होगी. जब कोविड आया ही था उस वक्त में एमडीआई गुड़गांव से आईआईएम तिरूचिल्लापल्ली गया ही था. कोविड के दौरान तकनीक का इस्तेमाल करना मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी. ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि 1997 से 1999 तक मुझे इग्नू के साथ काम करने का मौका मिला.
क्योंकि इग्नू ने कोविड से पहले ही अपनी सिस्टर इंस्टीटयूशन के साथ काम करने को लेकर काफी टेक सेवी प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी थी. मेरे एक साथी ने मुझसे कहा कि मैं बाकी लोगों की तरह समझदार नहीं हूं इसलिए मैं इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं कर सकता. 15 दिन रूकिए कोविड चला जाएगा और उसके बाद सब नार्मल हो जाएगा. मैने कहा इसे हर किसी को करना है. लेकिन आखिरकार सभी ने इसे किया और दोनों इंस्टीटयूशन में हम इसे करने में पूरी तरह से कामयाब रहे.
कोविड में हाइब्रिड हो गई क्लासरूम
Dr. Himadri Das, Director General, International Management Institute ने कहा कि टेक्नोलॉजी को लेकर मैं कहना चाहूंगा कि सबसे पहले हमें इससे कोविड को अलग कर देना चाहिए. क्योंकि टेक्नोलॉजी को हमें स्वीकार करना ही था लेकिन कोविड के कारण हमें इसे कुछ साल पहले ही कर लिया. टीचिंग लर्निंग प्रोसेस को बेहतर बनाने के लिए कई सारी नेशनल इंटरनेशन लोगों को बुलाने की बजाए हमने कोविड के दौरान अपनी सभी क्लॉसेस को हाइब्रिड बनाने का काम पूरा कर लिया. इससे हम केवल फिजिकल क्लास ही नहीं कर सकते हैं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने से किसी को भी कनेक्ट कर सकते हैं. पहले अगर कोई फैकल्टी बीमार हो जाती थी तो क्लॉस नहीं हो पाती थी लेकिन अब ऐसा हो सकता है कि अगर टीचर क्लॉस ले पाने की स्थिति में है तो वपो क्लास ले सकती है. तकनीक के कारण डेटा एनालिसिस और भी आसान हो गया है.
डेटा और साइबर सिक्योरिटी सबसे अहम
IIM Nagpur की डॉयरेक्टर Prof. Bhimaraya Metri ने कहा कि नागपुर ने दो प्रोग्राम लॉन्च किए हैं. आज सभी बिजनेस के लिए कुछ चीजें बेहद जरूरी हो गई हैं. इसमें डेटा सिक्यारिटी और साइबर सिक्योरिटी जैसी चीजें शामिल हैं. हम इसे लेकर चलाए गए पहले प्रोग्राम को सफलतापूर्वक पूरा कर चुके हैं जबकि दूसरे प्रोग्राम को अभी कर रहे हैं. उसी तरह से हमने ब्लॉक चेन को लेकर भी हमने प्रोग्राम चलाया था, हम उसे भी सफलतापूर्वक चलाने में कामयाब रहे हैं. 132 एकड़ जमीन में हमारा कैंपस फैला हुआ है. आज हम अपने इंस्टीटयूट की तकनीक से दुनिया के किसी भी कोने में बैठे आदमी से जुड़ सकते हैं. हमारे वहां फिनटेक भी एक प्रोग्राम है. जनरल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं. अपने कैंपस में हम रेग्यूलर गेम्स के साथ कई तरह गेम्स और सिमुलेटर वाले प्रोग्राम भी चला रहे हैं. इससे वो गलती करते हुए उसे अच्छे से सीख सकते हैं. इससे उनका विश्वास भी बढ़ता है.
मेरी ज्वॉइनिंग के वक्त ही मैं जानता था चैलेंज बड़ा है
IIM Shillong के डॉयरेक्टर Dr. Dharam Paul Goyal, ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर बिजनेस एजुकेशन का भविष्य क्या है. जहां तक बात रोल ऑफ टेक्नोलॉजी की बात है तो ये बड़ा परिदृश्य है जो हमारे विजन का जीतने में काफी मददगार साबित होगा. जब मैने शिलांग में ज्वॉइन किया तब मैं जानता था कि वहां चैलेंज बड़ा होने जा रहा है. क्योंकि वो एक रिमोट एरिया था, एक नया इंस्टीटयूट था, अगर हम चैलेंजेस को समझे और ये जानें कि उसे अपॉर्चुनिटी में कैसे बदलना है तो वैसे तो कई राज्यों में आईआईएम है. लेकिन नार्थ ईस्ट के सभी सात राज्यों में एक ही आईआईएम है. अगर हम वहां के मौसम की बात करें तो कई बार बादल हमारे क्लासरूम में भी चले आते हैं. यही नहीं अगर एक्यूआई की बात करें तो दिल्ली में जहां ये बहुत ज्यादा होता है वहां ये केवल 9 और 10 होता है. हमने अपने इंस्टीटयूट को आगे बढ़ाने के लिए इंटरनेशनल टाइअप किए. लेकिन हमारे सामने चुनौती ये थी कि हम उन्हें इंडिया कैसे लाएं और स्पेशियली शिलांग कैसे लाएं. लेकिन जब उन्हें हमने अपनी लोकेशन के बारे में बताया तो हम उन्हें आकर्षित करने में कामयाब हो गए. उसके बाद हमने एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू किया जिसके बाद स्टूडेंट और फैकल्टी ने बाहर जाना शुरू किया.
सत्य की ताकत सबसे अहम है
University of Delhi के Head & Dean - Faculty of Management Studies (FMS), Dr. Vivek Suneja ने कहा कि मेरे बगल में जो मैम बैठी हैं वो बोधगया से हैं. बुध का ज्ञान भारत से निकलकर दुनिया के कई देशों में गया. कहने का मतलब ये है कि बुद्ध के समय में टेक्नोलॉजी नहीं थी लेकिन सत्य की ताकत थी. मेरा मानना है कि बिजनेस स्कूल अगर मिलकर कुछ करना चाहें तो बहुत कुछ कर सकते हैं. लेकिन उससे पहले हमें प्रॉयोरिटी को तय करना होगा. इसमें सस्टेनेबिलिटी सबसे टॉप पर होगी. ये इस पर निर्भर नहीं करता है कि आप कितने कैपेबल हैं. सस्टेनेबिलिटी दोनों साइड होती है वो सप्लाई साइड भी होती है और डिमांड साइड भी होती है. लेकिन उससे भी अहम हमारी सस्टेनेबल लाइफस्टाइल है. मुझे लगता है कि हमें स्टूडेंट को ज्यादा सेंसेबल बनाने की जरूरत है.
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